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जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन देन : अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (इटीसीडी) बाजार में पहुँच प्राप्त करने की अनुमति देना

भारिबैं/2016-17/221
ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.30

दिनांक 2 फरवरी 2017

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन देन : अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (इटीसीडी) बाजार में पहुँच प्राप्त करने की अनुमति देना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथासंशोधित फेमा, 1999 (1999 का42 वाँ अधिनियम) की धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (ज) के अंतर्गत जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 दिनांक 3 मई 2000 (अधिसूचना सं.25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) की ओर और समय समय पर यथासंशोधित जोखिम प्रबंधन एवं अंतर-बैंक लेन देन पर मास्टर निदेश दिनांक 5 जुलाई 2016 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

2. इस समय, एनआरआई को अनुमति होती है कि वे अपनी रुपया करेंसी जोखिम को ओटीसी लेन देनों के माध्यम से एडी बैंकों के पास हेज करें । एनआरआइ के लिए अतिरिक्त हेजिंग उत्पादों को समर्थ बनाने की दृष्टि से, ताकि एनआरआई भारत में अपने निवेश को हेज कर सकें, यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें भारत में फेमा, 1999 के अंतर्गत किये गये अपने निवेश से उत्पन्न करेंसी जोखिम को हेज करने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में पहुँच प्राप्त करने की अनुमति दी जाये । इस आशय की घोषणा दिनांक 5 अप्रैल 2016 को मौद्रिक नीति वक्तव्य में की गयी थी ।

3. एनआरआई निम्नलिखित शर्तों के अनुसार इटीसीडी बाजार में पहुँच प्राप्त कर सकते हैं :

  1. एनआरआई करेंसी और इटीसीडी खंडों में अपने सम्मिलित पोजिशन की निगरानी और रिपोर्टिंग के प्रयोजनार्थ किसी एडी श्रेणी-। बैंक को नामित करेंगे ।

  2. एनआरआई ऋण और इक्विटी में अपने अनुमत (फेमा, 1999 के अंतर्गत) रुपया निवेश को तथा एनआरई खातों में प्राप्य लाभांश और धारित जमाराशियों के बाजार मूल्य पर करेंसी जोखिम को हेज करने के लिए करेंसी फ्यूचर्स/एक्सचेंज ट्रेडेड ऑप्शन्स मार्केट में पोजिशन ले सकते हैं ।

  3. एक्सचेंज/क्लियरिंग कारपोरेशन एनआरआई के सभी लेन देनों के ब्यौरे नामित बैंक को देगा ।

  4. नामित बैंक एक्सचेंजों में एनआरआई की पोजिशन का तथा उनके साथ एवं अन्य एडी बैंकों के साथ बुक की गयी ओटीसी डेरिवेटिव संविदाओं में पोजिशन का समेकन करेगा । नामित बैंक समग्र पोजिशनों की निगरानी करेगा और अंतर्निहित रुपया करेंसी जोखिम को सुनिश्चित करेगा तथा उल्लंघनों, यदि हों, को आरबीआई/सेबी के ध्यान में लायेगा ।

  5. अंतर्निहित एक्सपोजर के अस्तित्व को सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व संबंधित एनआरआई का होगा । यदि हेज लेन देन के माध्यम से एक्सपोजर का परिमाण अंतर्निहित एक्सपोजर से अधिक हो जाय़े, तो संबंधित एनआरआई ऐसी दांडिक कार्रवाई का भागी होगा, जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत की जा सकती है ।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) (विनियम) में आवश्यक संशोधन (अधिसूचना सं. फेमा 378/2016-आरबी दिनांक 25 अक्तूबर 2016) द्वारा शासकीय़ राजपत्र में जी.एस.आर.सं.1005(ई) दिनांक 25 अक्तूबर 2016 द्वारा अधिसूचित किये गये हैं, जिसकी प्रतिलिपि इस परिपत्र के साथ अनुबंध-। में दी गयी है। ये विनियम फेमा, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (ज) के अंतर्गत जारी किये गये हैं ।

5. अधिसूचना सं. एफएमआरडी.13/सीजीएम (टीआरएस) दिनांक 2 फरवरी 2017 और सं. एफएमआरडी.14/सीजीएम (टीआरएस) – 2017 दिनांक 2 फरवरी 2017, यथा, करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैंक)(संशोधन) निदेश, 2017 और एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक)(संशोधन) निदेश, 2017 जिनके द्वारा क्रमशः अधिसूचना सं. एफइडी.1/डीजी(एसजी)-2008 दिनांक 6 अगस्त 2008 और अधिसूचना सं. एफइडी.1/ईडी (एचआरके)-2010 दिनांक 30 जुलाई 2010 द्वारा अधिसूचित निदेशों को संशोधित किया गया है, जारी की गयी है । निदेशों की प्रतिलिपियाँ संलग्न हैं (अनुबंध ।। और ।।।) । ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 डब्लू के अंतर्गत जारी किये गये हैं ।

6. यह परिपत्र विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किया गया है और इससे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन पर, यदि हो, कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है ।

भवदीय

(टी.रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


[ ए.पी. (डीआइआर सीरीज) सं.30 दिनांक 2 फरवरी 2017 का अनुबंध । ]

अधिसूचना सं.फेमा 378/आरबी-2016

दिनांक 25 अक्तूबर 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) संशोधन विनियम, 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 47 की उपधारा (2) के खंड (ज) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक इसके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) में निम्नलिखित संशोधन करता है, यथा : -

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा)(संशोधन) विनियम, 2016 कहा जा सकेगा ।

(ii) इन्हें शासकीय राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से प्रवृत्त हुआ माना जायेगा ।

2. विनियम 5 बी का संशोधन : विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) में प्रधान विनियंम के अंतर्गत वर्तमान विनियम 5बी के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जायेगा, यथा :

“5बी भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति को एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव में भाग लेने की अनुमति

भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित से उत्पन्न रुपया करेंसी जोखिम से अरक्षित है :

(i) कोई अनुमत चालू खाता लेन देन या

(ii) उसके द्वारा धारित रुपये में मूल्यवर्गित कोई आस्ति या उसकी रुपये में मूल्यवर्गित कोई देयता, जो फेमा, 1999 के अंतर्गत अनुमत हो,

किसी स्टॉक एक्सचेंज में, जो प्रतिभूति संविदा (विनियम) अधिनियम, 1956 की धारा 4 के अंतर्गत मान्यताप्राप्त है, ऐसे एक्सपोजर को हेज करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी किये गये निदेशों में दी गयी शर्तों के अधीन करेंसी डेरिवेटिव संविदा का लेन देन कर सकता है ।

(टी.रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


पाद-टिप्पणी :-

मूल विनियम जी.एस.आर सं.411(ई) दिनांक 8 मई 2000 द्वारा शासकीय राजपत्र के भाग ।।, खंड 3, उपखंड (i) में प्रकाशित किये गये और बाद में निंम्नलिखित द्वारा संशखोधित किये गये –

जी.एसआर सं. 756 (ई) दिनांक 28.09.2000
जी.एसआर सं. 264 (ई) दिनांक 09.04.2002
जी.एसआर सं. 579 (ई) दिनांक 19.08.2002
जी.एसआर सं. 222 (ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एसआर सं. 532 (ई) दिनांक 09.07.2003
जी.एसआर सं. 880 (ई) दिनांक 11.11.2003
जी.एसआर सं. 881 (ई) दिनांक 11.11.2003
जी.एसआर सं. 750 (ई) दिनांक 28.12.2005
जी.एसआर सं. 222 (ई) दिनांक 19.04.2006
जी.एस.आर सं. 223 (ई) दिनांक 19.04.2006
जी.एसआर सं. 760 (ई) दिनांक 07.12.2007
जी.एसआर सं. 577 (ई) दिनांक 05.08.2008
जी.एसआर सं. 440 (ई) दिनांक 23.06.2009
जी.एसआर सं. 895 (ई) दिनांक 14.12.2009
जी.एसआर सं. 635 (ई) दिनांक 27.07.2010
जी.एसआर सं. 608 (ई) दिनांक 03.08.2012
जी.एसआर सं. 799 (ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एसआर सं. 330 (ई) दिनांक 23.05.2013
जी.एसआर सं. 374 (ई) दिनांक 02.06.2014 और
जी.एसआर सं. 365 (ई) दिनांक 01.06.2016

भारत सरकार के शासकीय राजपत्र – असाधारण – भाग-।।, खंड 3, उपखंड (i) में प्रकाशित दिनांक 25 अक्तूबर 2016-जी.एस.आर.सं.1005 (ई)


[ ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 30 दिनांक 2 फरवरी 2017 का अनुबंध ।। ]

करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2017
अधिसूचना सं. एफएमआरडी.13/सीजीएम(टीआरएस)-2017 दिनांक 2 फरवरी 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक लोक हित में आवश्यक समझते हुए और देश के हित में वित्तीय प्रणाली को विनियमित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्लू द्वारा प्रदत्त शक्तियों और उन सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जो इसके लिए उसे समर्थ बनाती हैं, इसके द्वारा करेंसी फ्यूचर्स में लेन देन करने वाले सभी व्यक्तियों को निम्नलिखित निदेश देता है ।

1. संक्षिप्त नाम और निदेश का प्रारंभ

इन निदेशों को करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैंक)(संशोधन) निदेश, 2017 कहा जा सकेगा और ये 2 फरवरी 2017 से प्रवृत्त होंगे ।

2. करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008 में सेंशोधन (अधिसूचना सं.एफइडी-1/ईडी (जीपी)2014 दिनांक 10 जून 2014 के अनुसार करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2014 द्वारा और अधिसूचना सं. एफएमआरडी.1/ईडी (सीएस)-2015 दिनांक 10 दिसंबर 2015 के अनुसार करेंसी फ्यूचर्स (रिज़र्व बैक)(संशोधन) निदेश, 2015 द्वारा यथा संशोधित)

पैरा 3 में, उप पैरा (iii) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जायेगा :

“(iii) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 2 (डब्लू) में यथा परिभाषित भारत के बाहर निवासी व्यक्ति, जो निम्नलिखित के चलते रुपया करेंसी जोखिम से अरक्षित होते हैं :

(i) अनुमत चालू खाता अंतरण या

(ii) उनके द्वारा धारित रुपया मूल्यवर्गित कोई आस्ति या उसकी रुपया मूल्यवर्गित कोई देयता, जो फेमा, 1999 के अंतर्गत अनुमत हो

किसी स्टॉक एक्सचेंज में, जो प्रतिभूति संविदा (विनियम) अधिनियम, 1956 की धारा 4 के अंतर्गत मान्यताप्राप्त है, ऐसे एक्सपोजर को हेज करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी किये गये निदेशों में दी गयी शर्तों के अधीन करेंसी फ्यूचर्स का लेन देन कर सकता है ।

(टी. रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


[ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 30 दिनांक 2 फरवरी 2017 का अनुबंध ।।। ]

एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2017
अधिसूचना सं. एफएमआरडी.14/सीजीएम(टीआरएस)-2017 दिनांक 2 फरवरी 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक लोक हित में आवश्यक समझते हुए और देश के हित में वित्तीय प्रणाली को विनियमित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्लू द्वारा प्रदत्त शक्तियों और उन सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जो इसके लिए उसे समर्थ बनाती हैं, इसके द्वारा एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स में लेन देन करने वाले सभी व्यक्तियों को निम्नलिखित निदेश देता है ।

1. संक्षिप्त नाम और निदेश का प्रारंभ

इन निदेशों को एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) संशोधन निदेश, 2017 कहा जा सकेगा और ये 2 फरवरी 2017 से प्रवृत्त होंगे ।

2. एक्सचेंज ड्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010 में सेंशोधन (अधिसूचना सं.एफइडी-2/ईडी (जीपी)-2014 दिनांक 10 जून 2014 के अनुसार एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2014 द्वारा और अधिसूचना सं. एफएमआरडी.2/ईडी (सीएस)-2015 दिनांक 10 दिसंबर 2015 के अनुसार एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्ल (रिज़र्व बैक)(संशोधन) निदेश, 2015 द्वारा यथासंशोधित) ।

पैरा 3 में, उप पैरा (iii) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जायेगा :

“(iii) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 2 (डब्लू) में यथा परिभाषित भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति, जो निम्नलिखित के चलते रुपया करेंसी जोखिम से अरक्षित होते हैं :

(i) अनुमत चालू खाता लेन देन या

(ii) उसके द्वारा धारित रुपया मूल्यवर्गित कोई आस्ति या उसकी रुपया मूल्यवर्गित कोई देयता, जो फेमा, 1999 के अंतर्गत अनुमत हो

किसी स्टॉक एक्सचेंज में, जो प्रतिभूति संविदा (विनियम) अधिनियम, 1956 की धारा 4 के अंतर्गत मान्यताप्राप्त है, ऐसे एक्सपोजर को हेज करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी किये गये निदेशों में दी गयी शर्तों के अधीन एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स का लेन देन कर सकतै हैं ।

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