मूल निवेश कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
मूल निवेश कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा
भारिबैं/2020-21/24 13 अगस्त 2020 सभी मूल निवेश कंपनियां(सीआईसी) महोदया/महोदय, मूल निवेश कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा भारत सरकार के कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री तपन रे की अध्यक्षता में गठित मूल निवेश कंपनियों (सीआईसी) के लिए नियामक और पर्यवेक्षी ढांचे की समीक्षा करने वाली कार्यदल (डब्ल्यूजी) की रिपोर्ट का संदर्भ ग्रहण करें। कार्यदल (डब्ल्यूजी) की रिपोर्ट को नवंबर 2018 में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर हितधारकों से उनकी टिप्पणियां मांगी गई थीं। कार्यदल (डब्ल्यूजी) की सिफारिशों और हितधारकों से प्राप्त सुझाव के आधार पर मूल निवेश कंपनियों के लिए लागू दिशा-निर्देशों में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है। 2. समायोजित मालियत की परिभाषा (एएनडबल्यू) 2.1 मास्टर निदेश- मूल निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2016 के पैरा 3 (i) का संदर्भ ग्रहण करें। समायोजित मालियत (एएनडब्ल्यू) की गणना करते समय, किसी सीआईसी द्वारा किसी दूसरे सीआईसी में किए गए किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पूंजी योगदान वाली राशि में से, ऐसी राशि, जो निवेश सीआईसी के स्वाधिकृत निधि के दस प्रतिशत से अधिक है, की कटौती की जाएगी। एएनडब्ल्यू की गणना के लिए अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। 2.2 इस परिपत्र के जारी होने की तिथि के पश्चात किसी सीआईसी द्वारा किसी अन्य सीआईसी में किए गए किसी भी निवेश के लिए घटाने की आवश्यकता तत्काल प्रभाव से लागू होगी। ऐसे मामलों में जहां किसी अन्य सीआईसी में किसी सीआईसी द्वारा पहले से ही निवेश इस परिपत्र की तिथि को 10 प्रतिशत से अधिक है, तो उस सीआईसी को 31 मार्च, 2023 तक अपने एएनडब्ल्यू की गणना के लिए स्वाधिकृत निधि से इस परिपत्र की तिथि के अनुसार अतिरिक्त निवेश को घटाने की आवश्यकता नहीं है । 3. समूह संरचना 3.1 समूह संरचनाओं में जटिलता और एक समूह के भीतर कई सीआईसी के अस्तित्व की समस्या को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि एक समूह के भीतर सीआईसी की स्तरों की संख्या (मूल सीआईसी सहित) दो तक सीमित होगी, चाहे अन्य सीआईसी में सीआईसी द्वारा प्रयोग किए जाने वाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष होल्डिंग/नियंत्रण की सीमा कुछ भी हो । यदि कोई सीआईसी किसी अन्य सीआईसी में कोई प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष इक्विटी निवेश करता है, तो इसे निवेश करने वाले सीआईसी के लिए एक स्तर माना जाएगा । यद्यपि उक्त विनियमन परिपत्र की तिथि से लागू होगा, तथापि, मौजूदा संस्थाएं अपने व्यावसायिक संरचना का पुनर्गठन करेंगी और 31 मार्च 2023 तक इस दिशानिर्देश का पालन करेंगी। 4. जोखिम प्रबंधन 4.1 समूह में मूल सीआईसी या समूह में पहचान योग्य कोई मूल सीआईसी नहीं होने की स्थिति में सर्वाधिक आस्ति आकार वाली सीआईसी को एक समूह जोखिम प्रबंधन समिति (जीआरएमसी) का गठन करना होगा। उक्त जीआरएमसी सीआईसी के बोर्ड को रिपोर्ट करेगा जो इसका गठन करता है और तिमाही में कम से कम एक बार बैठक करेगा। जीआरएमसी का संगठन निम्नानुसार किया जाएगा:
4.2 जीआरएमसी के पास निम्नलिखित उत्तरदायित्व होंगे:
4.3 जीआरएमसी के विश्लेषण और सिफारिशों के आधार पर, जहां आवश्यक हो, सीआईसी सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करेगा। नीचे पैरा 4.4 के अनुसार सीआईसी में नियुक्त मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ) ऐसी सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करेंगे। 4.4 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की आस्ति आकार वाले सभी सीआईसी स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के साथ एक सीआरओ नियुक्त करेंगे। सीआरओ पर दिशा-निर्देश मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2016 के पैरा 71 के अनुसार मुख्य जोखिम अधिकारी की नियुक्ति करेंगे। 4.5 सीआईसी मुख्य कार्यकारी अधिकारी/मुख्य वित्तीय अधिकारी द्वारा प्रमाणित विचलन का त्रैमासिक विवरण, मंजूरी पत्र या ऐसे वित्तपोषण के लिए प्रस्ताव प्रपत्र बोर्ड को प्रस्तुत करेगा, जो देनदारों और निवेशकों से सीआईसी को प्राप्त निधियों के उपयोग में आवेदन में उल्लिखित वस्तुओं/उद्देश्यों से विचलन को दर्शाता है । 5. कॉरपोरेट अभिशासन और प्रकटीकरण आवश्यकताएं 5.1 कॉरपोरेट अभिशासन की अपेक्षाएँ कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार होंगी। इस परिपत्र के अनुलग्नक में दिये दिशा-निर्देशों के अनुसार उक्त प्रकटीकरण आवश्यकताएं एनबीएफसी-सीआईसी पर लागू होंगी। उक्त दिशा-निर्देश मूलभूत न्यूनतम आवश्यकताओं को दर्शाता है और सीआईसी अभिशासन और प्रकटीकरण के उच्च मानकों को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। 5.2 सीआईसी यह सुनिश्चित करेगा कि न केवल नियुक्ति के समय, बल्कि निरंतर आधार पर निदेशकों की 'उपयुक्त और उचित' स्थिति बरकरार रखने के लिए बोर्ड के अनुमोदन से एक नीति लागू की जाए। मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2016 और समय-समय पर इसके संशोधित संस्कारण के पैरा 72 के अनुसार 'उपयुक्त और उचित' मानदंड पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू दिशा-निर्देश सीआईसी पर भी लागू होंगे। 6. वित्तीय विवरण का समेकन (सीएफएस) 6.1 सीआईसी कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार सीएफएस तैयार करेगा, ताकि पूरे समूह की वित्तीय समस्याओं की स्पष्ट रूप से पहचान की जा सके। तथापि, यह संभव है कि मौजूदा विनियमों के अनुसार समूह की परिभाषा को पूरा करने वाली संस्थाएं सांविधिक प्रावधानों/लागू लेखांकन मानकों के अनुसार प्रदत छूट के कारण समेकन के अंतर्गत शामिल न हों। समेकन में शामिल नहीं किये गए संस्थाओं को अनुलग्नक के पैराग्राफ-2 में उल्लिखित सांकेतिक प्रारूप में प्रकटीकरण किया जाए। समेकन की प्रक्रिया में, किसी सीआईसी का लेखा परीक्षक, 'प्रधान लेखा-परीक्षक' के रूप में, अन्य संबंधित संस्थाओं की वित्तीय जानकारी के संबंध में उनके लेखा परीक्षकों के काम का उपयोग करेगा, जो लेखा परीक्षक मानकों के साथ-साथ भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान1 द्वारा समय-समय पर जारी मार्गदर्शन नोट्स के अधीन होगा। 7. अन्य वित्तीय गतिविधि के संचालन से छुट सीआईसी द्वारा किए जा सकने वाली अन्य वित्तीय गतिविधियों पर मास्टर निदेश- मूल निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2016 के पैरा 2 (1) (iv) का संदर्भ ग्रहण करें। सीआईसी को मुद्रा बाजार लिखतों में निवेश करने की अनुमति है, जिसमें ऐसे म्यूचुअल फंड शामिल हैं, जो 1 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाली मुद्रा बाजार लिखतों/कर्ज लिखतों में निवेश करते हैं। 8. पंजीकरण 8.1 मास्टर निदेश- मूल निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2016 के पैरा 7 का संदर्भ ग्रहण करें। यह नोट किया जाए कि (क) 100 करोड़ रुपये से कम की आस्ति आकार वाले सीआईसी, चाहे वे सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार कर रहे हों अथवा नहीं और (ख) 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक आस्ति आकार वाले एवं सार्वजनिक जमाराशियाँ स्वीकार नहीं कर रहे हों को 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.पीडी.221/सीजीएम (यूएस)2011 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45आईए के अंतर्गत बैंक के साथ पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है। 9. नामकरण में परिवर्तन 9.1 मूल निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैराग्राफ 3 के उप-पैराग्राफ (xxv) में दी गई परिभाषा के अनुसार प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण मूल निवेश कंपनी को अब से मूल निवेश कंपनी के रूप में जाना जाएगा। मूल निवेश कंपनी, जिसे ऊपर पैरा 8.1 के संदर्भ में पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है, को अब 'छूट प्राप्त सीआईसी' के स्थान पर 'अपंजीकृत सीआईसी' कहा जाएगा। 10. अन्य 10.1 भारतीय लेखा मानकों को लागू करने वाले सीआईसी 13 मार्च, 2020 को भारतीय लेखा मानकों के कार्यान्वयन पर जारी परिपत्र विवि(गैबैंविक).सीसी.पीडी.सं.109/22.10.106/2019-20 का पालन करेंगे। 10.2 सभी सीआईसी मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2016 के पैरा 100 और 101 के अनुसार साख सूचना कंपनियों को आंकड़े प्रस्तुत करने संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। 11. मास्टर निदेश – मूल निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 को तदनुसार संशोधित किया जा रहा है। भवदीय (मनोरंजन मिश्र) 1लेखांकन मानक (एसए) 600 – “दूसरे लेखा परीक्षकों के काम” और समेकित वित्तीय विवरणों पर जारी मार्गदर्शन नोट्स का उपयोग करेगा |