प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण
भारिबैं/2012 -13/253 17 अक्तूबर 2012 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 20 जुलाई 2012 का हमारा परिपत्र सं.ग्राआऋवि. केका. प्लान. बीसी. 13/04.09.01/2012-13 देखें। मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 की प्रथम तिमाही की समीक्षा के संबंध में 31 जुलाई 2012 को बैंकरों के साथ हुई चर्चा के दौरान बैंकों द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के संशोधित दिशा-निर्देशों पर कुछ मुद्दे उठाए गए। तदनुसार, चयनित बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों / मुख्य कार्यपालक अधिकारियों तथा चयनित बैंकों के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के प्रमुखों के साथ भी चर्चा की गई। प्राप्त फीड बैक के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि दिनांक 20 जुलाई 2012 के परिपत्र द्वारा जारी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र दिशा-निर्देशों में अनुबंध के अनुसार कुछ जोड़ और संशोधन किए जाए । किए गए जोड़ और संशोधन 20 जुलाई 2012 से परिचालित होंगे। भवदीय ( टी. वी. राव ) 1. कृषि 1.1 प्रत्यक्ष कृषि निम्नलिखित संस्थाओं को बैंक ऋण प्रत्यक्ष कृषि को उधार के लिए भी पात्र होंगे : - अलग – अलग किसानों के कृषि उत्पादक कंपनियों, साझेदारी फर्मों तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों अर्थात् डेरी, मत्स्य पालन, पशु पालन, मुर्गी पालन, मधु-मक्खी पालन और रेशम उद्योग (ककून स्टेज तक) सहित कोर्पोरेटों को निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए प्रति उधारकर्ता 2 करोड़ रूपए की समग्र सीमा तक ऋण।
( 20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव : पैराग्राफ ( III) (1.1) के अंतर्गत एक नया उप पैराग्राफ जोड़ा गया) 1.2 अप्रत्यक्ष कृषि उक्त पैरा 1.1 के संबंध में यदि प्रति उधारकर्ता समग्र ऋण सीमा 2 करोड़ रूपए से अधिक हो तो संपूर्ण ऋण, कृषि को अप्रत्यक्ष वित्त के रूप में माना जाएगा। (20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव : तदनुसार पैराग्राफ ( III ) (1.2.1) (i), (ii), (iii) (v) और (vi) आशोधित किए गए) 2. माइक्रो और लघु उद्यम (सेवा सेक्टर) सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में कार्यरत माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को प्रति उधारकर्ता / इकाई 2 करोड़ रूपए की समग्र ऋण सीमा तक बैंक ऋण, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत एमएसई क्षेत्र को प्रत्यक्ष वित्त के रूप में वर्गीकृत करने हेतु पात्र होंगे बशर्ते वे एमएसएमइडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत परिभाषितानुसार उपस्कर हेतु निवेश मानदंड को पूरा करते हों। ( 20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव: तदनुसार पैरा (III) (2) (2.1.2) आशोधित किए गए) 3. आवास (i) किसी सरकारी एजेंसी को आवास इकाई के निर्माण अथवा गंदी बस्तियों को हटाने और गंदी बस्तियों में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए प्रदान बैंक ऋण जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रूपए प्रति आवास इकाई से अधिक न हो। (ii) केवल आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और न्यून आय समूह के लोगों के लिए मकान बनवाने के प्रयोजन संबंधी आवास परियोजनाओं, जिनकी कुल लागत प्रति आवास इकाई 10 लाख रूपए से अधिक नहीं है, हेतु बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र स्थिति हेतु पात्र हो जाएंगे। आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और न्यून आय समूह के लोगों की पहचान के प्रयोजन के लिए वार्षिक 1,20,000 रूपए पारिवारिक आय सीमा निर्धारित है, चाहे स्थान जो भी हो। ( 20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव : तदनुसार पैराग्राफ (III) (4) (iii) और (iviv) आशोधित किए गए ) (iii) राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा अपने पुनर्वित्त के लिए अनुमोदित आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को अलग-अलग आवास इकाई की खरीदी / निर्माण / पुनर्निर्माण अथवा गंदी बस्तियों को हटाने और गंदी बस्तियों में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए आगे उधार प्रदान किए जाने हेतु प्रति उधारकर्ता 10 लाख रूपए तक की समग्र ऋण सीमा में दिया जानेवाला बैंक ऋण, बशर्ते अंतिम उधारकर्ता को लगायी गयी सर्व समाविष्ट ब्याज दर, आवास ऋण हेतु उधारदाता बैंक की प्रति वर्ष 2 प्रतिशत सहित न्यूनतम उधार दर से अधिक न हो। (iv) प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को ऋण की पात्रता, निरंतर आधार पर प्रत्येक बैंक के कुल प्राथमिकता प्राप्त उधारों के पांच प्रतिशत तक सीमित है। बैंक ऋण की परिपक्वता, एचएफसी द्वारा प्रदान ऋणों की औसत परिपक्वता के साथ-साथ समाप्त होनेवाली ( को-टर्मिनस ) होनी चाहिए। बैंकों को अंतर्निहित संविभाग संबंधी उधारकर्ता-वार आवश्यक ब्योरा रखना चाहिए। ( 20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव: पैराग्राफ (III) (4) के अंतर्गत एक नया उप पैराग्राफ जोड़ा गया) 4. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि : - (i) एएनबीसी की गणना हेतु एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेशों में केवल गैर-एसएलआर बांडों / डीबेंचरों को शामिल किया जाएगा। (ii) प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र लक्ष्यों के लिए तुलन-पत्र एक्सपोज़र से इतर ऋण सम-मूल्य की गणना हेतु तुलन पत्र से इतर अंतर बैंक एक्सपोज़र को शामिल नहीं किया जाएगा। (iii) " सर्व सम्मिलित ब्याज " शब्द में ब्याज (प्रभावी वार्षिक ब्याज), प्रोसेसिंग शुल्क तथा सेवा प्रभार शामिल हैं। (iv) बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत प्रदत्त ऋण अनुमोदित प्रयोजन हेतु हैं तथा उसके अंतिम उपयोग की लगातार निगरानी की जाती है। बैंकों को इस संबंध में उचित आंतरिक नियंत्रण एवं प्रणाली रखनी चाहिए । |