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अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्‍ड/काला धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवद के वित्‍तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/काला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बेंकों का दायित्‍व

आरबीआइ/2010-11/ 366
ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.एएमएल.बीसी.सं.46/03.05.33(ई)/2010-11

12 जनवरी 2011

अध्‍यक्ष
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

महोदय

अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदण्‍ड/काला धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवद के वित्‍तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/काला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएएमएलए), 2002 के अंतर्गत बेंकों का दायित्‍व

कृपया `अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) मानदण्‍ड - काला धनशोधन निवारण मानक विषय पर 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआत्रवि.आरआरबी सं. बीसी. 81 /03.05.33(ई)/2004-05 देखें । 

2. उपर्युक्‍त परिपत्र के साथ अनुबंध के रूप में लगे `अपने ग्राहक को जानें' (केवाईसी) मानदण्‍ड और काला धनशोधन निवारण उपायों के संबंध में दिशा-निर्देशों के पैरा 2(vi) के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अपेक्षा है कि वे अधिक जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में बढ़े हुए उचित अध्‍यवसाय एवं सावधानी उपाय अपनाएं । संदर्भाधीन उक्‍त पैराग्राफ में उन ग्राहकों के विस्तृत उदाहरण भी दिए हुए हैं, जिनके संबंध में उच्‍चतर अध्‍यवसाय एवं सावधानी उपाय अपनाने की आवश्‍यकता है । आगे यह भी सूचित किया जाता है कि नकदी आधारित व्‍यवसायों में निहित जोखिम को ध्‍यान में रखते हुए बैंकों द् वारा सोने-चॉंदी के डीलरों व्‍यापारियों (उप डीलरों सहित) को बढ़े हुए अध्‍यवसाय एवं सावधानी की अपेक्षा वाले `उच्‍च जोखिम' ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए ।

3. तदनुसार उपर्युक्‍त परिपत्र के साथ संलग्‍न दिशा-निर्देशों के पैराग्राफ 4 के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से यह भी अपेक्षा है कि वे इन `उच्‍च जोखिम खातों' को गहन लेन-देन निगरानी के अंतर्गत भी शामिल करें । बैंकों को, ऐसे खातों से जुड़ी हुई ऊँची जोखिम को वित्‍तीय आसूचना इकाई –भारत (एफआईयू-इंड) को संदेहास्‍पद लेन-देन रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने हेतु संदेहास्‍पद लेन-देनों की पहचान करने के लिए हिसाब में लेना चाहिए ।

4.  ये दिशा-निर्देश, धनशोधन निवारण (लेन-देनों के स्वरूप और मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समय सीमा और उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद् धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्‍तीय संस्थाओं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के साथ पठित, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अंतर्गत जारी किये जा रहे हैं। इनका उल्लंघन या अननुपालन संगत अधिनियम/नियमों के अंतर्गत दंडनीय है।

5 अनुपालन अधिकारी/मुख्य अधिकारी द्वारा इस पत्र की पावती हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए ।

भवदीय

(बी. पी. विजयेंद्र)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त

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