2. सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 7(2) के अनुसार वर्तमान में प्रतिभूतिकरण कंपनियां/पुनर्निमाण कंपनियां, आहर्ताप्राप्त संस्थागत क्रेताओं (क्यूआईबी) से उगाही की गई निधि को छोड़कर वित्तीय आस्तियों का अधिग्रहण कर सकती है। तथापि एससी/आरसी और 30 जनवरी 2014 के अर्थव्यवस्था में व्यथित आस्तियों को पुन: सशक्त करने हेतु संरचना में निहित प्रावधानों पर भारत सरकार द्वारा गठित मुख्य सलाहकार समिति (केएजी) की सिफारिशों के परिणाम स्वरूप यह निर्णय लिया गया कि निम्नलिखित शर्तों के अधीन एससी/आरसी को क्यूआईबी द्वारा संबंधित योजना के तहत अर्जित की गई वित्तीयआस्ति पुनर्निमाण योजना के अंतर्गत जुटाई गई निधि के भाग का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है:
रू 500 करोड़ से अधिक आस्ति अर्जित करने वाली प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्निमाण कंपनी (एससी/आरसी), ऐसी अर्जित निधि में से वित्तीय आस्ति पुनर्निमाण हेतु उस योजना के तहत निधि को फ्लोट कर सकती है जिसकी परिकल्पना सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 7(2) के अनुसार क्यूआईबी के अर्जित निधि के भाग के उपयोग के रूप में की गई है।
पुनर्निमाण के उद्देश्य से उपयोग में लाई जाने वाली निधि का विस्तार, सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 7(2) के अनुसार योजना के तहत जुटाई गई राशि का 25% से अधिक नहीं होना चाहिए। पुनर्निमाण के उपयोग के उद्देश्य से अर्जित की गई निधि (25% की उच्चतम सीमा में) को योजना के प्रारंभ में बताया जाना चाहिए। इसके बाद पुनर्निमाण उद्देश्य से उपयोग में लाई जाने वाली निधि का लेखांकन अलग से किया जाना चाहिए।
प्रत्येक प्रतिभूतिकरण कंपनी और पुनर्निमाण कंपनी को ऐसी योजनाओं के लिए क्यूआईबी से अर्जित निधि का उपयोग हेतु अपने निदेशक मंडल से विधिवत मंजूरी के साथ नीति बनाना चाहिए जिसमें विस्तृत मानदंड निहित हो।
भवदीय,
(एन एस विश्वनाथन) प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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