इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग
भारिबैंक/2010-11/472 07 अप्रैल 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक महोदया/महोदय इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक (एडी श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/2000-आरबी) के विनियम 4 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार भारत में निवासी कोई व्यक्ति विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये अथवा जारी किये गये नियमों अथवा विनियमों अथवा निर्देशों अथवा आदेशों के तहत अनुमत लेनदेन के संबंध में जोखिम एक्सपोजर हेज करने के लिए अनुसूची । में निहित प्रावधानों के अनुसार विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा कर सकता है । इसके अतिरिक्त, पूर्वोक्त विनियम 5 ए के अनुसार, भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी निर्देशों में विनिर्दिष्ट शर्तों पर जोखिम एक्सपोजर हेज करने अथवा अन्यथा के लिए प्रतिभूति संविदा (विनियम) अधिनियम, 1956 की धारा 4 के तहत किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज में मुद्रा वायदा (करेंसी फ्यूचर्स) अथवा मुद्रा विकल्प (करेंसी ऑप्शन्स) संविदा कर सकता है । 28 दिसंबर 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 32 के अनुसार, किसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए अंतर्निहित मूल्य जोखिम एक्सपोजर की मौजूदगी के आधार पर ही अनुमति दी गयी है जिसके लिए विदेशी मुद्रा की खरीद और/अथवा बिक्री फेमा, 1999 के तहत अनुमत है । इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंकों का ध्यान 8 मई 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 51 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत प्रेषण अनुमत पूँजीगत अथवा चालू खाता लेनदेनों अथवा दोनों के संयुक्त रूप के लिए ही अनुमत हैं । अन्य सभी लेनदेन, जो फेमा, 1999 के तहत अन्यथा अनुमत नहीं है और जो समुद्रपारीय एक्स्चेंजों/समुद्रपारीय काउंटर पार्टी को मार्जिन अथवा मार्जिन कॉल्स के लिए प्रेषण के स्वरूप के हैं, योजना के तहत अनुमत नहीं है । 2. यह देखा गया है कि कई इंटरनेट/इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा कारोबार किया जा रहा है जो निवासियों को विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग पर आधारित गारंटीकृत उच्चतर प्रतिलाभ के प्रस्तावों के प्रति आकर्षित करता है । इन इंटरनेट/ऑनलाइन पोर्टलों द्वारा दिये गये विज्ञापन लोगों को भारतीय रुपयों में प्रारंभिक निवेश राशि के भुगतान के रूप में विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्रेरित करते हैं । कुछ कंपनियां ऐसे एजेंटों की सेवाएं भी लेती है जो व्यक्तिगत रूप से लोगों से विदेशी मुद्रा कारोबार/निवेश योजनाएं शुरू करने के लिए संपर्क करते हैं तथा सामान्य से अधिक/भारी प्रतिलाभों के वादे के साथ उन्हें फुसलाते हैं । इन पोर्टलों के जरिये विदेशी मुद्रा में अधिकांश कारोबार ह्यूज लीवरेज के साथ मार्जिनिंग आधार पर अथवा निवेश आधार पर किया जाता है, जहाँ प्रतिलाभ विदेशी मुद्रा कारोबार पर आधारित होता है । लोगों को भारत में ऐसे ऑन लाइन ट्रेडिंग लेनदेन के लिए बैंकों के पास रखे गये विविध खातों में क्रेडिट कार्डों के जरिये/राशि जमा करते हुए मार्जिन भुगतान करने के हेतु सूचित किया जा रहा है । यह भी देखा गया है कि मार्जिन राशि, निवेश राशि, आदि के संग्रहण के लिए विभिन्न बैंक शाखाओं में व्यक्तिगत अथवा स्वामित्व प्रतिष्ठान के नाम में खाते खोले जा रहे हैं । 3. अतएव प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त लेनदेनों के संबंध में यथोचित सावधानी बरतें तथा अधिक सतर्क रहें । यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में निवासी कोई व्यक्ति ऐसा भुगतान जमा करता है/भारत से बाहर प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष से रूप से प्रेषित करता है तो वह, अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानकों से संबंधित विनियमों के उल्लंघन के लिए दायी होने के अतिरिक्त फेमा, 1999 के उल्लंघन हेतु कार्रवाई किये जाने के लिए दायी होगा/होगी । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । प्राधिकृत व्यापारी उपर्युक्त में उल्लिखित ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्रों तथा 21 फरवरी 2011 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रेस प्रकाशनी(प्रतिलिपि संलग्न) में निहित अनुदेशों का भी व्यापक रूप से प्रचार करें । इस परिपत्र में निहित अनुदेशों से कार्ड जारीकर्ता कंपनियों को भी अवगत कराया जाए जिन्हें ऐसे अनधिकृत लेनदेनों के लिए भुगतान अनुमत करते समय सतर्क रहने के लिए भी सूचित किया जाए । 5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीया (डॉ सुजाता एलिजाबेथ प्रसाद) |