जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन
भारिबैंक/2011-12/545 09 मई 2012 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/ महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंकों का ध्यान उपर्युक्त विषय पर 4 अप्रैल 2003 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 92 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. उल्लिखित परिपत्र के पैराग्राफ सी 4(iv) के अनुसार, प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को यह अनुमति दी गयी है कि वे निवासी ग्राहकों की विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अथवा रुपया कार्यशील पूँजी/पूँजीगत व्यय जरूरतों के लिए विदेशी मुद्रा निधियों का नियोजन उन्हें ऋण प्रदान करने के लिए कर सकते हैं बशर्ते प्रचलित (लागू) विवेकपूर्ण/ब्याज-दर मानदंड, ऋण अनुशासन और ऋण निगरानी दिशानिर्देशों का अनुपालन होता हो । 3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने 4 मई 2012 के परिपत्र डीबीओडी.डीआईआर.बीसी.102/13.03.00/ 2011-12 के जरिये विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते [FCNR(B)] की ब्याज दर और अंतिम उपयोग की समीक्षा की है । तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि जमा देयताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते [FCNR(B)] की निधियों का उपयोग निवासी ग्राहकों को प्रचलित (लागू) विवेकपूर्ण/ब्याज-दर मानदंड, ऋण अनुशासन और ऋण निगरानी दिशानिर्देशों की शर्त के अधीन निम्नलिखित के लिए ऋण प्रदान करने के लिए किया जा सकता है :-
प्राधिकृत व्यापारी तदनुसार दिशानिर्देशित हों । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |