बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश
आरबीआइ/2010-11/561 10 जून 2011 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ महोदय बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश कृपया `बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश' पर 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 37/21.04.132/2008-09 का पैराग्राफ 3.4.2(v) देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि यदि विशेषज्ञता/समुचित इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में उन्हें अपनी छोटी/ग्रामीण शाखाओं द्वारा दिए गए अग्रिमों के उचित मूल्य में ह्रास की गणना करने में कोई कठिनाई होती है तो उन्हें उचित मूल्य में ह्रास की राशि की नोशनल गणना करने का विकल्प होगा । इसके लिए उन्हें उन सभी पुनर्रचित खातों के संबंध में कुल एक्सपोज़र के पांच प्रतिशत का प्रावधान करना होगा जहां मार्च 2011 में समाप्त वित्त वर्ष तक कुल बकाया एक करोड़ रुपये से कम है । यह भी सूचित किया गया था कि बाद में इस स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा । 2. इसकी समीक्षा के उपरांत यह निर्णय लिया गया है कि छोटी तथा ग्रामीण शाखाओं द्वारा दिए गए अग्रिमों के उचित मूल्य में ह्रास की गणना का उपर्युक्त विकल्प पुनर्रचना के बाद अगले दो वर्षों तक अर्थात् 31 मार्च 2013 को समाप्त वित्त वर्ष तक लागू रहेगा । इस स्थिति की समीक्षा बाद में की जाएगी । भवदीय (एम. पी. बालिगा) |