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पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के साथ समामेलन) योजना, 2022 - इंटरबैंक एक्सपोजर पर प्रावधान और स्थायी गैर-संचयी अधिमानी शेयरों (पीएनसीपीएस) और इक्विटी वारंट का मूल्यांकन

आरबीआई/2022-23/70
विवि.एमआरजी.आरईसी.46/00-00-011/2022-23

10 जून 2022

महोदया/ महोदय

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के साथ समामेलन) योजना, 2022 - इंटरबैंक एक्सपोजर पर प्रावधान और स्थायी गैर-संचयी अधिमानी शेयरों (पीएनसीपीएस) और इक्विटी वारंट का मूल्यांकन

कृपया 25 जनवरी 2022 को अधिसूचित पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के साथ समामेलन) योजना, 2022 (इसके बाद 'योजना' के रूप में उल्लिखित) का संदर्भ ग्रहण करें।

2. दिनांक 20 अप्रैल 2020 के परिपत्र विवि.(पीसीबी)बीपीडी.परि.सं.11/16.20.000/2019-20 के अनुसार, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) को सूचित किया गया कि ऐसे अंतरबैंक एक्स्पोजर जो किसी यूसीबी द्वारा सर्व समावेशी निदेशों के तहत आने वाले यूसीबी के साथ रखी जमा राशि से उत्पन्न हुए है एवं सर्व समावेशी निदेशों के तहत आने वाले यूसीबी द्वारा जारी किए गए साख पत्रों के तहत आहरित भुनाये गए बिलों से उत्पन्न गैर निष्पादित एक्सपोजर पर 20% सालाना की दर से पाँच वर्ष में पूरा प्रावधान किया जाए। इसके अलावा, यदि यूसीबी ऐसी जमाराशि को दीर्घकालिक ऋण लिखतों (जैसे कि इनोवेटिव परपेचुयल डैब्ट इंस्ट्रूमेंट - आईपीडीआई) में परिवर्तित करना चुनते हैं, जिन्हें सर्व समावेशी निदेशों के तहत आने वाले यूसीबी के पुनर्गठन / पुनरुद्धार की योजना के तहत पूंजी साधन के रूप में मान्यता दी जा सकती है, तो जमाराशि के उस हिस्से पर प्रावधान की आवश्यकता नहीं होगी जिसे ऐसे लिखतों में परिवर्तित किया गया है।

3. इस योजना में नियत तारीख को बकाया बीमारहित जमाराशियों (जिसमें 31 मार्च 2021 तक अर्जित ब्याज शामिल है) को संस्थागत जमाकर्ताओं के क्रेडिट में स्थायी गैर-संचयी अधिमानी शेयरों (पीएनसीपीएस) और यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (यूएसएफबी) के इक्विटी वारंट में बदलने का प्रावधान है। हालांकि, यह पाया गया है कि संस्थागत जमाकर्ताओं के खाते में पीएनसीपीएस और इक्विटी वारंट की वास्तविक प्राप्ति अभी तक बाकी है। इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि शहरी सहकारी बैंक 20 अप्रैल 2020 के परिपत्र के अनुसार अंतर-बैंक एक्सपोजर पर प्रावधान करना जारी रखेंगे, जो कि पीएनसीपीएस/इक्विटी वारंटों के वास्तविक आवंटन तक, पूर्वोक्त बकाया बीमाकृत जमाराशियों से उत्पन्न होता है। पीएनसीपीएस/इक्विटी वारंटों के आवंटन के बाद, जमाराशियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों पर किए गए प्रावधानों को केवल तभी रिवर्स किया जाएगा, जब ऐसे प्रावधान पीएनसीपीएस और इक्विटी वारंट के समाधान (नीचे पैराग्राफ 4 और 5 में प्रदान किए गए अनुसार) के कारण, यदि कोई हो, अत्यधिक नुकसान में हो ।

4. इक्विटी वारंट का मूल्य प्रति वारंट 1 की कीमत का होगा। जैसे कि और जब इक्विटी वारंट को इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जाता है, यह मूल्यांकन बाजार निर्धारित कीमतों पर किया जाएगा। इस प्रकार, वर्तमान में, इक्विटी वारंट में निवेश पर कोई प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं है।

5. शहरी सहकारी बैंक पीएनसीपीएस में अपने निवेश के लिए पूरी तरह से प्रावधान करेंगे। शहरी सहकारी बैंकों को पीएनसीपीएस में अपने निवेश के प्रावधानों का प्रसार करने की अनुमति है। बकाया अबीमाकृत जमाराशियों से उत्पन्न होने वाले एक्सपोजर को उन पर किए गए मौजूदा प्रावधानों के निवल को घटाकर, दो वित्तीय वर्षों में समान रूप से इस तरह से विभाजित किया जाए कि संपूर्ण नुकसान का 31 मार्च 2024 तक पूरी तरह से प्रावधान किया जाए।

6. इसके अलावा, इन पीएनसीपीएस और इक्विटी वारंटों को गैर-एसएलआर निवेश के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और उन्हें 1 अप्रैल 2022 के प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा निवेश पर जारी मास्टर परिपत्र के पैरा 12.1.2 (ए) और 12.1.2 (बी) में निर्धारित सीमाओं से छूट दी जाएगी।

उपयुक्तता

7. यह परिपत्र सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों पर लागू है।

8. ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

भवदीया

(उषा जानकीरमन)
मुख्य महाप्रबंधक

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