भारिबैंक/2013-14/377 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.77 22 नवंबर 2013 सभी श्रेणी-I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार (OFCB by A. D. Banks) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 10 अक्तूबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 61 के साथ पठित 10 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 40 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार उसमें उल्लिखित शर्तों के अधीन उन्हें अंतर्राष्ट्रीय/बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं से अपनी टीयर-I पूंजी के 100 प्रतिशत तक उधार लेने तथा उसमें किए गए उल्लेखानुसार, उधार ली गई राशि रियायती दर पर रिजर्व बैंक से स्वैप करने की अनुमति दी गयी थी। उक्त परिपत्रों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय/बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं से उधार लेने के साथ ही साथ उसे रिजर्व बैंक से स्वाप करने संबंधी दोनों ही अनुमतियां 30 नवंबर 2013 तक के लिए वैध थीं। 2. बैंक की जानकारी में यह बात लायी गयी है कि कुछ बैंक अंतर्राष्ट्रीय/बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने/तय करने की प्रक्रिया में होंगे और वे ऋण आहरित करने तथा रिज़र्व बैंक से रियायती स्वाप के भाग के रूप में उसे 30 नवंबर 2013 के भीतर सुपुर्द करने की स्थिति में नहीं होंगे। इस संबंध में, यह निर्णय लिया गया है कि यदि किसी बैंक को किसी अंतर्राष्ट्रीय/बहुपक्षीय वित्तीय संस्था से ऋण मंजूर किया जा रहा हो और 30 नवंबर 2013 को या उससे पहले उसे इस संबंध में पक्का वादा (commitment) प्राप्त हो रहा हो, तो इस प्रक्रिया के पहले चरण के अंतर्गत उसे फारवर्ड-फारवर्ड स्वाप के करार की अनुमति दी जाएगी, जिसके तहत बैंक, 31 दिसंबर 2013 तक सुपुर्दगी हेतु, ऋण राशि के अनुरूप विदेशी मुद्रा की संविदागत राशि की वायदा बिक्री करेगा। तथापि, यदि बैंक संविदागत तारीख को संविदागत विदेशी मुद्रा राशि की सुपुर्दगी करने की स्थिति में नहीं होगा, तो संबंधित बैंक संविदागत रियायती स्वाप दर तथा मार्केट स्वाप दर में जो अंतर होगा उसमें सौ आधार अंक को शामिल करके आकलित दर पर भुगतान करेगा। स्वाप के लिए पहले अधिसूचित अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 3. इस बात को दोहराया जाता है कि उपर्युक्त रियायत केवल 30 नवंबर 2013 तक किए गए करारों के लिए ही उपलब्ध है और उसके बाद के लिए नहीं। 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं। भवदीय, (सी.डी.श्रीनिवासन) मुख्य महाप्रबंधक |