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ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाताओं (OPGSP) द्वारा दी गई सुविधा के अंतर्गत आयात और निर्यात से संबन्धित भुगतानों की प्रोसेसिंग और निपटान

भारिबैंक/2015-16/185
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 16

24 सितंबर 2015

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाताओं (OPGSP) द्वारा दी गई सुविधा के
अंतर्गत आयात और निर्यात से संबन्धित भुगतानों की प्रोसेसिंग और नि
पटान

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, 16 नवंबर 2010 के ए.पी. (डीआआर सीरीज) परिपत्र सं.17 के साथ पठित 11 जून 2013 के ए.पी. (डीआआर सीरीज) परिपत्र सं.109 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अनुमति प्रदान की गई है कि वे माल और सेवाओं के निर्यात के संबंध में ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाताओं के साथ स्थायी व्यवस्था संबंधी करार के तहत निर्यात से संबन्धित विप्रेषणों के प्रत्यावर्तन की सुविधा का प्रस्ताव कर सकते हैं।

2. ई-कॉमर्स को सुविधाजनक बनाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को आयात के संबंध में भी ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाताओं के साथ स्थायी व्यवस्था संबंधी करार कर के ऐसी ही सुविधा देने की अनुमति प्रदान की जाए। ऐसे आयातों और निर्यातों के संबंध में संशोधित समेकित दिशानिर्देश नीचे दिये जा रहे हैं:

सामान्य

2.1 ऐसी व्यवस्था के इच्छुक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस प्रकार की प्रत्येक व्यवस्था हेतु करार होने पर उसके/उनके ब्योरे विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को तत्काल रिपोर्ट करेंगे। ऐसी व्यवस्था को परिचालनीय बनाने के लिए प्राधिकृत व्यापारी बैंक निम्नलिखित कार्रवाई करें :-

  1. ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाता (OPGSP) के संबंध में समुचित सावधानी की प्रक्रिया पूरी करें;

  2. प्रत्येक ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाता (OPGSP) के लिए निर्यात और आयात वसूली खाते अलग-अलग रखें;

  3. लेनदेनों की सदाशयता के बारे में स्वयं संतुष्ट हो लें और यह सुनिश्चित करें कि रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किए गए प्रयोजन संबंधी कोड, उचित कोड हों;

  4. ऐसी व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक लेनदेन से संबन्धित संगत सूचनाएँ जब भी रिज़र्व बैंक द्वारा मांगी जाएं, वे उन्हें प्रस्तुत करेंगे और;

  5. वसूली खातों का तिमाही आधार पर मिलान करेंगे और लेखापरीक्षा करवाएँगे।

2.2 विदेशी एंटीटी जो ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाता (OPGSP) के रूप में परिचालन की इच्छुक हो, वह किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के साथ उक्त व्यवस्था को परिचालनीय बनाने से पूर्व रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से भारत में संपर्क कार्यालय खोलेगी। ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाता का यह दायित्व होगा कि वह :-

  1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और लागू सभी अन्य संगत क़ानूनों/विनियमों का पालन अवश्य करे;

  2. विवादों के समाधान और शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रणाली स्थापित करे;

  3. वापसी(return) और धन वापसी (refund) नीति के अनुसार उचित प्रारक्षित निधि का सृजन करे;

  4. भारतीय के साथ-साथ विदेशी "ऑन बोर्ड बिक्रेताओं" के संबंध में समुचित सावधानी की प्रक्रिया का अनुकरण किया जाना चाहिए।

भारत में भुगतान से संबन्धित सभी शिकायतों के समाधान की ज़िम्मेदारी संबन्धित ऑनलाइन पेमेंट गेटवे सर्विस प्रदाता की होगी।

2.3 घरेलू मध्यस्थ एंटीटीज़ जो हमारे भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग के इलेक्ट्रानिक भुगतान लेनदेन संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करती हैं और सीमा पार संबंधी लेनदेन करने की इच्छुक हैँ, वे घरेलू तथा सीमा पार संबंधी लेनदेनों के लिए अलग-अलग खाते रखेंगी।

3. आयात लेनदेन

(i) यह सुविधा 2000 अमरीकी डॉलर(दो हजार अमरीकी डालर) मूल्य तक के माल और सॉफ्टवेयर (प्रचलित विदेशी व्यापार नीति के अनुसार यथा अनुमत) के आयात के लिए ही उपलब्ध होगी।

(ii) आयातक से निधियों की प्राप्ति होते ही आयात वसूली खाते में जमा शेष ओवरसीज़ निर्यातक के खाते में विप्रेषित की जाएं, किन्तु वसूली खाते में ऐसी राशि/यों के जमा होने की तरीख से 2 दिनों के भीतर हर हालत में उन्हें विप्रेषित कर दिया जाना चाहिए।

(iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ओपीजीएसपी (OPGSP) से साक्ष्य के रूप में इन्वाइस और एयर-वे बिल को प्राप्त करेगा जिसमें लाभार्थी का नाम एवं पता हो और विदेशी मुद्रा भुगतान शीर्ष के अंतर्गत आर-रिटर्न में लेनदेन को रिपोर्ट करेगा।

(iv) ओपीजीएसपी (OPGSP) आयात वसूली खाते में निम्नवत क्रेडिट अनुमत होंगी:

ए) भारतीय आयातकों द्वारा क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग के मार्फत ओवरसीज़ निर्यातकों से की गई ऑनलाइन खरीद की वसूली राशि, और

बी) ओवरसीज निर्यातक से प्रभार वापसी (चार्ज-बैक)।

(v) ओपीजीएसपी (OPGSP) आयात वसूली खाते में निम्नवत डेबिट अनुमत होंगी:

ए) अनुमत विदेशी मुद्रा में ओवरसीज़ निर्यातक को भुगतान;

बी) वापसी (return) और धन वापसी (refund) के लिए भारतीय आयातकों को भुगतान;

सी) संविदागत आधार पर यथापरिभाषित दर/बारंबारता पर कमीशन का ओपीजीएसपी (OPGSP) के चालू खाते में भुगतान;

डी) बैंक प्रभार।

4. निर्यात लेनदेन

पूर्व में संदर्भित 11 जून 2013 के ए.पी. (डीआआर सीरीज) परिपत्र सं. 109 और 16 नवंबर 2010 के हमारे ए.पी. (डीआआर सीरीज) परिपत्र सं. 17 में जैसाकि पहले अधिसूचित किया गया है:-

(i) यह सुविधा प्रति लेनदेन 10000 अमरीकी डॉलर (दस हजार अमरीकी डालर) मूल्य तक के माल और सेवाओं (प्रचलित विदेश व्यापार नीति के अनुसार अनुमत) के लिए ही उपलब्ध होगी।

(ii) ऐसी व्यवस्थाओं के तहत भुगतान को सुलभ बनाने के लिए, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक निर्यात से संबन्धित प्राप्तियों के लिए नास्ट्रो वसूली खाता खोलेंगे। जहां इस सुविधा का लाभ लेने के लिए निर्यातकों को ओपीजीएसपी (OPGSP) के पास नोशनल (notional) खाते खोलने की अपेक्षा हो, वहाँ यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे खातों में निधियों को बनाए रखने (retain करने) की अनुमति न दी जाए और सभी प्राप्तियाँ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक द्वारा खोले गए नास्ट्रो वसूली खाते में स्वचालित रूप से आकर एकत्रित हो जाएँ।

(iii) नास्ट्रो वसूली खाते में जमा शेष राशि भारत में निर्यात वसूली खाते में प्रत्यावर्तित की जाएगी और उसके पश्चात आयातक से पुष्टि प्राप्त होते ही, संबन्धित निर्यातक के भारत स्थित बैंक खाते में तत्काल जमा कर दी जाएगी और, किसी भी हालत में, नास्ट्रो वसूली खाते में जमा होने की तारीख से 7 दिनों के भीतर जमा कर दी जाएगी।

(iv) भारत में बनाए रखे गए, ओपीजीएसपी (OPGSP) निर्यात वसूली खाते से अनुमत नामे(डेबिट) इस प्रकार के होंगे:

(ए) संबन्धित भारतीय निर्यातक के खाते में भुगतान;

(बी) ओपीजीएसपी (OPGSP) के चालू खाते में संविदा में यथा परिभाषित दर/बारंबारता पर कमीशन का भुगतान ;

(सी) जहां बिक्री संविदा के अंतर्गत भारतीय निर्यातक अपने दायित्वों का निर्वाह करने में विफल रहा हो, वहां ओवरसीज़ आयातक को चार्ज बैक करना।

(v) उसी ओपीजीएसपी (OPGSP) निर्यात वसूली खाते में केवल वह जमा अनुमत होगी जो नास्ट्रो वसूली खाते से इलेक्ट्रानिक रूप से प्रत्यावर्तित की गई हो।

5. प्रधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(ए. के. पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक

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