जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन
भारिबैंक/2013-14/613 27 मई 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰फेमा.25/आरबी-2000) और समय-समय पर यथासंशोधित 28 दिसंबर 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 32 एवं 27 मार्च 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 114 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. विगत निष्पादन के आधार पर संभावित एक्स्पोजर के मुद्रा जोखिम की हेजिंग से संबन्धित मौजूदा दिशानिर्देशों के अंतर्गत, निवासी आयातकों को उनकी पात्रता सीमा के 25 प्रतिशत तक संविदाएं बुक करने की अनुमति है। विगत तीन वित्तीय वर्षों में किए गए आयात पण्यावर्त के औसत अथवा पिछले वर्ष के वास्तविक आयात पण्यावर्त, में से जो भी अधिक हो, पात्रता सीमा के रूप में परिगणित की जाती है। 3. बाजार की परिवर्तित स्थितियों की समीक्षा करने और आयातकों को हेज़िंग सुविधा में बृहत्तर लचीलापन उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया है कि आयातकों को विगत निष्पादन मार्ग के अंतर्गत पात्रता सीमा के 50 प्रतिशत तक फारवर्ड संविदाएं बुक करने की अनुमति दी जाए। जिन आयातकों ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में पिछली पात्रता सीमा के 25 प्रतिशत तक संविदाएं पहले ही बुक कर ली हैं, वे बढ़ायी गई सीमा के अंतर तक के लिए और पात्र होंगे। इस बाबत सभी परिचालनात्मक दिशानिर्देश, शर्तें आवश्यक परिवर्तनों सहित लागू होंगे/होंगी। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |