बुनियादी संरचना क्षेत्र को अग्रिमों के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
बुनियादी संरचना क्षेत्र को अग्रिमों के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआई/2012-13/445 18 मार्च 2013 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय बुनियादी संरचना क्षेत्र को अग्रिमों के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंड ‘गैर-जमानती अग्रिमों पर विवेकपूर्ण मानदंड’ पर हमारे दिनांक 17 अप्रैल 2009 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 125/21.04.048/2008-09 के अनुसार परियोजनाओं (संरचनात्मक क्षेत्र की परियोजनाओं सहित) के संबंध में बैंकों को संपार्श्विक के रूप में दिए गए अधिकारों, लाइसेंसों, प्राधिकारों इत्यादि को मूर्त जमानत के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। तथापि यह देखा गया था कि बुनियादी संरचना परियोजनाएं, विशेषतः सड़क/राजमार्ग परियोजनाएं, विशेष स्वरूप की होती हैं जहां बैंक वित्त द्वारा निर्मित परिसंपत्तियों को बैंक में गिरवी/बंधक नहीं रखा जा सकता है लेकिन परिसंपत्ति से वार्षिकी/चुंगी वसूली प्राप्त करने के कतिपय अधिकार उधारदाताओं के पास दृष्टिबंधक रखे जा सकते हैं। 2. उपर्युक्त के मद्देनजर, ‘बुनियादी संरचना क्षेत्र को अग्रिमों के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश’ पर दिनांक 23 अप्रैल 2010 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 96/08.12.014/2009-10 के द्वारा बैंकों को यह अनुमति दी गई है कि वे सड़क/राजमार्ग परियोजनाओं के मामले में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल के अंतर्गत अर्जित की जाने वाली वार्षिकी तथा चुंगी वसूली अधिकारों को मूर्त जमानत के रूप में स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन तब जब एक निश्चित स्तर का यातायात प्राप्त नहीं होने पर परियोजना के प्रायोजक को क्षतिपूर्ति करने के प्रावधान हों। यह इस शर्त के अधीन है कि वार्षिकी एवं चुंगी वसूली अधिकारों को प्राप्त करने का बैंक का अधिकार विधिक रूप से लोगू करने योग्य तथा अप्रतिसंहरणीय हो। 3. हमारा ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया है कि भारत में अधिकांश परियोजनाएं उपयोगकर्ता प्रभारों पर आधारित हैं जिसके लिए योजना आयोग ने मॉडल कन्सेशन एग्रीमेंट्स (एमसीए) प्रकाशित किए हैं। इन्हें विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने अपनी संबंधित सरकारी-निजी सहभागिता (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए अपनाया है तथा वे उधारदाताओं को उनके ऋण की सुरक्षा के संबंध में पर्याप्त आश्वासन प्रदान करते हैं। उक्त विशेषताओं के मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया है कि पीपीपी परियोजनाओं के मामले में ऋणदाताओं को देय ऋणों को, कन्सेशन एग्रीमेंट के अनुसार परियोजना प्राधिकारी द्वारा दिए गए आश्वासन की हद तक, निम्नलिखित शर्तों के अधीन, सुरक्षित/प्रतिभूति माना जाएः
ऐसे सभी मामलों में, बैंकों को चाहिए कि वे त्रिपक्षीय समझौते के प्रावधानों की विधिक प्रवर्तनीयता के संबंध में संतुष्ट हों लें और ऐसी संविदाओं में अपने अतीत के अनुभवों के आधार पर परिवर्तन करें। भवदीय (सुधा दामोदर) |