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प्रतिभूतीकरण लेनदेनों पर दिशानिर्देशों में संशोधन - ऋण वर्धन का पुननिर्धारण

आरबीआई/2013-14/111
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 25/21.04.177/2013-14

1 जुलाई 2013

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) और
अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्‍त प्रदान करने वाली संस्‍थाएं
(एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी और सिडबी)

महोदय/महोदया

प्रतिभूतीकरण लेनदेनों पर दिशानिर्देशों में संशोधन - ऋण वर्धन का पुननिर्धारण

कृपया 03 मई 2013 को घोषित मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य का ‘प्रतिभूतीकरण में ऋण वर्धन के पुनर्निर्धारण पर दिशानिर्देश’ जारी करने से संबंधित पैरा 83 (उद्धरण संलग्‍न) देखें।

2. सितंबर 2011 में प्रतिभूतीकरण लेनदेनों पर जारी प्रारूप दिशानिर्देशों में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने कतिपय शर्तों के अधीन ऋण वर्धन के पुनर्निर्धारण को अनुमति देने का प्रस्‍ताव किया था। तथापि, कतिपय मुद्दों के मद्देनजर 07 मई 2012 के ‘प्रतिभूतीकरण लेनदेनों पर दिशानिर्देशों में संशोधन’ शीर्षक वाले भारतीय रिज़र्व बैंक के अंतिम दिशानिर्देश में यह इंगित किया गया था कि ऋण वर्धन को पुनर्निर्धारित करने संबंधी दिशानिर्देशों को अलग से जारी किया जाएगा।

3. उल्लिखित प्रारूप दिशानिर्देशों की प्रतिक्रिया स्‍वरूप विभिन्‍न हितधारकों से प्राप्‍त टिप्‍पणियों को ध्‍यान में रखते हुए, ऋण वर्धन को पुनर्निर्धारित करने संबंधी दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दे दिया गया है और वे अनुबंध में संलग्‍न हैं। परिपत्र में निर्धारित शर्तों के अधीन ऋण वर्धन उपलब्‍ध कराने वाले द्वारा ऋण वर्धन की मूल राशि को पुनर्निर्धारित किया जा सकता है तथा इस अतिरिक्‍त राशि का आहरण किया जा सकता है।

4. हमारे दिनांक 01 जुलाई 2013 के बासल III पूंजी विनियमों से संबंधित ‘मास्‍टर परिपत्र’ में दिए गए दिशानिर्देशों सहित आस्तियों के प्रतिभूतीकरण पर अन्‍य सभी दिशानिर्देश अपरिवर्तित रहेंगे।

भवदीय

(चंदन सिन्‍हा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक


मौद्रिक नीति विवरणी से वर्ष 2013-14 का उद्धरण

प्रतिभूतीकरण में ऋण बढ़ाने (क्रेडिट एनहान्समेंट) केरीसेट पर दिशानिर्देश

83. रिज़र्व बैंक ने मई 2012 में “प्रतिभूतीकरण लेनदेन संबंधी दिशानिर्देशों में संशोधन” पर दिशानिर्देश जारी किए। भारतीय प्रतिभूतीकरण बाजार का सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभूतीकरण लेनदेन के संबंध में न्यूनतम होल्डिंग अवधि, न्यूनतम धारण अनुपात (रिटेंशन रेशियो), ऋण की शुरुआत (लोन ओरिजिनेशन) और समुचित सावधानी के मानकों पर इन दिशानिर्देशों के माध्यम से विभिन्न मानदंड लाए गए। यद्यपि मौजूदा दिशा निर्देशों में विशेष प्रयोजन माध्यम द्वारा जारी प्रतिभूतियों के जीवन-काल के दौरान ऋण बढ़ाने (क्रेडिट एनहान्समेंट) के रीसेट की अनुमति नहीं है, मई 2012 में यह उल्लेख किया गया था कि ऋण बढ़ाने (क्रेडिट एनहान्समेंट) के रीसेट पर दिशानिर्देशों को अलग से जारी किया जाएगा। तदनुसार, प्रस्ताव है कि:

  • प्रतिभूतीकरण में क्रेडिट संवर्धन के रीसेट पर अंतिम दिशानिर्देशों को जून 2013 के अंत तक जारी कर दिया जाए।

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