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निवासी व्यक्तियों (individuals) द्वारा समुद्रपारीय निवेश – उदारीकरण/युक्तिकरण

भारिबैंक/2011-12/474
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 97

28 मार्च 2012

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

निवासी व्यक्तियों (individuals) द्वारा समुद्रपारीय निवेश – उदारीकरण/युक्तिकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004] (अधिसूचना) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक ने निवासी व्यक्तियों (individuals) द्वारा (i) अर्हता शेयर, (ii) दी गई पेशेवर सेवाओं और (iii) कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना (ESOPS) के तहत विदेशी कंपनियों (entity) के ईक्विटी शेयरों के अर्जन के लिए उपलब्ध सुविधा की समीक्षा की है। इसके अलावा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों (individuals) को उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति (अध्यक्ष: श्रीमती के.जे. उदेशी) द्वारा अगस्त 2011 में प्रस्तुत रिपोर्ट में सिफारिश की गयी थी कि उल्लेखानुसार विदेशी कंपनियों (entity) के ईक्विटी शेयरों के अर्जन के लिए निवासी व्यक्तियों (individuals) को आम अनुमति प्रदान की जा सकती है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों (individuals) को निम्नलिखित के संबंध में आम अनुमति प्रदान की जाए।

3. समुद्रपारीय कंपनी के निदेशक का पद धारण करने के लिए अर्हता शेयरों का अर्जन

उल्लिखित अधिसूचना के विनियम 24(1)(ए) के अनुसार भारत में निवास करने वाला व्यक्ति [एक व्यक्ति (individual) होने के कारण] भारत से बाहर गठित किसी कंपनी के निदेशक का पद धारण करने के लिए ऐसी कंपनी द्वारा जारी अर्हता शेयरों को धारण करने की अनिवार्यता के तहत विदेशी प्रतिभूतियों को अर्जित कर सकता है, बशर्ते:-

  1. इस प्रकार अर्जित किए गए शेयरों की संख्या निदेशक का पद-धारण करने के लिए आवश्यक न्यूनतम शेयरों तक सीमित रहेंगी एवं किसी भी हालत में उक्त कंपनी की प्रदत्त पूंजी के एक प्रतिशत से अधिक नहीं होगी, और

  2. ऐसे शेयरों के अर्जन के लिए प्रतिफल राशि इस बाबत रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए।

चूंकि किसी (समुद्रपारीय) कंपनी में निदेशक के रूप में निवासी व्यक्ति (individual) की नियुक्ति हेतु ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसी कंपनी के कतिपय अर्हता शेयरों का धारण करना मेजबान देश के कानून/नों से विनियमित होता है, अत: यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्ति (individual) द्वारा समुद्रपारीय कंपनी में निदेशक का पद धारण करने के लिए अर्हता शेयरों को धारण करने के संबंध में मौजूदा एक प्रतिशत की उच्चतम सीमा को हटा दिया जाए। तदनुसार, अब से निवासी व्यक्ति को समुद्रपारीय कंपनी के निदेशक का पद धारण करने के लिए कंपनी जिस देश में स्थित है उस मेजबान देश के कानूनों के अनुसार विनिर्दिष्ट सीमा तक अर्हता शेयर अर्जित करने के लिए विप्रेषण करने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे अर्हता शेयरों के अर्जन के लिए विप्रेषण सीमा, तत्समय लागू, उस समग्र सीमा के अंदर होगी जिसे रिज़र्व बैंक ने उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत व्यक्तियों (individuals) द्वारा विप्रेषित करने के लिए विनिर्दिष्ट किया हो।

4. पेशेवर सेवाओं या निदेशक के रूप में पारिश्रमिक के बदले विदेशी कंपनी के शेयरों का अर्जन

संप्रति, उक्त अधिसूचना का विनियम 20 यह विनिर्दिष्ट करता है कि निवासी व्यक्ति (individual) को किसी विदेशी कंपनी (entity) को दी गई पेशेवर सेवाओं के प्रतिफल के रूप में प्राप्य शेयरों के अर्जन हेतु अनुमति प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करना है और कतिपय तथ्यों को ध्यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक, आवश्यक समझी गयी शर्तों के साथ, इसके लिए अनुमति प्रदान कर सकता है।  

यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों (individuals) द्वारा किसी विदेशी कंपनी (entity) को दी गयी पेशेवर सेवाओं के प्रतिफल के एक भाग/पूरे प्रतिफल के लिए या निदेशक के रूप में प्राप्य पारिश्रमिक के एक भाग/पूरे पारिश्रमिक के बदले शेयर अर्जित करने हेतु आम अनुमति प्रदान की जाए। मूल्य के अनुसार ऐसे शेयरों के अर्जन हेतु सीमा, ऐसे शयरों के अर्जन के समय, उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत व्यक्तियों (individuals) हेतु लागू विनिर्दिष्ट समग्र उच्चतम सीमा के भीतर होनी चाहिए।

5. कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना (ESOPS) के मार्फत विदेशी कंपनी के शेयरों का अर्जन करना

उक्त अधिसूचना के मौजूदा विनियम 22(2) के अनुसार, निवासी व्यक्ति (individual) को विदेशी कंपनी के कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना के मार्फत ईक्विटी शेयरों की खरीद करने की आम अनुमति दी गई है, बशर्ते वह (individual) विदेशी कंपनी के भारतीय कार्यालय या शाखा कार्यालय, या, विदेशी कंपनी की भारत स्थित सहायक कंपनी, या, किसी भारतीय कंपनी जिसमें विदेशी कंपनी की प्रत्यक्ष या होल्डिंग कंपनी/एसपीवी के मार्फत 51 प्रतिशत से कम विदेशी ईक्विटी होल्डिंग न हो, का कर्मचारी, या, निदेशक हो।

तदनुसार, प्राधिकारी व्यापारी श्रेणी I बैंकों को यह अनुमति दी जाती है कि वे इस उपबंध के अंतर्गत इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों (individuals) को शेयरों की खरीद के लिए विप्रेषण भेजने की अनुमति दे सकते हैं, भले ही योजना के कार्यान्वयन का तरीका कोई भी क्यों न हो अर्थात जहाँ योजना के तहत शेयर जारी करने वाली कंपनी द्वारा प्रत्यक्ष रूप में या किसी ट्रस्ट/एसपीवी/स्टेप डाउन सहायक कंपनी के मार्फत अप्रत्यक्ष रूप में शेयरों के प्रस्ताव किए जाते हैं, बशर्ते:

  1. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में, शेयर/रों को प्रभावी तौर पर जारी करने वाली कंपनी, भारतीय कंपनी में न्यूनतम 51 प्रतिशत की स्वयं ईक्विटी धारण किए हुए हो जिसके कर्मचारियों/निदेशकों को शेयरों के प्रस्ताव किए जाते हैं,

  2. शेयर जारी करने वाली कंपनी ने कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना (ESOPS) के मार्फत, ग्लोबल स्तर पर एक समान रूप में, शेयरों के प्रस्ताव किए हों; और

  3. भारतीय कंपनी द्वारा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के मार्फत विप्रेषणों/लाभार्थियों, आदि के ब्योरे देते हुए रिज़र्व बैंक को एक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत की जाए।

अब यह निर्णय लिया गया है कि कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना (ESOPS) के अंतर्गत निवासी कर्मचारियों या निदेशकों को, ग्लोबल स्तर पर एक समान रूप में, विदेशी कंपनी द्वारा प्रस्ताव किए गए शेयरों को स्वीकार करने की अनुमति दी जाए, भले ही भारतीय कंपनी में उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ईक्विटी स्टेक कितना भी क्यों न हो, बशर्ते:

  1. शेयर जारी करने वाली कंपनी द्वारा कर्मचारी स्टॉक आप्शन योजना (ESOPS) के अंतर्गत शेयरों के प्रस्ताव ग्लोबल स्तर पर एक समान रूप में किए गए हों; और

  2. भारतीय कंपनी द्वारा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के मार्फत विप्रेषणों/लाभार्थियों, आदि के ब्योरे देते हुए रिज़र्व बैंक को एक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत की जाए।

6. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

8. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अधीन वांछित किसी अन्य अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(डॉ. सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद)
मुख्य महाप्रबंधक

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