विदेशी राष्ट्रिकों द्वारा परिसंपत्तियों का प्रेषण- अनिवासी सामान्य खाते खोलना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी राष्ट्रिकों द्वारा परिसंपत्तियों का प्रेषण- अनिवासी सामान्य खाते खोलना
भारिबैंक/2010-11/560 9 जून 2011 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय विदेशी राष्ट्रिकों द्वारा परिसंपत्तियों का प्रेषण- वैध वीज़ा धारक भारत में नियोजित विदेशी राष्ट्रिक भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी -।) बैंक में निवासी खाता रखने के लिए पात्र हैं । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों के लिए यह आवश्यक है कि वे ऐसे विदेशी राष्ट्रिकों द्वारा देश छोड़ने पर उनके निवासी खाते बंद कर दें तथा उनकी परिसंपत्तियां विदेश में रखे गए उनके खातों में अंतरित कर दें। इस संबंध में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 3 के पैराग्राफ 8 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार यदि भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत से बाहर नौकरी करने या कोई कारोबार/ व्यवसाय या पेशेवर कार्य करने के लिए किसी अन्य देश (नेपाल और भूटान से भिन्न) चला जाता है या अनिश्चित अवधि के लिए किसी अन्य प्रयोजन से भारत छोड़ता है, तो उसका मौजूदा खाता अनिवासी (सामान्य) (एनआरओ) खाते के रूप में नामित किया जाना चाहिए । 2.विदेशी राष्ट्रिकों को भारत में उन्हें देय राशियां प्राप्त करने को सुलभ बनाने की दृष्टि से मौजूदा अनुदेशों की समीक्षा की गयी है । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक ऐसे विदेशी राष्ट्रिकों को भारत में रखे गये उनके निवासी खाते उनके नियोजन के बाद देश छोड़ने पर एनआरओ खाते के रूप में पुन: नामित करने की अनुमति दें जिससे वे अपनी शेष वास्तविक प्राप्य राशियां प्राप्त कर सकें बशर्ते निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हों: ए. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को खाता धारकों से उनके खाते में प्राप्य विधि-संगत राशि के बारे में पूरे ब्योरे प्राप्त करने चाहिए । बी. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को ऐसी जमाराशियों के संबंध में संतुष्ट होना चाहिए जो उसके / उनके भारत में निवासी होने के दौरान खाता धारक को वास्तविक रूप में देय थीं । सी. एनआरओ खाते में जमा निधियां विदेश में अविलंब प्रत्यावर्तित की जानी चाहिए बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक भारत में लागू आय कर और अन्य करों के भुगतान होने कें संबंध में संतुष्ट हों । डी. विदेश में प्रत्यावर्तित की गयी राशि प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं होनी चाहिए । ई. खाता धारक के विदेश में रखे गए खाते में केवल प्रत्यावर्तन प्रयोजन के लिए खाते को नामे किया जाना चाहिए । एफ. उनके खाते में उपर्युक्त मद (ए) में दर्शायी गयी मद से भिन्न कोई अन्य राशि/जमा नहीं होनी चाहिए । जी. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक ऐसे खाते में जमा और नामे होने पर निगरानी रखने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था करें । एच. उपर्युक्त पैराग्राफ 2 (ए) में उल्लिखित खाता धारकों द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार सभी देय राशियां प्राप्त होने और प्रत्यवर्तित किये जाते ही खाता तुरंत बंद कर देना चाहिए । 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 4. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीया [डॉ.(श्रीमती) सुजाता एलिजाबेत प्रसाद] |