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ओटीसी डेरिवेटिव के लिए रिपोर्टिंग प्लेटफार्म - आईएफएससी बैंकिंग यूनिटों (आईबीयू) द्वारा किए गए लेन-देन तथा अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाएं (रुपया शामिल करते हुए या अन्यथा)

आरबीआई/2019-20/233
एफएमआरडी.एफएमआईडी.26/02.05.002/2019-20

18 मई 2020

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंक

महोदया / महोदय,

ओटीसी डेरिवेटिव के लिए रिपोर्टिंग प्लेटफार्म - आईएफएससी बैंकिंग यूनिटों (आईबीयू) द्वारा किए गए लेन-देन तथा अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाएं (रुपया शामिल करते हुए या अन्यथा)

27 मार्च 2020 को जारी ए.पी.(डीआईआरसीरीज) परिपत्र सं. 23 की शर्तों के अनुसार भारत में जिन बैंको के पास विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा),1999 के तहत जारी किया गया प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-1 का लाइसेंस है और आईबीयू का परिचालन कर रहीं है, को 1 जून 2020 से, भारत में अनिवासी व्‍यक्तियों के लिए, रुपया शामिल करते हुए या अन्‍य प्रकार से, अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं(एनडीडीसी) का प्रस्‍ताव देने के लिए अनुमति दी गई है । बैंक ऐसे लेन-देनों को भारत में अपनी आईबीयू के माध्‍यम से या अपनी शाखाओं के माध्‍यम से, या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्‍यम से (यदि विदेशी बैंक भारत में अपना परिचालन कर रहे हैं तो अपने मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्‍यम से) कर सकते हैं।

2. भारत में बैंकों द्वारा अपनी आईबीयू के माध्‍यम से या अपनी शाखाओं के माध्‍यम से, या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्‍यम से (यदि विदेशी बैंक भारत में अपना परिचालन कर रहे हैं तो अपने मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्‍यम से) की गई सभी विदेशी मुद्रा अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं (रुपया शामिल करते हुए या अन्‍य प्रकार से), को 1 जून 2020 से सीसीआईएल के रिपोर्टिंग प्लेटफार्म को सूचित किया जाएगा।

3. इसके अलावा, 1 अप्रैल 2015 को जारी परिपत्र सं.बीआर.आईबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15, समय-समय पर यथा संशोधित, की शर्तों के तहत आईबीयू को डेरिवेटिव लेन-देन करने की अनुमति दी गई थी, जिसमें वे संरचित उत्पाद शामिल हैं जिनको भारत में परिचालित बैंकों को आरबीआई के वर्तमान निदेशों के अनुसार अनुमति दी गई है। किसी भी अन्य डेरिवेटिव उत्पाद को शुरू करने के लिए आईबीयू को आरबीआई की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक है ।

4. आरबीआई ने आदेश दिया है कि सभी ओटीसी विदेशी मुद्रा, ब्याज दर और ऋण डेरिवेटिव लेन-देन, दोनों अंतर-बैंक और ग्राहक, सीसीआईएल के व्यापार रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को सूचित किए जाएंगे। आईबीयू को संचालित करने वाले बैंकों और सीसीआईएल के साथ इस मामले पर और चर्चा की गई। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि आईबीयू द्वारा किए गए सभी ओटीसी विदेशी मुद्रा, ब्याज दर और ऋण डेरिवेटिव लेन-देनों - दोनों अंतरबैंक और ग्राहक लेनदेनों को उनके द्वारा 1 जून, 2020 से सीसीआईएल के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को सूचित किया जाएगा। इसके अलावा, एक बार के उपाय के रूप में डेटा की पूर्णता सुनिश्चिती के लिए 31 मई 2020 तक के सभी अवधिपूर्ण और बकाया लेन-देनों को 31 जुलाई, 2020 तक सूचित किया जाएगा।

5. क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) अपने सदस्यों को इस तरह की रिपोर्टिंग की कार्यप्रणाली बताएगा।

6. इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,1934 की धारा 45 डबल्यू के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों के तहत जारी किया गया है और किसी अन्‍य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो उन पर इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी)

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