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अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

आरबीआइ/2008-09/435
बैंपविवि.बीपी. बीसी. सं. 124/21.04.132/2008-09

 
17 अप्रैल 2009
 
27 चैत्र 1931 (शक)
 

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को छोड़कर)

 
महोदय
 

अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

 

कृपया आप उपर्युक्त विषय पर 27 अगस्त 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी.37/ 21.04.132/ 2008-09 तथा उसके बाद उपर्युक्त विषय पर जारी परिपत्र देखें । इस बात के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि यदि कोई खाता 1 सितंबर 2008 को मानक था पर उसके बाद अनर्जक बन गया हो तो क्या उपर्युक्त परिपत्रों के अनुसार अग्रिम की पुनर्रचना के लिए केवल एक आवेदन प्राप्त होने से ही उसे मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत करने का अधिकार बैंक को मिल जाएगा ।

2. इस संबंध में हम सूचित करते हैं कि 27 अगस्त 2008 के उक्त परिपत्र के पैरा 3.1.2 के अनुसार अग्रिम की पुनर्रचना के लिए किया गया आवेदन जब तक विचाराधीन है तब तक सामान्य आस्ति वर्गीकरण मानदंड लागू होना जारी रहेगा । किसी आस्ति के पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया केवल इस वजह से नहीं रुकनी चाहिए कि आवेदन विचाराधीन है । तथापि, बैंक यदि निम्नलिखित समय अनुसूची के अनुसार अनुमोदित पैकेज कार्यान्वित करता है तो पैकेज के तत्पर कार्यान्वयन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में आस्ति वर्गीकरण का स्तर सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत आनेवाले मामलों के संबंध में सीडीआर कक्ष को भेजने के समय अथवा सीडीआर से इतर मामलों में बैंक द्वारा प्राप्त पुनर्रचना के आवेदन के समय की स्थिति पर पुन: स्थापित किया जाए :

(i) सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत अनुमोदन की तारीख से 120 दिन के भीतर ।
(ii) सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत पुनर्रचित मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में बैंक को आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 90 दिन के भीतर ।

3. चूंकि सितंबर 2008 से विशेष रूप से वैश्विक गिरावट/मंदी का प्रभाव भारतीय अर्थ व्यवस्था पर भी पड़ने लगा था जिससे अन्यथा अर्थक्षम यूनिटों/कार्यकलापों पर दबाव निर्माण हुआ, इसलिए 27 अगस्त 2008 के परिपत्र के प्रावधानों में 2 जनवरी 2009 तथा 4 फरवरी 2009 के परिपत्रों द्वारा कुछ संशोधन किए गए । उक्त संशोधनों में यह प्रावधान किया गया था कि जो खाते 1 सितंबर 2008 को मानक खाते थे उन्हें पुनर्रचना के बाद मानक खाते समझा जाएगा बशर्ते उनकी पुनर्रचना का कार्य 31 मार्च 2009 को अथवा उसके पहले प्रारंभ किया जाता है और पुनर्रचना पैकेज का कार्य प्रारंभ करने की तारीख से 120 दिन की अवधि के भीतर उस पुनर्रचना पैकेज को स्थापित किया जाता है । इस संशोधन का अर्थ यह है कि 27 अगस्त 2008 के परिपत्र के पैरा 6.2.1 के अनुसार शीघ्र कार्यान्वयन के लिए परिकल्पित किया गया प्रोत्साहन उन मामलों में भी उपलब्ध है जहां खाते 1 सितंबर 2008 को मानक थे लेकिन बैंकों द्वारा पुनर्रचना के लिए आवेदन प्राप्त करने की तारीख को अथवा सीडीआर कक्ष को भेजने की तारीख को, जो भी स्थिति हो, अनर्जक हो गए । लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ बैंकों ने इसका अर्थ यह लगाया कि पुनर्रचना के लिए आवेदन प्राप्त होने मात्र से ही वह खाता अनर्जक श्रेणी में नहीं जाएगा । यह स्थिति सही नहीं है ।

4. इस संबंध में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि जिन मामलों में 1 सितंबर 2008 को खाते मानक थे लेकिन 31 मार्च 2009 के पूर्व अनर्जक श्रेणी में आ गए, उनके पुनर्रचना पैकेज का कार्यान्वयन 31 मार्च 2009 के पहले किए जाने पर तथा 27 अगस्त 2008 के परिपत्र के पैरा 6.2.2 (इस परिपत्र की तारीख तक यथासंशोधित) में निर्धारित सभी शर्तों का भी अनुपालन किए जाने पर ही 31 मार्च 2009 की स्थिति के अनुसार उन्हें मानक रिपोर्ट किया जा सकता है । उन सभी खातों के मामलों में जहां पैकेज प्रक्रियाधीन है अथवा अनुमोदित है लेकिन जिनका अब तक पूर्णत: कार्यान्वयन नहीं किया गया है, यदि वे खाते सामान्य क्रम में अनर्जक हुए हैं तो 31 मार्च 2009 की स्थिति के अनुसार उन्हें अनर्जक के रूप में रिपोर्ट करना होगा । तथापि, निर्धारित अवधि के भीतर पैकेज के कार्यान्वयन की तारीख के बाद बैंक द्वारा की गई किसी भी विनियामक रिपोर्टिंग में इन खातों के सीडीआर प्रणाली के अंतर्गत आनेवाले मामलों के संबंध में सीडीआर कक्ष को उन्हें भेजने की तारीख से अथवा सीडीआर से इतर मामलों में बैंक द्वारा पुनर्रचना का आवेदन प्राप्त करने की तारीख से पूर्वव्यापी प्रभाव से मानक आस्तियों के रूप में रिपोर्ट किया जा सकता है । इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि पूर्वव्यापी प्रभाव से रिपोर्ट करने का अर्थ अंतिम रूप दिए जा चुके तुलनपत्र को पुन: खोलने से नहीं है । इसका अर्थ यह है कि सभी अनुवर्ती रिपोर्टिंग में खाते को मानक खाते के रूप में रिपोर्ट किया जाएगा तथा अनर्जक आस्ति के रूप में उसकी अंतरिम गिरावट के कारण किए गए प्रावधानों को रद्द किया जा सकता है ।

5. 8 दिसंबर 2008, 2 जनवरी 2009 तथा 4 फरवरी 2009 के परिपत्र 1 जुलाई 2009 से लागू नहीं रहेंगे । उसके बाद सभी खातों की पुनर्रचना केवल 27 अगस्त 2008, 3 नवंबर 2008 तथा 9 अप्रैल 2009 के परिपत्रों के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होगी ।

6. बैंक 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र के अनुसार अपेक्षित प्रकटीकरणों के अलावा अनुबंध में दिए गए अनुसार जानकारी भी तुलनपत्र में प्रकट करें ।

 
 
भवदीय
 

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


 
पुनर्रचित खातों से संबंधित अतिरिक्त प्रकटीकरण
 

क्र.सं.

प्रकटीकरण

संख्या

राशि
(करोड़ रुपये में)

1

1 सितंबर 2008 को जो खाते मानक थे, उनके संबंध में पुनर्रचना के लिए 31 मार्च 2009 तक प्राप्त आवेदन

 

 

2

(1) में से, 31 मार्च 2009 को अनुमोदित तथा कार्यान्वित तथा उसी कारण विशेष विनियामक व्यवहार के लिए पात्र हुए तथा तुलनपत्र की तारीख को मानक आस्तियों के रुप में वर्गीकृत प्रस्ताव

 

 

3

(1) में से, 31 मार्च 2009 को अनुमोदित तथा कार्यान्वित लेकिन मानक श्रेणी में उन्नत नहीं किए जा सके प्रस्ताव

 

 

4

(1) में से, प्रक्रिया/कार्यान्वयन के अधीन प्रस्ताव जो 31 मार्च 2009 को मानक थे.

 

 

5

(1) में से, प्रक्रिया /कार्यान्वयन के अधीन प्रस्ताव जो 31 मार्च 2009 को अनर्जक आस्ति बने लेकिन जो कि पैकेज के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत होना अपेक्षित है।

 

 

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