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इलेक्ट्रानिक/इंटरनेट ट्रेडिंग पोर्टलों के द्वारा ओवरसीज विदेशी मुद्रा का व्यापार (ट्रेडिंग)

भारिबैंक/2011-12/262
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.46 

17 नवंबर 2011

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदया/महोदय,

इलेक्ट्रानिक/इंटरनेट ट्रेडिंग पोर्टलों के द्वारा ओवरसीज विदेशी मुद्रा का व्यापार (ट्रेडिंग)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (प्रा.व्या.श्रेणी I) बैंकों का ध्यान 7 अप्रैल 2011 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 53 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को सूचित किया गया था कि क्रेडिट कार्ड/भारत स्थित बैंकों के पास रखे गए विभिन्न जमाखातों के मार्फत लोगों द्वारा आनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार संबंधी लेनदेनों के लिए किए गए मार्जिनों के भुगतानों के संबंध में समुचित सावधानी बरतें और अधिक सतर्क रहें। इसके अलावा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि व्यक्तियों या स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों द्वारा संबंधित बैंकों की विभिन्न शाखाओं में ऐसे लेनदेनों के संबंध में मार्जिन मनी, निवेश मनी, आदि एकत्रति करने के लिए खोले गए खातों के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरतें।

2. यह देखा गया है कि ओवरसीज विदेशी मुद्रा व्यापार अनेक इंटरनेट/इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग पोर्टलों पर प्रारंभ किया गया है जिनमें ऐसे विदेशी मुद्रा व्यापार से उच्च लाभ की गारंटी के प्रस्तावों से निवासियों को लालच दिया जाता है। इन इंटरनेट/इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग पोर्टलों पर विज्ञापन देकर लोंगों को विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए भारतीय रुपए में निवेश की प्रारंभिक राशि जमा करने के लिए उकसाया जाता है। यह भी रिपोर्ट किया गया है कि कुछ कंपनियों ने एतदर्थ ऐजेंट भी बना रखे हैं जो विदेशी मुद्रा का व्यापार करने/निवेश योजनाओं में भाग लेने के लिए लोगों से खुद संपर्क करते हैं और बेतुके/भारी प्रतिफल का वादा करके उन्हें फुसलाने का प्रयत्न करते हैं। इन पोर्टलों पर विदेशी मुद्रा का व्यापार मार्जिन के आधार पर बड़े फायदे के अवसर या निवेश के आधार दिखाकर किया जाता है, जहां प्रतिफल विदेशी मुद्रा व्यापार पर आधारित होते हैं । इन मामलों में लोगों से कहा जाता है कि वे इन आनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार लेनदेनों के लिए मार्जिन की (राशि) का भुगतान क्रेडिट कार्डों/भारत स्थित बैंकों में रखे विभिन्न जमा खातों से करें । यह भी देखा गया है कि मार्जिन राशि, निवेश राशि, आदि एकत्रित करने के लिए विभिन्न बैंक शाखाओं में व्यक्तियों या स्वत्वाधिकारी प्रतिष्ठानों के नाम में खाते खोले जाते हैं । इस बात को फिर दोहराया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक ऐसे लेनदेनों के संबंध में समुचित सतर्कता बरतें और अत्यधिक सचेत रहें जिनमें निवासियों से अपेक्षा की जाती है कि आनलाइन विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए वे मार्जिन राशि का भुगतान क्रेडिट कार्ड से/भारत स्थित बैंकों में रखे गए विभिन्न खातों में रखी जमा राशियों से करें । यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में निवास करने वाला कोई भी व्यक्ति जो भारत से सीधे (प्रत्यक्षत:)/अप्रत्यक्षत: ऐसे भुगतानों को एकत्रित करने और प्रेषित करने में संलग्न पाया जाएगा वह न केवल विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के उल्लंघन का दोषी होगा, इसके अलावा वह अपने ग्राहक को जानने संबंधी मानदंडों/धन शोधन निवारण मानकों से संबंधित विनियम के उल्लंघन का भी दोषी करार दिया जाएगा ।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 7 अप्रैल 2011 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 53 में अंतर्विष्ट अनुदेशों एवं 21 फरवरी 2011 की प्रेस प्रकाशनी (प्रतिलिपि संलग्न) का व्यापक प्रचार करें । इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश कार्ड जारीकर्ता कंपनियों के ध्यान में लाए जाएं और उन्हें सूचित किया जाए कि वे ऐसे अनधिकृत लेनदेनों के लिए भुगतान की अनुमति देने के प्रति जागरूक रहें ।    

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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