आरबीआई/2024-25/55
पवि.केंका.पीपीजी.एसईसी.सं.8/11.01.005/2024-25
26 जुलाई 2024
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया/महोदय,
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क
कृपया प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई फ्रेमवर्क पर परिपत्र डीओआर(पीसीबी).बीपीडी. परिपत्र संख्या 9/12.05.001/2019-20 दिनांक 6 जनवरी 2020 देखें।
- यूसीबी के लिए मौजूदा पर्यवेक्षी कार्रवाई फ्रेमवर्क (एसएएफ) की समीक्षा की गई है। तदनुसार, त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क नामकरण के तहत एसएएफ को प्रतिस्थापित करने वाला संशोधित फ्रेमवर्क संलग्न अनुबंध में शामिल है।
- पीसीए फ्रेमवर्क सभी समावेशी निदेशों के तहत आने वाले यूसीबी को छोड़कर टियर 2, टियर 3 और टियर 4 श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले सभी यूसीबी पर लागू होगा।[1] यद्यपि टियर 1 यूसीबी, अभी तक पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत शामिल नहीं किए गए हैं तथापि मौजूदा पर्यवेक्षी फ्रेमवर्क के तहत संवर्धित निगरानी के अधीन होंगे। पीसीए फ्रेमवर्क से टियर 1 यूसीबी को छूट की समीक्षा नियत समय पर की जाएगी।
- पीसीए फ्रेमवर्क का उद्देश्य उचित समय पर पर्यवेक्षी हस्तक्षेप को सक्षम करना है और यह यूसीबी को अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए समयबद्ध तरीके से उपचारात्मक उपाय शुरू करने और लागू करने को आवश्यक बना देता है। पीसीए फ्रेमवर्क आरबीआई को फ्रेमवर्क में निर्धारित सुधारात्मक कार्रवाइयों के अलावा, किसी भी समय जब वह उचित समझे कोई अन्य कार्रवाई करने से नहीं रोकता है।
- पीसीए फ्रेमवर्क के प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
- यूसीबी जो वर्तमान में उल्लिखित परिपत्र डीओआर (पीसीबी) बीपीडी. परिपत्र सं 9/12.05.001/2019-20 दिनांक 6 जनवरी 2020 के आधार पर पर्यवेक्षी कार्रवाई के अधीन हैं, वे उन पर लगाए गए प्रतिबंधों द्वारा शासित होते रहेंगे। ऐसे यूसीबी को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मामले-दर-मामले आधार पर एसएएफ से बाहर रखने या पीसीए के तहत रखने पर विचार किया जाएगा।
- इस परिपत्र की एक प्रति आपके बैंक के निदेशक मंडल की अगली बैठक में रखी जानी चाहिए और इसकी पुष्टि संबंधित वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक के कार्यालय को भेजी जानी चाहिए।
- इस परिपत्र में शामिल अनुदेश 1 अप्रैल 2025 से एसएएफ पर जारी किए गए पूर्व अनुदेशों को अधिक्रांत करेंगे।
भवदीय,
(तरुण सिंह)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक: प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पीसीए फ्रेमवर्क
अनुबंध
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए पीसीए फ्रेमवर्क
ए. संशोधित पीसीए फ्रेमवर्क में निगरानी के लिए पूंजी, आस्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता प्रमुख क्षेत्र होंगे।
बी. पूंजी, आस्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता के लिए ट्रैक किए जाने वाले संकेतक क्रमशः सीआरएआर, निवल एनपीए अनुपात (निवल अग्रिमों में निवल एनपीए का प्रतिशत) और निवल लाभ होंगे।
सी. चिह्नित किए गए संकेतकों की जोखिम सीमा के उल्लंघन के आधार पर पीसीए फ्रेमवर्क टियर 2, टियर 3 और टियर 4 में आने वाले सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) पर लागू होगा।
डी. किसी भी जोखिम सीमा के उल्लंघन (जैसा कि नीचे बताया गया है) के परिणामस्वरूप पीसीए लागू होगा।
पीसीए मैट्रिक्स - मानदंड, संकेतक और जोखिम सीमाएँ
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मानदंड
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संकेतक
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जोखिम सीमा
1
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जोखिम सीमा
2
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जोखिम सीमा 3
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(1)
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(2)
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(3)
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(4)
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(5)
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पूंजी
(सीआरएआर का उल्लंघन)[2]
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सीआरएआर - न्यूनतम विनियामक आवश्यकता, जैसा लागू हो*
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कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक से 250 बीपीएस तक नीचे
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कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक से 250 बीपीएस से अधिक लेकिन 400 बीपीएस से अधिक नहीं
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कॉलम (2) में निर्धारित संकेतक से 400 बीपीएस से अधिक नीचे
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आस्ति गुणवत्ता
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निवल गैर-निष्पादित अग्रिम (एनएनपीए) अनुपात
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>=6.0% लेकिन <9.0%
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>=9.0% लेकिन < 12.0%
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>=12.0%
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लाभप्रदता
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निवल लाभ
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लगातार दो वर्षों तक घाटा हुआ
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--
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--
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* 31 मार्च 2026 तक 12% की विनियामक न्यूनतम सीआरएआर प्राप्त करने के लिए प्रदान किए गए ग्लाइड पथ के अनुसार टियर 2 से 4 यूसीबी के लिए।
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इ. एक बैंक को आम तौर पर रिपोर्ट किए गए/लेखापरीक्षित वार्षिक वित्तीय परिणामों और/या आरबीआई द्वारा किए गए पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा जाएगा। हालाँकि, परिस्थितियों के अनुकूल होने पर आरबीआई किसी वर्ष के दौरान (एक सीमा से दूसरी सीमा में स्थानांतरण सहित) किसी भी बैंक पर पीसीए लगा सकता है। यद्यपि की गई पर्यवेक्षी कार्रवाई मुख्य रूप से पीसीए फ्रेमवर्क के तहत निर्दिष्ट मानदंडों पर आधारित होगी, अन्य महत्वपूर्ण संकेतकों/मापदंडों में दबाव देखे जाने पर या गंभीर अभिशासन संबंधी मामले में रिज़र्व बैंक को उचित पर्यवेक्षी कार्रवाई करने से नहीं रोका जाएगा। साथ ही, रिज़र्व बैंक को प्रत्येक मामले के गुण-दोष के आधार पर, इस परिपत्र में दर्शाई गई बातों के अलावा अन्य कोई भी पर्यवेक्षी कार्रवाई करने से नहीं रोका जाएगा।
एफ. पीसीए से बाहर निकलना और पीसीए के तहत प्रतिबंधों को वापस लेना - एक बार जब किसी बैंक को पीसीए के तहत रखा जाता है, तो बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकालने और/या पीसीए फ्रेमवर्क के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने पर विचार किया जाएगा: ए) यदि किसी भी पैरामीटर में चार निरंतर त्रैमासिक वित्तीय विवरणों जिनमें से एक लेखापरीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण होना चाहिए, के अनुसार किसी भी मानदंड में जोखिम सीमा मे कोई उल्लंघन नहीं होता है(आरबीआई द्वारा मूल्यांकन के अधीन) ; और बी) आरबीआई की पर्यवेक्षी सुविधा के आधार पर, जिसमें बैंक की प्रमुख वित्तीय स्थिति में स्थायी सुधार पर मूल्यांकन भी शामिल है।
जी. जब किसी बैंक को पीसीए के तहत रखा जाता है, तो निम्नलिखित सुधारात्मक कार्रवाइयों में से एक या अधिक निर्धारित की जा सकती हैं:
अनिवार्य और विवेकाधीन कार्रवाई
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विशेष विवरण
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अनिवार्य कार्रवाई
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विवेकाधीन कार्रवाई
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जोखिम सीमा 1
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- बैंक या तो मौजूदा सदस्यों से या इक्विटी और अन्य अनुमेय पूंजी उपकरण जारी करके पूंजी जुटाएगा
- लाभांश/दान की घोषणा/भुगतान पर प्रतिबंध
- तकनीकी उन्नयन के अलावा अन्य पूंजीगत व्यय पर उचित प्रतिबंध
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सामान्य मेनू - से संबंधित कार्रवाइयां:
- विशेष पर्यवेक्षी कार्रवाई
- कार्यनीति संबंधी
- अभिशासन संबंधी
- पूंजी संबंधी
- ऋण जोखिम संबंधी
- बाज़ार जोखिम संबंधी
- एचआर से संबंधित
- लाभप्रदता संबंधी
- परिचालन/कारोबार संबंधी
- सभी समावेशी निदेशों को लागू करना/बैंकिंग लाइसेंस रद्द करना
- कोई अन्य
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जोखिम सीमा 2
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सीमा 1 की अनिवार्य कार्रवाइयों के अलावा,
- शाखा विस्तार पर प्रतिबंध
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जोखिम सीमा 3
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सीमा 1 और 2 की अनिवार्य कार्रवाइयों के अलावा,
- जमाराशियों के कुल आकार के विस्तार पर उचित प्रतिबंध/निषेध
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विवेकाधीन सुधारात्मक कार्रवाइयों के चयन के लिए सामान्य मेनू
1. विशेष पर्यवेक्षी कार्रवाई
i. त्रैमासिक या अन्य चिन्हित आवृत्ति पर विशेष पर्यवेक्षी निगरानी बैठकें
ii. बैंक का विशेष निरीक्षण/लक्षित जांच
iii. मौजूदा पर्यवेक्षी तंत्र के तहत और/या बाहरी लेखा परीक्षकों के माध्यम से बैंक का विशेष और/या अतिरिक्त लेखापरीक्षा कराना
iv. समामेलन या पुनर्निर्माण द्वारा बैंक का विघटन (संदर्भ: बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 45)
2. कार्यनीति संबंधी कार्रवाई
आरबीआई बैंक के बोर्ड को निम्न को लेकर सूचित करेगा:
i. उस कार्य योजना को सक्रिय करें जिसे पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया है।
ii. त्रैमासिक/मासिक आधार पर कार्य योजना के तहत प्रगति की समीक्षा करें और समीक्षा के बाद की प्रगति रिपोर्ट आरबीआई को प्रस्तुत करें।
iii. व्यवसाय मॉडल की स्थिरता, व्यवसाय क्षेत्र और गतिविधियों की लाभप्रदता, मध्यम और दीर्घकालिक व्यवहार्यता आदि के संदर्भ में विस्तृत समीक्षा करें।
iv. तात्कालिक चिंताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए अल्पकालिक रणनीति की समीक्षा करें।
v. मध्यम अवधि की व्यावसायिक योजनाओं की समीक्षा करें, प्राप्त करने योग्य लक्ष्यों की पहचान करें और प्रगति एवं उपलब्धि के लिए ठोस लक्ष्य निर्धारित करें
vi. उचित रूप से व्यवसाय प्रक्रिया पुनर्रचना करें।
vii. जैसा उचित हो परिचालन का पुनर्गठन करें।
viii. तुलन पत्र (बैलेंस शीट) के आकार के विस्तार पर प्रतिबंध।
ix. यदि उनके द्वारा उठाए गए कदमों से वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं तो विलय का विकल्प तलाशें; यूसीबी को किसी अन्य बैंक के साथ विलय करने या खुद को क्रेडिट सोसायटी में परिवर्तित करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव की मांग करें
3. शासन संबंधी कार्रवाई
i. आरबीआई उचित समझे जाने वाले विभिन्न पहलुओं पर बैंक के बोर्ड के साथ सक्रिय रूप से जुड़ेगा।
ii. आरबीआई बीआर अधिनियम 1949 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्रबंधकीय व्यक्तियों को हटाएगा, जैसा लागू हो।
iii. आरबीआई बीआर अधिनियम 1949 (एएसीएस) की धारा 36एएए के तहत बोर्ड का अधिक्रमण करेगा।
iv. आरबीआई लागू बीआर अधिनियम 1949 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत बोर्ड पर अतिरिक्त निदेशकों की नियुक्ति करेगा, जैसा लागू हो।
v. आरबीआई बीआर अधिनियम, 1949 के तहत अनुमत अन्य प्रतिबंध या शर्तें लगाएगा।
4. पूंजी संबंधी कार्रवाई
i. पूंजी नियोजन की विस्तृत बोर्ड स्तरीय समीक्षा - यूसीबी को 12 महीनों के भीतर सीआरएआर को न्यूनतम विनियामक आवश्यकता तक या उससे अधिक बढ़ाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी।
ii. अतिरिक्त पूंजी जुटाने हेतु योजनाएं एवं प्रस्ताव प्रस्तुत करना
iii. बैंक को प्रतिधारित लाभ के माध्यम से आरक्षित निधि बढ़ाने की आवश्यकता है
iv. गैर-प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियों/संस्थाओं में निवेश पर प्रतिबंध
v. पूंजी संरक्षण के लिए उच्च जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के विस्तार पर प्रतिबंध
vi. पूंजी संरक्षण के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में एक्सपोज़र में कमी
vii. गैर-प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियों/संस्थाओं में हिस्सेदारी बढ़ाने पर प्रतिबंध
5. ऋण जोखिम संबंधी कार्रवाई
i. एनपीए के स्टॉक में कमी के लिए समयबद्ध योजना की तैयारी और प्रतिबद्धता - यूसीबी अपने निवल एनपीए को जोखिम सीमा 1 से नीचे कम करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित कार्य योजना प्रस्तुत करेगा।
ii. नए एनपीए के निर्माण पर रोक लगाने के लिए योजना तैयार करना और उसके प्रति प्रतिबद्ध होना।
iii. एनपीए/एनपीआई के लिए और कवरेज व्यवस्था के हिस्से के रूप में उच्च प्रावधान।
iv. ऋण समीक्षा तंत्र को सुदृढ़ बनाना।
v. कुल ऋण जोखिम भार घनत्व में निर्बंधन/कमी (उदाहरण के लिए कुछ रेटिंग ग्रेड से नीचे के उधारकर्ताओं के लिए ऋण में निर्बंधन/कमी, 100% से अधिक और/या निर्दिष्ट सीमा से अधिक जोखिम भार वाले नए ऋणों और अग्रिमों पर प्रतिबंध, अरक्षित एक्सपोज़र आदि में प्रतिबंध/कमी)
vi. चिह्नित किए गए क्षेत्रों, उद्योगों या उधारकर्ताओं में ऋण संकेंद्रण में कमी; एनपीए/डिफॉल्ट के उच्च अनुपात वाले क्षेत्रों/संवर्गों के लिए ऋण सुविधाओं की मंजूरी/नवीनीकरण में कटौती ।
vii. नए ऋणों और अग्रिमों के लिए एक्सपोज़र सीमा में कमी।
viii. गैर-बैंकिंग परिसंपत्तियों की बिक्री।
ix. उच्च जोखिम वाली परिसंपत्तियों में कमी।
x. चूककर्ता उधारकर्ताओं के लिए ऋण सीमा के नवीनीकरण से बचना।
xi. क्षेत्रों की पहचान (भूगोल-वार, उद्योग संवर्ग-वार, उधारकर्ता-वार, आदि) और समर्पित रिकवरी टास्क फोर्स, अदालतों आदि की स्थापना के माध्यम से परिसंपत्तियों की वसूली के लिए कार्य योजना।
xii. सरकारी प्रतिभूतियों/अन्य उच्च गुणवत्ता वाले नकदी निवेशों (लिक्विड ईन्वेस्ट्मेंट्स) में निवेश के अलावा ऋण/निवेश पोर्टफोलियो के विस्तार पर प्रतिबंध।
6. चलनिधि/बाज़ार जोखिम संबंधी कार्रवाई
i. अंतर-बैंक बाजार से लेन-देन पर प्रतिबंध/उधार में कमी
ii. थोक जमा/महंगी जमा तक पहुंच/नवीनीकरण पर प्रतिबंध
iii. जमा राशि के आकार के विस्तार पर रोक
iv. तरल परिसंपत्तियों और अल्पकालिक देनदारियों के अनुपात में सुधार
7. मानव संसाधन संबंधी कार्रवाई
i. स्टाफ विस्तार पर प्रतिबंध
ii. मौजूदा कर्मचारियों की विशेष प्रशिक्षण आवश्यकताओं की समीक्षा
8. लाभप्रदता संबंधी कार्रवाई
i. पूंजीगत व्यय पर उचित प्रतिबंध
ii. परिवर्ती परिचालन लागत में प्रतिबंध/कमी
9. परिचालन संबंधी कार्रवाइयां
i. ब्याज एवं परिचालन/प्रशासनिक खर्चों में कमी के उपाय
ii. शाखा विस्तार योजनाओं पर प्रतिबंध
iii. गैर-प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियों में कमी
iv. व्यवसाय के नए क्षेत्रों में प्रवेश पर प्रतिबंध
v. गैर निधि आधारित कारोबार में कमी के माध्यम से लीवरेज में कमी
vi. जोखिम वाली परिसंपत्तियों में कमी
vii. ऋणेतर परिसंपत्ति निर्माण पर प्रतिबंध
viii. निर्दिष्ट अनुसार व्यवसाय करने पर प्रतिबंध
ix. आउटसोर्सिंग गतिविधियों पर प्रतिबंध/कमी
x. नई उधारी पर प्रतिबंध
xi. घाटे में चल रहे/गैर-लाभकारी/अव्यवहार्य व्यवसायों की पहचान करना और उन्हें बंद करना
xii. निर्दिष्ट व्यवसाय /व्यवसाय के नए क्षेत्र में प्रवेश/शाखा विस्तार पर प्रतिबंध
xiii. शाखाओं को युक्तिसंगत बनाना, घाटे में चल रही शाखाओं को यथासंभव सीमा तक बंद करना या विलयित करना
10. अन्य कार्रवाइयां
i. कोई अन्य विशिष्ट कार्रवाई जो आरबीआई किसी बैंक की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित समझे।
[1] सभी समावेशी निदेशों (एआईडी) के तहत आने वाले यूसीबी की यथावत निगरानी होती रहेगी, जिसमें एआईडी के तहत शर्तें भी शामिल है। ऐसे यूसीबी को पीसीए फ्रेमवर्क के प्रावधानों के अनुपालन के लिए एक उपयुक्त संक्रमण समय प्रदान किया जाएगा, जब भी ये एआईडी से बाहर आते हैं।
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