जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक कारोबार – सरलीकृत प्रतिरक्षा (Hedging) सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक कारोबार – सरलीकृत प्रतिरक्षा (Hedging) सुविधा
भारिबैं/2017-18/88 9 नवम्बर 2017 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदय/महोदया, जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक कारोबार – सरलीकृत प्रतिरक्षा (Hedging) सुविधा सभी प्राधिकृत व्यापारियों श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान फेमा, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (एच) के अंतर्गत जारी दिनांक 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) विनियमावली 2000, समय-समय पर यथासंशोधित, 5 जुलाई 2016 के मास्टर निदेश –जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक कारोबार, समय समय पर यथासंशोधित, तथा सरलीकृत प्रतिरक्षा सुविधा पर 2 अगस्त 2017 (पैरा 7) को भारतीय रिजर्व बैंक की विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर की गई टिप्पणी की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. सरलीकृत प्रतिरक्षा सुविधा योजना की घोषणा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पहले अगस्त 2016 में की गई थी तथा प्रारूप योजना 12 अप्रैल 2017 को जारी की गई. यह सुविधा दस्तावेजीकरण की अपेक्षा को कम करके प्रतिरक्षा विनिमय दर जोखिम कम करने, प्रतिरक्षा सुविधा, उत्पादों और प्रयोजन के संबंध में आदर्शनिष्ठ शर्तों को हटाने तथा गतिशील और प्रभावी प्रतिरक्षा माहौल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की जा रही है । 3. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) विनियमावली 2000 (दि. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 25/आरबी – 2000) (विनियमावली) में आवश्यक संशोधन (दि. 24 अक्तूबर 2017 की अधिसूचना सं. फेमा 388/2017 – आरबी) कार्यालयीन राजपत्र में दि. 24 अक्तूबर 2017 को जी. एस. आर.सं. 1324 द्वारा अधिसूचित किया गया, जिसकी एक प्रति इस परिपत्र के अनुलग्नक II में दी गई है । ये विनियम फेमा, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (एच) के अंतर्गत जारी किए गए हैं. दि. 5 जुलाई 2016 के जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक कारोबार पर मास्टर निदेश, समय समय पर यथासंशोधित, को तदनुसार अद्यतन किया गया है । 4. इस सुविधा के दिशानिर्देश इस परिपत्र के अनुलग्नक I में दिए गए हैं और यह सुविधा 1 जनवरी 2018 से प्रभावी होगी । 5. एडी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु अपने घटकों और ग्राहकों की जानकारी में लाए । 6. इस परिपत्र में निर्दिष्ट निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं तथा इससे किसी अन्य नियम के अंतर्गत, यदि आवश्यक हो, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा । भवदीय (टी.रबि शंकर) (दि. 9 नवम्बर 2017 के ए.पी.(डीआइआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 11 का परिशिष्ट सरलीकृत प्रतिरक्षा सुविधा पर दिशानिर्देश यूज़र : निवासी और अनिवासी संस्थाएं, व्यक्तियों को छोड़कर. प्रयोजन : विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999* के अंतर्गत संविदागत या प्रत्याशित अनुमत लेन देनों पर विनिमय दर जोखिम की प्रतिरक्षा हेतु. उत्पाद : फेमा, 1999 के अंतर्गत अनुमत काउंटर पर (ओटीसी) व्युत्पन्न अथवा विदेशी मुद्रा व्यापारित व्युत्पन्न (Exchange Traded Currency Derivative) (ईटीसीडी). बकाया संविदाओं पर कैप : सकल आधार पर 30 मिलिअन अमरीकी डॉलर, अथवा उसके समकक्ष. नामित बैंक : यूज़र द्वारा नामित कोई प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंक. परिचालनगत दिशानिर्देश, शर्तें i. यूज़र किसी एडी श्रेणी – I बैंक को “नामित बैंक” के रूप में नियुक्त करेगा. नामित बैंक यूज़र की प्रतिरक्षा अपेक्षाओं का मूल्यांकन करके बकाया संविदाओं पर विहित कैप की सीमा निर्धारित करेगा । ii. यूज़र की प्रतिरक्षा अपेक्षा, यदि समय के साथ साथ उसकी सीमा से अधिक हो जाती है तो बैंक उसका पुन: मुल्यांकन करेगा और वेह अपने विवेक के आधार पर विहित कैप के 150% की सीमा तक बढ़ा सकता है । iii. ओटीसी बाज़ार में प्रतिरक्षा संविदा किसी एडी श्रेणी – I बैंक के पास बुक किया जा सकता है; बशर्ते कि अन्तर्निहित नकदी प्रवाह उसी बैंक में किया जा । iv. यूजर द्वारा लगत में कमी का ढांचा बुक किया जा सकता है; निवासी गैर सूचीकृत कम्पनियों का निवल मूल्य 200 करोड़ रु. होने पर ही वे ऐसे ढांचों का उपयोग कर सकती हैं । v. इस सुविधा के अंतर्गत यूज़र को अन्तर्निहित ऋण जोखिम तय करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है. तथापि यूज़र केवल ओटीसी प्रतिरक्षा संविदाओं के मामले में मानक फॉर्मेट में अन्तर्निहित लेन देन का मूल ब्यौरा उपलब्ध करा सकता है. vi. निरस्त संविदाओं को उसी बैंक में आसानी से दुबारा बुक किया जा सकता है । vii. ओटीसी बाज़ार में बुक की गई प्रतिरक्षा संविदाओं के मामले में जबकि हानि की भरपाई यूजर से की जाएगी, निवल लाभ अर्थात संचयी हानि के अतिरिक्त लाभ की राशि को, यदि कोई हों, अन्तर्निहित नकदी प्रवाह की सुपुर्दगी के समय अंतरित किया जाएगा. आंशिक सुपुर्दगी के मामले में निवल लाभ की राशि यथानुपातिक आधार पर अंतरित की जाएगी । viii. अन्तर्निहित पूँजी लेखा लेन देनों के मामले में प्रतिरक्षा संविदाओं के मामले में, अन्तर्निहित आस्तियों/देयताओं के वास्तविक रूप से अस्तित्व में होने पर यूजर को लाभ/ हानि होने पर राशि तभी अंतरित कर दी जाएगी । ix. अधिकतम सीमा का पूरा उपयोग करने पर अथवा अधिकतम सीमा का उल्लंघन करने पर यूजर इस सुविधा के अंतर्गत नई संविदा बुक नहीं करेगा. ऐसे मामले में, इस सुविधा के अंतर्गत पहले से बुक की गई संविदा को उनके समाप्त होने की अवधि तक बने रहने दिया जाएगा. बाद में प्रतिरक्षा अपेक्षाओं को उसके बाद उपलब्ध प्रतिरक्षा सुविधाओं के अंतर्गत बुक किया जाएगा। x. इस सुविधा के अंतर्गत संविदा बुक करने वाले यूज़र्स को ओटीसी (OTC) या ईटीसीडी (ETCD) बाजार में, पैरा ix में निर्दिष्ट किए गए के अतिरिक्त, किसी अन्य सुविधा के अंतर्गत संविदा बुक नहीं करनी चाहिए । xi. प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में यूज़र नामित बैंक को वित्त के प्रधान अथवा संस्था के प्रधान द्वारा हस्ताक्षरित, निम्नानुसार ब्योरा देते हुए एक विवरणी प्रस्तुत करेंगे :
xii. नामित बैंक, नियुक्त किए जाने पर, व्यापार निक्षेपागार (टीआर) को यूजर का ब्योरा और प्रदान की गई सीमा सूचित करेगा. टीआर के अनुरोध पर एक्सचेंज दैनिक आधार पर टीआर को यूजर द्वारा इस प्रकार बुक की गई सभी संविदाओं के संबंध में सूचित करेगा । xiii. टीआर यूजर वार (ओटीसी (OTC) और ईटीसीडी (ETCD) बाजार में की गई) बकाया स्थिति की गणना करेगा तथा नामित बैंक को यह सूचना निगरानी के लिए उपलब्ध कराएगा. यदि यूजर की बकाया संविदाएं सीमा (अथवा बढाई गई सीमा, यदि कोई है) से अधिक होती हैं तो नामित बैंक यूजर को इस सुविधा के अंतर्गत नई संविदाओं की बुकिंग बंद करने के लिए सूचित करेगा । xiv. यदि यूजर अन्य उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करता है तो नामित बैंक टीआर को यह सूचना देगा. टीआर अपने रिकॉर्ड में इस सूचना को अद्यतन करेगा और सम्बंधित यूजर के लिए आंकड़े प्रस्तुत न करने के लिए पहचान की गई स्टॉक एक्सचेंज को अधिसूचित करेगा । xv. यूजर द्वारा किसी अन्तर्निहित संविदा को आवर्ती अथवा दुबारा बुक करने की प्रतिरक्षा के लिए समय सीमा के संबंध में बैंक के पास आंतरिक नीति होगी । |