समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश-उदारीकरण/युक्तिकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश-उदारीकरण/युक्तिकरण
भारिबैंक/2011-12/481 2 अप्रैल 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश-उदारीकरण/युक्तिकरण प्राधिकृत व्यापारी (श्रेणी I) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.10/2000-आरबी [विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000] (अधिसूचना) की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के मौजूदा उपबंधों के अनुसार भारतीय पार्टी (जैसाकि समय-समय पर यथा संशोधित 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/आरबी-2004 में परिभाषित है) से अपेक्षित है कि यदि मेजबान देश के विनियमों के अनुसार उस देश में निवेश करने के लिए उस देश के वाणिज्य बैंक में खाता खोलकर निवेश करने की अपेक्षा हो, तो उस देश में समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश करने के लिए विदेशी मुद्रा खाता खोलने, धारण करने और बनाए रखने के लिए भारतीय रिज़र्व से पूर्वानुमति प्राप्त करनी चाहिए। 3. भारतीय पार्टी को इस संबंध में परिचालनात्मक लचीलापन उपलब्ध कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय पार्टी द्वारा विदेशी मुद्रा खाता खोलने/धारण करने/बनाए रखने से संबंधित विनियमों को निम्नवत उदार किया जाए: भारतीय पार्टी को समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश करने के प्रयोजनार्थ विदेशी मुद्रा खाता खोलने/धारण करने/बनाए रखने हेतु अनुमति अब निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जाएगी:
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 6. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अधीन वांछित किसी अन्य अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (डॉ. सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद) |