समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण - आरबीआई - Reserve Bank of India
समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण
आरबीआई/2023-24/55 18 अगस्त 2023 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया / महोदय, समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण1 पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण कृपया हमारा दिनांक 01 जुलाई 2015 का परिपत्र क्रमांक डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16, दिनांक 01 सितम्बर 2016 के मास्टर दिशानिर्देश संख्या.डीएनबीआर.पीडी.007/03.10.119/2016-17, दिनांक 01 सितंबर 2016 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या डीएनबीआर.पीडी.008/03.10.119/2016-17 और दिनांक 17 फरवरी 2021 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या विवि.एफ़आईएन.एचएफ़सी.सीसी.सं.120/03.10.136/2020-21 देखें, जिसके अंतर्गत ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता से संबंधित दिशानिर्देश क्रमशः एससीबी, एनबीएफसी और एचएफसी को जारी किए गए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा निर्देशों अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) को सभी श्रेणियों के अग्रिमों को निश्चित या फ्लोटिंग ब्याज दरों के आधार पर देने की स्वतंत्रता है। 2. ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों की स्वीकृति प्रदान करते समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण की अवधि के दौरान बाहरी बेंचमार्क दर में संभावित वृद्धि के परिदृश्य में अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई में वृद्धि के लिए पर्याप्त हेडरूम/मार्जिन उपलब्ध है। हालाँकि, ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों के संबंध में, बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, उधारकर्ताओं के साथ उचित पत्र व्यवहार और/या सहमति के बिना ऋण की अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई राशि में वृद्धि से संबंधित कई उपभोक्ता शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए, आरई को कार्यान्वयन और अनुपालन के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक उचित नीति ढांचा तैयार करने हेतु सूचित किया जाता है:
3. समान मासिक किस्त वाले ऋणों के अलावा, ये अनुदेश, यथोचित परिवर्तनों के साथ, विभिन्न आवधिकों के सभी समान किस्त आधारित ऋणों पर भी लागू होंगे। बाहरी बेंचमार्क ऋण दर (ईबीएलआर) व्यवस्था के तहत बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों के मामलों में, बैंकों को मौजूदा अनुदेशों का अनुपालन करना आवश्यक होगा और बेंचमार्क दर परिवर्तन का ऋण दर में संचरण की निगरानी के लिए पर्याप्त सूचना प्रणाली भी लगानी होगी। 4. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि उक्त अनुदेश मौजूदा और साथ ही नए ऋणों पर 31 दिसंबर 2023 तक उपयुक्त रूप से लागू किए जाएं। सभी मौजूदा उधारकर्ताओं को उचित माध्यमों से एक सूचना भेजी जाए, जिसमें उन्हें उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी जाएगी। 5. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32 के तहत जारी किए गए हैं। भवदीय सन्तोष कुमार पाणिग्राही 1 जैसा कि 04 जनवरी 2018 को "एक्सबीआरएल विवरणी – बैंकिंग सांख्यिकी को सुसंगत बनाना" पर जारी आरबीआई परिपत्र संख्या डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.99/08.13.100/2017-18 में परिभाषित किया गया है। |