जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन-देन – विदेशी अप्रदेय रुपया डेरिवेटिव बाजारों में बैंकों की सहभागिता - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन-देन – विदेशी अप्रदेय रुपया डेरिवेटिव बाजारों में बैंकों की सहभागिता
आरबीआई/2019-20/193 27 मार्च 2020 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंक महोदया / महोदय, जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन-देन – विदेशी अप्रदेय रुपया डेरिवेटिव बाजारों में बैंकों की सहभागिता विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं. फेमा.25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000), समय-समय पर यथा संशोधित, और 6 जुलाई 2016 को जारी मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अन्तर-बैंक लेन-देन (मास्टर निदेश), समय-समय पर यथा-अद्यतन, की तरफ ध्यान आकर्षित किया जाता है। 2. 27 मार्च 2020 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों संबंधी वक्तव्य के पैरा-10 में की गई घोषणा के अनुसार भारत में जिन बैंको के पास विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत जारी किया गया प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-1 का लाइसेन्स है और जो इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर (आईएफएससी) बैंकिंग यूनिटों (आईबीयू) का परिचालन कर रहे हैं, वे रुपया को शामिल करते हुए या अन्य प्रकार से, अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं का प्रस्ताव, भारत में अनिवासी व्यक्तियों को, करने के पात्र होंगे। बैंक ऐसे संव्यवहारों के भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से, अपनी आइबीयू के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (यदि विदेशी बैंक भारत में अपना परिचालन कर रहे हैं तो अपने मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) ऐसे संव्यवहारों को कर सकते हैं। 3. तदनुसार, मास्टर निदेश में निम्नलिखित संशोधन किए जाते हैं। ये संशोधन 1 जून 2020 से प्रभावी होंगे। (क) मास्टर निदेश के भाग-अ (खंड- II) में निम्नानुसार एक नया पैराग्राफ (9अ) जोड़ा जाता है : “9अ. अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाएं (एनडीडीसी) i. अप्रदेय डेरिवेटिव संविदा (एनडीडीसी) का आशय है, भारत में अनिवासी व्यक्ति के साथ निष्पादित विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा जिसमें रुपया निहित है और बिना रुपये की डिलीवरी को निहित किए जिसका निपटान कर दिया जाता है। ii. भारत में वे बैंक जिनके पास फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत डीलर श्रेणी-1 का लाइसेन्स है और जो इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर (आईएफएससी) बैंकिंग यूनिट (आईबीयू) का परिचालन करते हैं (जैसा कि 1 अप्रैल 2015 को जारी परिपत्र सं.आरबीआई/2014-15/533.डीबीआर.आइबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15 (समय-समय पर यथा संशोधित) में निर्दिष्ट किया गया है), वे रुपया निहित करते हुए, या अन्यथा, भारत में अनिवासी व्यक्तियों को अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं का प्रस्ताव देने के पात्र होंगे। बैंक इस प्रकार के संव्यवहार अपने आइबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों के मामले में पेरेन्ट बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) कर सकते हैं। (ख) मास्टर परिपत्र के भाग – ग में एक नया पैराग्राफ निम्नानुसार जोड़ा जाता है : “3अ. अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं में संव्यवहार (एनडीडीसी) प्राधिकृत व्यापारी जिनके पास आईएफएससी बैंकिंग यूनिट (आइबीयू) हैं [जैसा कि 1 अप्रैल 2015 को जारी परिपत्र सं.आरबीआई/2014-15/533.डीबीआर.आइबीडी. बीसी.14570/23.13.004/2014-15 (समय-समय पर यथा संशोधित) में निर्दिष्ट किया गया है] एडी श्रेणी-1 बैंक आइबीयू वाले बैंकों और विदेश स्थित बैंकों के साथ अप्रदेय डेरिवेटिव संविदाओं (एनडीडीसी) का संव्यवहार कर सकते हैं। बैंक इस प्रकार के संव्यवहार अपने आइबीयू के माध्यम से या भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से (भारत में परिचालन कर रहे विदेशी बैंकों के मामले में पेरेन्ट बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) कर सकते हैं।’’ 4. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और किसी अन्य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो उन पर इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) |