जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन
भारिबैंक/2012-13/554 26 जून 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/ महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 28 दिसंबर 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.32 के संलग्नक के खंड 'सी' की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो "ओवर दि काउंटर (OTC) विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तथा पण्यों की कीमतों और भाड़े संबंधी जोखिमों के बाबत ओवरसीज़ हेजिंग" के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश से सबंधित है तथा जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारत में ईक्विटी और/या ऋणों में किए गए उनके संपूर्ण निवेश के, बाजार मूल्य के संबंध में, मुद्रा जोखिम को हेज करने के लिए अनुमति दी गयी है। 2. उक्त खंड के प्रावधानों के तहत, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों से अपेक्षित है कि वे आवधिक आधार पर सत्यापित करें कि आउटस्टैंडिंग फारवर्ड कवर अंतर्निहित एक्सपोज़रों द्वारा समर्थित है। इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोई विदेशी संस्थागत निवेशक अपने उप-खाता धारकों में से किसी एक खाता धारक के एक्सपोज़र को हेज करना चाहता है, (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची 2 का पैराग्राफ 4 देखें) तो उससे यह अपेक्षित होगा कि वह अपने ऐसे उप-खाता धारक द्वारा डेरिवेटिव लेनदेन करने के संबंध में अभीष्ट स्पष्ट मैंडेट प्रस्तुत करे। इसके अलावा, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को मैन्डेट के साथ ही साथ संबंधित उप-खातेगत प्रतिभूतियों के बाजार मूल्य की तुलना में संविदा की पात्रता भी सत्यापित करनी होगी। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |