कम समग्र लागत सीमा पर बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) का पुनर्वित्तपोषण - क्रियाविधि सरलीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
कम समग्र लागत सीमा पर बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) का पुनर्वित्तपोषण - क्रियाविधि सरलीकरण
भारिबैंक/2014-15/196 27 अगस्त 2014 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, कम समग्र लागत सीमा पर बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार कम समग्र लागत सीमा पर नए बाह्य वाणिज्यिक उधार से मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार को पुनर्वित्तपोषित करने की अनुमति इस शर्त के अधीन दी गई है कि मूल ऋण की बकाया परिपक्वता अवधि वही बनी रहे। ऐसे मामलों में जहां नए बाह्य वाणिज्यिक उधार की औसत परिपक्वता अवधि, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि से अधिक हो, वहां रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदन मार्ग के तहत उन पर विचार (examine) किया जाता है। 2. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों में अधिकार प्रत्योजित किए जाएं। इससे वे स्वचालित मार्ग के तहत मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि से नए बाह्य वाणिज्यिक उधार की औसत परिपक्वता अवधि होने पर भी निम्नलिखित शर्तों के अंतर्गत उन्हें अनुमोदन प्रदान कर सकेंगे:
3. यह सुविधा ऐसे मामलों में भी उपलब्ध होगी जहां मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत लिया गया था, बशर्ते नए बाह्य वाणिज्यिक उधार स्वचालित मार्ग के अंतर्गत लिए जाने के लिए पात्र हों। 4. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू जैसे पात्र उधारकर्ता, मान्यता-प्राप्त उधारदाता, अनुमत अंतिम उपयोग, ईसीबी राशि, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, रिपोर्टिंग व्यवस्था, आदि अपरिवर्तित बने रहेंगे। 5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में किए गए संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत कराएं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (बी॰पी॰कानूनगो) |