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सहकारी बैंकों द्वारा अशोध्य और संदिग्ध कर्ज़ रिज़र्व का विवेकपूर्ण उपाय

आरबीआई/2024-25/58
डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.27/09.18.201/2024-25

02 अगस्त 2024

महोदय/महोदया

सहकारी बैंकों द्वारा अशोध्य और संदिग्ध कर्ज़ रिज़र्व का विवेकपूर्ण उपाय

जैसाकि आप जानते हैं कि, संबंधित राज्य सहकारी समिति अधिनियमों के प्रावधानों के तहत, अथवा अन्यथा, विवेकपूर्ण विचार से, कई सहकारी बैंकों ने अशोध्य और संदिग्ध कर्ज़ रिज़र्व (बीडीडीआर)1 सृजित किया है। जबकि कुछ मामलों में, बीडीडीआर को लाभ और हानि (पी एंड एल) लेखा में एक व्यय की पहचान कर सृजित किया जाता है, अन्य मामलों में इसे निवल लाभ से विनियोजन के माध्यम से सृजित किया जाता है।

2. लेखा मानक (एएस) 52 के संदर्भ में, किसी अवधि में पहचाने जाने वाले सभी खर्चों को उस अवधि के लिए निवल लाभ अथवा हानि के निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए। परिणामस्वरूप, पी एंड एल खाते में निवल लाभ की गणना के समय अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के लिए आवश्यक प्रावधानों को व्यय के रूप में मान्यता नहीं देना मौजूदा लेखांकन मानकों के अनुरूप नहीं है। इसके अतिरिक्त, विनियामक पूंजी के लिए बीडीडीआर का उपाय और निवल एनपीए की गणना बैंकों में भिन्न प्रकार से होती है और कई मामलों में विनियामक मानदंडों के साथ भिन्नता पाई गई है।

3. तदनुसार, विवेकपूर्ण उद्देश्यों के लिए बीडीडीआर के उपचार में एकरूपता लाने की दृष्टि से, बीडीडीआर पर संशोधित अनुदेश जारी किए जा रहे हैं, जो निम्नानुसार हैं:

ए) वित्त वर्ष 2024-25 से, आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण (आईआरएसीपी) मानदंडों3 के अनुसार सभी प्रावधान, वह "बीडीडीआर" अथवा किसी अन्य खाता शीर्ष के तहत गणना में लिए गए हों, उन्हें उस लेखा अवधि जिसमें उनकी पहचान की गई है, में पी एंड एल लेखा में व्यय के रूप में प्रभारित किया जाएगा । विनियामक पूंजी प्रयोजनों के लिए ऐसे प्रावधानों की पात्रता पूंजी पर्याप्तता4 पर मौजूदा दिशानिर्देशों में परिभाषा के अनुसार जारी रहेगी।

बी) आईआरएसीपी मानदंडों और अन्य मौजूदा विनियमों के अनुसार सभी लागू प्रावधानों को पी एंड एल लेखा में प्रभारित करने के बाद, लागू कानूनों के अनुसार अथवा अन्यथा आवश्यक होने पर बैंक बीडीडीआर  सीमा के नीचे निवल लाभ का कोई भी विनियोजन कर सकते हैं।

सी) एकबारगी उपाय के रूप में, सुधार की सुगमता और एएस अनुरूप दृष्टिकोण में सुचारू परिवर्तन के उद्देश्य से, निम्नलिखित विनियामक उपाय निर्धारित किए गए है:

  1. पहले, बैंकों ने पी एंड एल लेखा में व्यय के रूप में इसे पहचानने के बजाय निवल लाभ से विनियोजन करके आईआरएसीपी मानदंडों के अनुसार आवश्यक प्रावधान किए होंगे। दिनांक 31 मार्च 2024 तक बीडीडीआर में शेष राशि, जो पिछले वर्षों (जिसे इसके बाद 'बीडीडीआर2024' कहा जाएगा) में आईआरएसीपी मानदंडों के अनुसार ऐसे प्रावधानों (जो पी एंड एल लेखा में व्यय के रूप में पहचाने जाने के बजाय निवल लाभ से सीधे विनियोजन करके बनाए गए हैं) को दर्शाती है, उनकी पहचान की जाएगी और परिमाण निर्धारित किया जाएगा।
  2. दिनांक 31 मार्च 2025 तक, बीडीडीआर2024 की सीमा तक, एनपीए (अर्थात देयता) के प्रावधानों के लिए पी एंड एल लेखा अथवा सामान्य रिज़र्व से सीधे (अर्थात 'सीमा के नीचे') विनियोजन किया जाएगा। एनएनपीए को प्राप्त के लिए ऐसे प्रावधानों को जीएनपीए से अलग करने की अनुमति होगी।
  3. जहां तक प्रयोज्य संविधि के अनुसार बीडीडीआर में शेष राशि की आवश्यकता नहीं है, उसे पी एंड एल लेखा में सीमा के नीचे सामान्य रिज़र्व/शेष में भी अंतरित किया जा सकता है।
  4. उपरोक्त प्रविष्टियों को पारित करने के बाद, बीडीडीआर में शेष राशि को टियर 1 पूंजी के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। हालांकि, निवल एनपीए बीडीडीआर में शेष राशि को सकल एनपीए से घटाकर प्राप्त नहीं किया जा सकता।

4. बैंकों को संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम / बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का अनुपालन करना चाहिए।

प्रयोज्यता

5. यह परिपत्र सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों पर लागू है। यह अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू हैं।

भवदीया

(उषा जानकीरामन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


1 इस परिपत्र के संदर्भ में, बीडीडीआर में ऐसी समान शब्दावली वाले रिज़र्व भी शामिल हैं।

2 एएस 5 – निर्धारित अवधि के लिए निवल लाभ या हानि, अवधि पूर्व की मदें और लेखांकन नीतियों में परिवर्तन।

3 शहरी सहकारी बैंक 02 अप्रैल, 2024 के मास्टर परिपत्र विवि.एसटीआर.आरईसी.9/21.04.048/2024-25 जिसका शीर्षक है ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामलों - यूसीबी’ (समय-समय पर संशोधित) और राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक आईआरएसीपी मानदंडों पर नाबार्ड द्वारा जारी दिशानिर्देशों का संदर्भ लें (समय-समय पर संशोधित)।

4 शहरी सहकारी बैंक 01 अप्रैल 2024 के मास्टर परिपत्र डीओआर.सीएपी.आरईसी.5/09.18.201/2024-25 जिसका शीर्षक है 'पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' (समय-समय पर संशोधित) और राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक 4 दिसंबर 2007 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी.केंका.आरएफ.बीसी.40/07.38.03/2007-08 जिसका शीर्षक है 'राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता मानदंडों का अनुप्रयोग' का संदर्भ लें (समय-समय पर संशोधित)।

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