शाखा प्राधिकरण नीति को युक्तिसंगत बनाना - दिशानिर्देशों की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
शाखा प्राधिकरण नीति को युक्तिसंगत बनाना - दिशानिर्देशों की समीक्षा
भारिबै/2018-19/194 मई 31, 2019 अध्यक्ष महोदया/महोदय शाखा प्राधिकरण नीति को युक्तिसंगत बनाना - दिशानिर्देशों की समीक्षा कृपया शाखा लाइसेंसिंग पर दिनांक 01 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र बैंविवि.केंका.आरआरबी.बीएल.बीसी.सं.17/31.01.002/2015-16 देखें, जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को जारी 30 जून 2015 तक के अनुदेशों/ दिशानिर्देशों को समेकित किया गया था। 2. दिनांक 5 अप्रैल, 2016 को पहले द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2016-17 में की गई घोषणा के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंकों की विभिन्न विशेषताओं और प्रदान की जाने वाली सेवाओं के प्रकार को ध्यान में रखते हुए शाखाओं और पहुँच के अनुमत तरीकों को पुनः पारिभाषित करने का प्रस्ताव दिया गया था। इस उद्देश्य के लिए एक आंतरिक कार्य समूह (आईडबल्यूजी) का गठन किया गया था और इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए 6 अक्टूबर 2016 को हमारी वेब-साइट पर रखी गई थी। 3. भारत सरकार और अन्य हितधारकों से प्राप्त सुझावों/ फीडबैक को ध्यान में रखते हुए, 18 मई 2017 को वाणिज्यिक बैंकों के लिए 'बैंकिंग आउटलेट' पर अंतिम दिशानिर्देश जारी किए गए थे और अब उन्हें, अनुबंध में दिए गए ब्यौरे के अनुसार, आरआरबी के लिए जारी किया रहा है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। भवदीय (डॉ. एस के कर) संलग्नक : उपरोक्त दिनांक 06 अप्रैल 2017 को जारी भारतीय रिज़र्व बैंक की विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधित वक्तव्य से उद्धरण 11. बैंकिंग केंद्र (बैंकिंग आउटलेट्स): अंतिम दिशानिर्देश – बैंकिंग आउटलेट के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश जारी करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें 'बैंकिंग आउटलेट' क्या है और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में बैंकिंग आउटलेट खोलने के प्रयोजन हेतु बैंक की भिन्न-भिन्न रूप में उपस्थिति में एकरूपता लाने के संबंध में स्पष्टीकरण दिया जाएगा। ये दिशानिर्देश वर्तमान शाखा लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों को अतिक्रमित करेंगे। कारोबार के नए स्थान खोलना और विद्यमान कारोबार स्थानों को शिफ्ट करना 1. प्रयोज्यता का दायरा ये दिशानिर्देश सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर लागू होंगे। 2. लागू करने की तिथि ये दिशानिर्देश इस परिपत्र को जारी करने की तिथि से लागू होंगे। 3. परिभाषाएं इस नीतिगत रूपरेखा के प्रयोजन से निम्नलिखित परिभाषाओं का प्रयोग किया जाएगा: 3.1 बैंकिंग आउटलेट/अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट 3.1.1 किसी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लिए ‘बैंकिंग आउटलेट’ एक नियत स्थल पर सेवा सुपुर्दगी इकाई है, जिसे बैंक के स्टाफ अथवा उसके कारोबार प्रतिनिधि द्वारा चलाया जाता है, जहां सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए जमाराशियां स्वीकार करने, चेकों का नकदीकरण/नकद आहरण अथवा पैसा उधार देने की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसमें बैंक के नाम और उससे प्राप्त प्राधिकार के साथ नियंत्रक प्राधिकारियों और शिकायत निवारण प्रणाली के संपर्क ब्योरे सहित एक समान पहचान-सूचक बोर्ड है। बैंकिंग आउटलेट का उचित पर्यवेक्षण, टेलीकॉम कनेक्टिविटी के कारण अस्थायी रुकावट आदि को छोड़ कर निर्बाध सेवा सुनिश्चित करने तथा ग्राहकों की शिकायतों का समय पर निवारण करने हेतु बैंक को बैंकिंग आउटलेट की नियमित आन-साइट तथा आफ साइट निगरानी करनी चाहिए। कारोबार समय/दिवसों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। 3.1.2 ऐसा बैंकिंग आउटलेट, जो सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है, उसे अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट माना जाएगा। 3.2 बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र ‘बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र’ (यूआरसी) का आशय एक ग्रामीण (टियर 5 और 6) केंद्र से है, जहाँ ग्राहक आधारित बैंकिंग लेनदेन के लिए किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का कोई सीबीएस समर्थित ‘बैंकिंग आउटलेट’ नहीं है अथवा किसी स्थानीय क्षेत्र बैंक या लाइसेंस-प्राप्त सहकारी बैंक की कोई शाखा नहीं है। विशेष टिप्पणी 1: ऊपर दी गई परिभाषा को पूर्ण करने के अधीन विस्तार काउंटर, सेटेलाइट कार्यालय, अंशत: शिफ्ट की गई शाखाएं, अत्यंत लघु शाखाएँ तथा विशेषीकृत शाखाएं भी स्वतंत्र ‘बैंकिंग आउटलेट’ या ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’, जैसा भी मामला हो, मानी जाएंगी। विशेष टिप्पणी 2: एटीएम, ई-लॉबी, बंच नोट एक्सेप्टर मशीन (बीएनएएम), नकदी जमा मशीन (सीडीएम), ई-कियोस्क तथा मोबाइल शाखाओं को बैंकिंग आउटलेट नहीं माना जाएगा। मौजूदा अनुदेशों के अनुसार ऐसे बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल, जहां बैंकों द्वारा संबंधित इकाइयों के साथ व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में व्यवस्था न करने के बावजूद सीमित नकद आहरण सुविधा की अनुमति दी गई है, को ‘बैंकिंग आउटलेट’ नहीं माना जाएगा। 4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोलना 4.1 (क) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को टियर 1 से टियर 6 केंद्रों (2011 की जनगणना के अनुसार) में निम्नलिखित व्यवस्था के अनुसार बैंकिंग आउटलेट खोलने की अनुमति दी गई है। टियर 1 से 4 केंद्रों में बैंकिंग आउटलेट (बीसी आउटलेट को छोड़कर) खोलने के लिए, आरआरबी द्वारा आरबीआई की पूर्व स्वीकृति लेनी आवश्यक है। उनके आवेदन पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन विचार किया जाएगा:
4.1 (ख) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रत्येक मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक से विशिष्ट अनुमोदन लेने की आवश्यकता के बिना ग्रामीण केन्द्रों, अर्थात टियर 5 और टियर 6 केंद्रों (2011 की जनगणना के अनुसार) में बैंकिंग आउटलेट खोलने की अनुमति होगी, जो आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को कार्योत्तर रिपोर्टिंग (बैंकिंग आउटलेट खोलने के सात दिनोंके भीतर) के अधीन होगी। (i) मौजूदा वर्ष के दौरान तैयार 1 से 4 केन्द्रों में शाखाएँ खोलने के लिए, नई शाखाएँ खोलने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब आरआरबी ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान खोले गए कुल बैंकिंग आउटलेट में से कम से कम 25 प्रतिशत बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में खोले जाने का लक्ष्य पूरा कर लिया हो। (ii) टियर 5 और 6 केंद्रों में शाखाएं खोलने वाले आरआरबी, कार्योत्तर स्वतः लाइसेन्स/सों को जारी करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकती हैं। (iii) ऐसे खोली गई शाखा के परिसर में लाइसेंस को ग्राहकों / जनता की जानकारी के लिए प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि उन्हें विश्वास हो कि यह शाखा बैंकिंग कारोबार करने के लिए अधिकृत है। 4.1 (ग) आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर सशक्त समिति के माध्यम से, अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बैंकिंग आउटलेट के आरंभ / समापन / स्थानांतरण / विलय की निगरानी के लिए भी जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा, यदि कोई आरआरबी एक वर्ष में एक यूआरसी में 25 प्रतिशत बैंकिंग आउटलेट खोलने की अपेक्षा का पालन नहीं करता है, तो ऐसे आरआरबी को टियर 1 से टियर 4 केंद्रों में बैंकिंग आउटलेट खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 4.1 (घ) इस नीति में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के आधार पर यथा-परिभाषित सभी टियर वाले केंद्रों में ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना सम्मिलित है। केंद्रों का टियर-वार और जनसंख्या समूह-वार वर्गीकरण अनुबंध I में दिया गया है। 4.2 वित्त वर्ष के दौरान ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना नीचे दी गई शर्तों के अधीन होगा: क) वित्त वर्ष के दौरान खोले गए कुल ‘बैंकिंग आउटलेट’ में से कम से कम 25 प्रतिशत ऊपर पैरा 3.2 में यथा- परिभाषित बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में खोले जाने चाहिए। ख) किसी भी केंद्र में खोले गए किसी ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’ को बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में 25 प्रतिशत बैंकिंग आउटलेट खोलने के मानदंड को पूरा करने तथा आनुपातिक आधार पर गणना करने के लिए गिना जाएगा और भाज्य तथा भाजक दोनों में प्रो रेटा आधार पर जोड़ा जाएगा। अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट की गणना के कुछ उदाहरण अनुबंध II में दिए गए हैं। ग) टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में तथा भारत सरकार द्वारा समय- समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (एलडबल्यूई) जिलों के टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’ खोलने को किसी बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र (यूआरसी) में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’, जैसा भी मामला हो, खोलने के बराबर माना जाएगा। भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 2016 को अधिसूचित किए गए अनुसार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (एलडबल्यूई) जिलों की सूची अनुबंध III में दी गई है। चूंकि इन दिशानिर्देशों का समग्र उद्देश्य इन कम बैंकिंग सुविधा वाले/ बैंकिंग सुविधा रहित केंद्रों में बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करना है, अत: केंद्र की बैंक सहित/ बैंक रहित स्थिति पर ध्यान न देते हुए, इन कम बैंकिंग सुविधा वाले/ बैंकिंग सुविधा रहित केंद्रों में खोले गए प्रत्येक बैंकिंग आउटलेट को यूआरसी में खोला गया माना जाएगा। घ) किसी ग्रामीण (टियर 5 और 6) क्षेत्र में खोली गई पूर्ण ‘पक्की इमारत’ वाली शाखा, जिसमें पहले से ही किसी नियत स्थल बीसी आउटलेट द्वारा सेवा दी जा रही है, भी किसी यूआरसी में ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलने के बराबर माने जाने के लिए पात्र होगा। दूसरे शब्दों में, किसी यूआरसी में किसी भी बैंक द्वारा खोले गए पहले नियत स्थल बीसी आउटलेट और पहली ‘पक्की इमारत’ वाली शाखा को 25 प्रतिशत मानदंड की गणना में गिना जाएगा। ङ) किसी बैंक को यूआरसी में कोई आउटलेट खोलने के लिए दिया गया समय एक वर्ष है। यदि कोई बैंक एक वर्ष में 25 प्रतिशत आउटलेट खोलने में असफल रहता है, तो टियर 1 से 4 केन्द्रों में (टियर 5 और 6 को छोड़कर) शाखाएं खोलने पर प्रतिबंधों सहित उचित दण्डात्मक उपाय लगाए जाएंगे। 4.3 आरआरबी को बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में अधिक संख्या में बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें ऊपर पैरा 4.2 में विनिर्दिष्ट अपेक्षा से अधिक ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोले जाने का लाभ, यदि हो, को अगले दो वर्ष की अवधि तक आगे ले जाने की अनुमति दी जाएगी। उक्त लाभ लेने के लिए इस समयावधि को बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 4.4. बैंकों को किसी यूआरसी की पहचान करने में सक्षम बनाने हेतु राज्य स्तरीय बैंकर समितियां (एसएलबीसी) रचनात्मक और सक्रिय भूमिका निभाएंगी। एसएलबीसी राज्य के सभी बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों का संकलन करेंगी और अद्यतन सूची रखेंगी, जो उनकी वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएगी। इस सूची से बैंकों को उस स्थान को चुनने/बताने में मदद मिलेगी, जहां वे ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना चाहते हैं। बैंक उनके द्वारा निर्धारित केंद्र को चिह्नित करने हेतु एसएलबीसी संयोजक बैंक को सूचित करेंगे और उनके साथ समन्वय करेंगे। यदि कोई बैंक ऊपर पैरा 4.2(ङ) के अनुसार निर्धारित 1 वर्ष की अवधि में बैंकिंग आउटलेट खोलने में असफल रहता है, तो एसएलबीसी संयोजक बैंक उस केंद्र को अन्य बैंकों द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोले जाने के लिए उपलब्ध के रूप में बता सकता है। 4.5 यदि कोई बैंक किसी भी बैंकिंग आउटलेट/अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट में सरकार का कारोबार करने का प्रस्ताव करता है, तो उसे संबंधित सरकारी प्राधिकारी तथा सरकारी और बैंक लेखा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय से पूर्वानुमति लेना आवश्यक होगा। 5. ‘बैंकिंग आउटलेट’ का विलयन/ बंद करना/शिफ्ट करना/ रूपान्तरण करना 5.1 आरआरबी अपने विवेकानुसार सभी ‘बैंकिंग आउटलेट’ (ग्रामीण तथा एकमात्र अर्ध-शहरी आउटलेट को छोड़ कर) को शिफ्ट, विलय या बंद कर सकते हैं। 5.2 किसी भी ग्रामीण तथा एकमात्र अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ के विलयन, बंद करने तथा शिफ्ट करने के लिए डीसीसी/डीएलआरसी का अनुमोदन लेना आवश्यक होगा। तथापि, किसी ग्रामीण तथा एकमात्र अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ को संपूर्ण पक्की इमारत वाली शाखा में परिवर्तित करने, और इसके विपरीत के लिए ऐसे अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। किसी ग्रामीण तथा एकमात्र अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ का विलयन/बंदी/शिफ्टिंग/परिवर्तन करते समय बैंक तथा डीसीसी/डीएलआरसी यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्र की बैंकिंग आवश्यकताओं को पूरा किए जाने में कोई बाधा नहीं है। 5.3 आरआरबी को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस बैंकिंग आउटलेट का विलयन/बंद/शिफ्ट किया जा रहा है, उसके ग्राहकों को दो माह पूर्व सूचित किया जाए, ताकि उन्हें होने वाली असुविधा से बचा जा सके। साथ ही, बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं के अंतर्गत उन्हें सौंपी गई भूमिका को निभाना जारी रख रहे हैं। 5.4 इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ‘बैंकिंग आउटलेट’ को उसी या उससे कम जनसंख्या वाले वर्ग के भीतर, अर्थात् अर्ध –शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ को अर्ध-शहरी या ग्रामीण केंद्र में, तथा ग्रामीण ‘बैंकिंग आउटलेट’ को अन्य ग्रामीण केंद्रों में शिफ्ट किया जाता है। 6. वार्षिक बैंकिंग आउटलेट विस्तार योजना 6.1 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से वार्षिक बैंकिंग आउटलेट विस्तार योजना (एबीओईपी), बैंकिंग आउटलेट के आरंभ, समापन, स्थानांतरण, विलय और रूपांतरण के प्रस्तावों के समेकित विवरण सहित अनुबंध IV में दिए गए प्रोफार्मा के अनुसार, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और निगरानी के लिए नाबार्ड को प्रस्तुत करेंगे। 6.2 यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी प्रस्ताव उपरोक्त पैरा में निहित दिशानिर्देशों के अनुरूप आरआरबी के लिए लागू हैं। विशिष्ट केंद्रों में नई शाखाएं खोलने के लिए व्यक्तिगत प्रस्ताव, जिसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति की आवश्यकता होती है, बैंककारी विनियमन (कम्पनी नियम), 1949 के नियम 12 के अनुसार निर्धारित फार्म VI में नाबार्ड की संस्तुति के साथ आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जानी चाहिए। एबीओईपी और कोई अन्य प्रस्ताव जो इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना आवश्यक है, के लिए बैंक के निदेशक मंडल की मंजूरी होनी चाहिए। आरआरबी यह सुनिश्चित करेंगे कि इन प्रस्तावों के साथ ऐसे अनुमोदन की एक अधिप्रमाणित / प्रमाणित प्रतिलिपि अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की गई है। 7. एटीएम / ई-कियोस्क / सीडीएम / बीएनएएम में कर्मचारी लगाना बैंकों को पहचाने गए केंद्रों / स्थानों पर ऑनसाइट / ऑफसाइट ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) स्थापित करने की अनुमति है। बैंकों को इन आउटलेटों की सेवाओं का उपयोग करने वाले ग्राहकों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उचित स्टाफ सदस्य (सदस्यों) नियुक्त करने की अनुमति है। ऐसे एटीएम को 'बैंकिंग आउटलेट्स' नहीं माना जाएगा जैसा कि परिपत्र के पैरा 3.1 में परिभाषित किया गया है। 8. मोबाइल शाखाएं - सभी टियरों में विस्तार मोबाइल शाखा की योजना में एक सुरक्षित वैन, जिसमें बैंक के दो या तीन अधिकारियों के लिए लेखाबही, नकदी की तिजोरी आदि के साथ बैठने की व्यवस्था हो, द्वारा बैंकिंग सुविधाओं के विस्तार को परिकल्पित किया गया है। मोबाइल यूनिट , उसके द्वारा निर्दिष्ट दिन / घंटों में सेवा देने के लिए प्रस्तावित स्थानों तक जाएगी। मोबाइल यूनिट आरआरबी की किसी शाखा से जुड़े होंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सभी केंद्रों में मोबाइल शाखाएं खोलने / संचालित करने की अनुमति है। इन मोबाइल शाखाओं को बैंकिंग आउटलेट नहीं माना जाएगा। 9. क्षेत्रीय कार्यालय, प्रशासनिक कार्यालय, बैक ऑफिस (केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र / सेवा शाखा) और कॉल सेंटर आदि की स्थापना 9.1 आरआरबी को प्रत्येक 50 बैंकिंग आउटलेट के लिए एक क्षेत्रीय कार्यालय (आरओ) खोलने की अनुमति होगी। तथापि, आरआरबी के लिए इन कार्यालयों के कार्य करने/ खोलने से पहले आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। 50 तक बैंकिंग आउटलेट वाले आरआरबी, बिना किसी मध्यवर्ती स्तर के, सीधे मुख्य कार्यालय के नियंत्रण में होंगे। उन आरआरबी, जिन्हें भौगोलिक / अन्य स्थितियों के कारण एक आरओ द्वारा कवर की जाने वाली शाखाओं की संख्या के संबंध में उक्त मानदंड में छूट की आवश्यकता है, के मामले की जांच सशक्त समिति (ईसी) द्वारा की जाएगी और विचार के लिए बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), केंद्रीय कार्यालय को संदर्भित किया जाएगा। आरओ को कोई बैंकिंग व्यवसाय करने की अनुमति नहीं होगी। आरआरबी स्वविवेक से, आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना, इन कार्यालयों को स्थानांतरित या समाप्त/ विलयित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पते में परिवर्तन की सूचना यथाशीघ्र, लेकिन स्थानांतरण की तिथि से एक माह से अधिक नहीं, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को देनी होगी। ऐसे कार्यालयों के समापन / विलय के संबंध में, समापन / विलय के तुरंत बाद, आरबीआई के सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को सूचित करते हुए आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को लाइसेन्स रद्द करने के लिए सूचित करना होगा। 9.2 आरआरबी भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से आवश्यक अनुमति लेकर प्रशिक्षण केंद्र, बैक ऑफिस (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) / सेवा शाखाएं), ट्रेजरी शाखाएं और कॉल सेंटर आदि, जो विशेष रूप से बैक ऑफिस कार्यों और बैंकिंग व्यवसाय से संबंधित अन्य कार्य करेंगे, की स्थापना कर सकते हैं। वे ग्राहकों के साथ कोई इंटरफ़ेस नहीं करेंगे और उन्हें सामान्य बैंकिंग शाखाओं में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं होगी। 9.3 बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासनिक कार्यालय, प्रशिक्षण केंद्र, बैक ऑफिस अर्थात सीपीसी / सेवा शाखाएं, जो विशेष रूप से अन्य शाखाओं से प्राप्त अनुरोधों पर डेटा प्रसंस्करण, दस्तावेजों का सत्यापन और प्रसंस्करण, चेक बुक जारी करना आदि जैसे बैक ऑफिस कार्य करने के लिए स्थापित किए गए हैं और जिन्हें बैंकिंग आउटलेट नहीं माना गया है, उनका ग्राहकों से कोई सीधा संपर्क नहीं होना चाहिए। वर्तमान में जिन बैंकों को इन बैक ऑफिसों (सेवा शाखाओं और/या सीपीसी) में ग्राहक संपर्क के लिए विनिर्दिष्ट रूप से अनुमति दी गई है, उन्हें इस परिपत्र की तिथि से एक वर्ष के भीतर उक्त अनुदेशों के साथ संरेखित करना होगा और भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसका अनुपालन रिपोर्ट करना होगा।9.3 बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासनिक कार्यालय, प्रशिक्षण केंद्र, बैक ऑफिस अर्थात सीपीसी / सेवा शाखाएं, जो विशेष रूप से अन्य शाखाओं से प्राप्त अनुरोधों पर डेटा प्रसंस्करण, दस्तावेजों का सत्यापन और प्रसंस्करण, चेक बुक जारी करना आदि जैसे बैक ऑफिस कार्य करने के लिए स्थापित किए गए हैं और जिन्हें बैंकिंग आउटलेट नहीं माना गया है, उनका ग्राहकों से कोई सीधा संपर्क नहीं होना चाहिए। वर्तमान में जिन बैंकों को इन बैक ऑफिसों (सेवा शाखाओं और/या सीपीसी) में ग्राहक संपर्क के लिए विनिर्दिष्ट रूप से अनुमति दी गई है, उन्हें इस परिपत्र की तिथि से एक वर्ष के भीतर उक्त अनुदेशों के साथ संरेखित करना होगा और भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसका अनुपालन रिपोर्ट करना होगा। 10. व्यवसाय सुविधादाता / कारोबार प्रतिनिधि मॉडल दिनांक 1 जुलाई 2015 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंविवि.केंका.आरआरबी.बीएल.बीसी.सं.17/31.01.002/2015-16 में निहित व्यवसाय सुविधादाता / कारोबार प्रतिनिधि मॉडल से संबंधित अनुदेशों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 11. ग्राहक शिक्षा बैंकों को 1 जुलाई 2015 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंविवि.केंका.आरआरबी.बीएल.बीसी.सं.17/31.01.002/2015-16 दिये गये दिशानिर्देशों का पालन करना जारी रखते हुए यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कम जनसंख्या घनत्व या कम जनसंख्या वाले स्थानों में भौतिक ' पक्की इमारती शाखाओं' के समुचित विकल्प के रूप में बैंकिंग आउटलेट के संबंध में लोगों को जानकारी दी जाती है। 12. रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ 12.1 आरआरबी कारोबार का नया स्थान अर्थात् शाखा / कार्यालय / एनएआईओ (गैर-प्रशासकीय स्वतंत्र कार्यालय) खोलने से संबंधित सूचना प्रोफार्मा I (अनुलग्नक VI) के अनुसार और स्थिति में परिवर्तन- विलय, रूपांतरण, समापन आदि पर प्रोफार्मा II (अनुलग्नक VII) के अनुसार सूचनाएं सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम), बैंकिंग सांख्यिकी प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, सी-8/9, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, मुंबई-400051 को प्रस्तुत करेंगे । 12.2 'बैंकिंग आउटलेट' के रूप में वर्गीकृत नियत स्थल पर स्थित बीसी आउटलेटों के संबंध में, बैंकों से अपेक्षित है कि वे अनुलग्नक VIII के अनुसार 01अप्रैल, 2018 से तिमाही आधार पर डेटा रिपोर्ट करें। प्रारंभिक आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए, बैंक ऐसी पहली रिपोर्ट (31 मार्च, 2017 तक की स्थिति) डीएसआईएम, भारतीय रिजर्व बैंक, को इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से एक माह के भीतर भेजें। 12.3 चालू वर्ष 2018-19 से, शाखाएं खोलने के संबंध में बैंकिंग विनियमन विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को वार्षिक रिपोर्टिंग को समाप्त किया गया है। 13. मौजूदा शाखा प्राधिकरण ढांचे में किए गए सभी प्रमुख परिवर्तन परिशिष्ट में प्रस्तुत किए गए हैं। बैंकिंग आउटलेट प्राधिकरण पर संशोधित दिशानिर्देश – महत्वपूर्ण परिवर्तन
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