जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन
भारिबैंक/2013-14/446 13 जनवरी 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाए) विनियमावली 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰ फेमा. 25/आरबी-2000) और 15 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 58, 31 जुलाई 2012 और ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 13 और 4 सितम्बर 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 36 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा विनियमों के अंतर्गत निवासी व्यक्तियों को चालू और पूंजी खातेगत लेनदेनों को हेज करने के लिए बुक की गयी वायदा संविदाओं (forward contracts), जिनमें से एक मुद्रा रुपया है, को रद्द करने और फिर से बुक करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, निर्यातकों को किसी वित्तीय वर्ष में संविदागत निर्यात जोखमों के लिए बुक की गयी संविदाओं के 50 प्रतिशत तक वायदा संविदाओं (forward contracts) को रद्द करने और फिर से बुक करने की अनुमति है तथा आयातकों को किसी वित्तीय वर्ष में उनके संविदागत आयात जोखिमों के लिए बुक की गयी संविदाओं के 25 प्रतिशत तक वायदा संविदाओं (forward contracts) को रद्द करने और फिर से बुक करने के अनुमति है। 3. बदली हुई बाजार परिस्थितियों की समीक्षा करने और चालू तथा पूंजी खातेगत लेनदेनों के संबंध में परिचालनात्मक लचीलापन उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया है कि सभी चालू खातेगत लेनदेनों के साथ ही साथ पूंजी खातेगत लेनदेनों, जिनकी अवशिष्ट परिपक्वता अवधि एक वर्ष अथवा उससे कम है, के संविदागत जोखिमों के मामले में, वायदा संविदाओं (forward contracts) को मुक्त रूप में रद्द करने और फिर से बुक करने की अनुमति प्रदान की जाए। जहां तक विदेशी संस्थागत निवेशकों/अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों/अन्य संविभाग (portfolio) निवेशकों के जोखिमों का संबंध है, इन निवेशकों द्वारा बुक की गई वायदा संविदाएं (forward contracts), एक बार रद्द किए जाने पर, रद्द की गयी संविदाओं के मूल्य के दस प्रतिशत तक की सीमा तक फिर से बुक की जा सकती हैं। इन निवेशकों द्वारा बुक की गई वायदा संविदाएं हालांकि परिपक्वता पर अथवा उससे पूर्व रोल ओवर की जा सकती हैं। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं । 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय (सी॰डी॰श्रीनिवासन) |