रोडमैप – 2000 से कम आबादी वाले गांवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना - आरबीआई - Reserve Bank of India
रोडमैप – 2000 से कम आबादी वाले गांवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना
भारिबैं/2011-12/606 19 जून 2012 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदय / महोदया, रोडमैप – 2000 से कम आबादी वाले गांवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना कृपया आप 2000 से अधिक आबादीवाले प्रत्येक गांव में बैंकिंग आउटलेट के जरिए मार्च 2012 तक बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के संबंध में जारी हमारे दिनांक 27 नवंबर 2009 का परिपत्र भारिबैं/2009-10/233 और दिनांक 16 सितंबर 2010 का परिपत्र भारिबैं / 2010-11/203 देखें। उपर्युक्त रोड मैप के अधीन 74, 414 ऐसे बैंकरहित गांवों की पहचान की गई और उन्हें बैंकिंग आउटलेट खोले जाने हेतु विभिन्न बैंकों को सौंपा गया, जिनमें से, बैंकों ने मार्च 2012 तक 74,199 (99.7 प्रतिशत) गांवों में बैंकिंग आउटलेट खोले हैं। 2. साथ ही, भारत सरकार लाभार्थियों को एमनरेगा पारिश्रमिक सहित सभी राज्य लाभ एवं विभिन्न नकदी सब्सिडियां उनके अपने बैंक खातों में सीधे जमा (क्रेडिट) द्वारा अंतरित किए जाने की आवश्यकता पर बल देती रही है। इलेक्ट्रानिक लाभ अंतरण (ईबीटी) काफी लाभप्रद सिद्ध होने की आशा है, क्योंकि इसमें लाभ बिना किसी लिकेज के लाभार्थियों के हाथों में तत्काल पहुंच जाएंगे। इससे सरकार को सामाजिक लाभों के नकद वितरण में फिलहाल हो रही प्रशासनिक लागत भी बचाई जा सकेगी। तथापि, ईबीटी के सफल कार्यान्वयन की पूर्वापेक्षा यह है कि देशभर में दरवाजे पर बैंकिंग उपलब्ध हो, क्योंकि लाभार्थी सभी गांव-गांवों में फैले हुए हैं। इस प्रकार, वर्तमान नकद वितरण प्रणाली के स्थान पर लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जमा देने और आइसीटी आधारित बीसी मॉडेल के जरिए उनके दरवाजे पर वितरण के लिए सभी गांवों में कारोबारी प्रतिनिधि (बीसी) की उपलब्धता आवश्यक है। यहां उद्देश्य यह है कि देशभर के हर गृहस्थ / व्यक्ति को एक बैंक खाता उपलब्ध कराना है। इसलिए बैंकों को चाहिए कि वे देश के प्रत्येक गांव में एक बीसी संपर्क प्वाइंट प्राप्त करने के प्रयास करें , प्रारंभ में यह ईबीटी सेवाएं उपलब्ध कराते हुए हो जो शुरूआती दौर में कम से कम पखवाड़े में एक बार हो। 3. उपर्युक्त के परिप्रेक्ष्य में, जैसाकि वर्ष 2012-13 की मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैरा 70 में कहा गया है,राज्य-स्तरीय बैंकर समितियों (एसएलबीसी) के लिए अब यह अधिदेशित किया गया है कि वे 2000 से कम आबादी वाले सभी बैंक-रहित गाँवों को शामिल करते हुए एक रोडमैप तैयार करें और राष्ट्रीय स्तर पर समयबद्ध तरीके से बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उन गाँवों को सांकेतिक रूप से बैंकों को आबंटित करें। सांकेतिक आबंटन का अभिप्राय केवल यह सुनिश्चित करना है कि सभी गाँवों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए कम-से-कम एक बैंकिंग केंद्र उपलब्ध कराया जा सके तथा उपलब्ध कारोबारी संभावना के आधार पर इन क्षेत्रों में परिचालन करने से किसी अन्य बैंक को अस्वीकार अथवा रोका नहीं जा सके। अत: आप अग्रणी बैंकों को सूचित करें कि वे एक समयबद्ध तरीके से बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने, विशेष रूप से, प्रारंभ में, इलेकट्रॉनिक लाभ अंतरण (ईबीटी) सेवाएं शुरू करने के साथ, के लिए 2000 से कम (2001 की जनगणना) आबादी वाले प्रत्येक गाँव में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के संबंध में एक रोडमैप तैयार करने के लिए जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) की एक उप समिति गठित करें। यह उप समिति ऐसे बैंक-रहित गाँवों की पहचान करेगी तथा उस जिले में परिचालन के लिए इन गाँवों को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) के बीच आबंटित करेगी। पहचान और आबंटन का कार्य पारस्परिक सलाह तथा जहाँ तक संभव हो, बैंकों द्वारा स्वैच्छिक स्वीकृति के माध्यम से किया जाए। इस परिपत्र के पैरा 6 में की गई परिकल्पना के अनुसार, रोडमैप पर विभिन्न राज्यों से प्राप्त फीड-बैक के आधार पर रिज़र्व बैंक लक्ष्य प्राप्ति के संबंध में की गई प्रगति पर निगरानी रखेगा। 4. कारोबारी प्रतिनिधि (बीसी) और शाखाओं के सहयोग के माध्यम से 2000 से कम आबादी वाले सभी बैंक रहित गाँवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु रूपरेखा तैयार करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि बीसी ईकाईयों के एक समूह अर्थात् 3-4 किलोमीटर की उचित दूरी पर 8-10 बीसी ईकाईयों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए कोई इमारती शाखा हो। अत:, बैंक-रहित गाँवों का आबंटन करते समय डीसीसी की उप समिति बैंकों द्वारा पहले ही सृजित कारोबारी प्रतिनिधि के बुनियादी ढ़ांचे का ईष्टतम उपयोग सुनिश्चित करें और तदनुसार निम्नलिखित पर विचार करें :
जहाँ उप समिति को आबंटन के समय उपर्युक्त विचारों का संज्ञान लेना चाहिए, वहीं दूरी के निर्धारण तथा बीसी के प्रति न्यूनतम लागत वाली मध्यवर्ती शाखा के अनुपात के निर्धारण के संबंध में आबंटन के बाद की किसी परिचालनात्मक कठिनाई का समाधान उप समिति द्वारा आगे से किया जाए। 5. प्रारंभिक चरणों में, आबंटित गाँवों तक बीसी द्वारा नियमित दौरों के माध्यम से इसे स्वत: आवश्यक कारोबारी प्रतिदर्श बनाने के लिए ईबीटी लाभार्थियों को दरवाज़े पर सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिकता देने हेतु बैंक एक समयावधि के दौरान यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रकार की बैंकिंग सेवाएं उदाहरणार्थ प्रेषण, आवर्ती जमा, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तथा सामान्य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) के रूप में उद्यमी ऋण, बीमा (जीवन तथा गैर-जीवन) तथा अन्य बैंकिंग सेवाएं इमारती शाखा और बीसी नेटवर्क के एक मिश्रण के माध्यम से गाँव के सभी निवासियों को उपलब्ध हों। 6. विभिन्न बैंकों को आबंटित गाँवों के ब्योरे के साथ अंतिम रोडमैप अनुबंध 'ए', भाग I और II में दिए गए फॉर्मेट के अनुसार रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अधिक-से-अधिक 31 अगस्त 2012 तक प्रस्तुत किए जाए। इसके अलावा बैंकिंग आउटलेट द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं की गुणवत्ता सहित गाँवों के आबंटन में की गई प्रगति तथा रोडमैप में उल्लिखित लक्ष्य को प्राप्त करने के आवधिक आकलन और मूल्यांकन के लिए डीसीसी और एसएलबीसी द्वारा एक निगरानी और समीक्षा व्यवस्था स्थापित की जाए। एसएलबीसी संयोजक बैंक, बैंकिंग केंद्रों के खोले जाने में जिला-वार और बैंक-वार की गई प्रगति का निर्धारित फॉर्मेट (अनुबंध बी) के अनुसार रिज़र्व बैंक के ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सितंबर 2012 को समाप्त तिमाही से शुरु करते हुए अगले महीने की 10 तारीख तक एक तिमाही विवरण प्रस्तुत करने की व्यवस्था करें। 7. रोडमैप और इसकी उपलब्धि पर जानकारी संबंधित एसएलबीसी की वेबसाईटों पर भी प्रकाशित की जाए। भवदीय (सी.डी. श्रीनिवासन) अनुलग्नक : 3 पत्रक |