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बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

आरबीआई/2009-10/200
ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं.36 /03.05.28(बी)/2009-10

29 अक्तूबर 2009

अध्यक्ष
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

महोदया /महोदय

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 -
सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 14 फरवरी 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि. केंका. आरआरबी.सं.बीसी. 47/03.05.28(बी)/2007-08 देखें जिसके साथ दिनांक 14 फरवरी 2008 की अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका. आरआरबी.सं. 8483/03.05.28(बी)/2007-08 भेजी गई थी।                      

2. हमने 14 फरवरी 2008 की उपर्युक्त अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. 8483/ 03.05.28 (बी)/2007-08 को अंशत: संशोधित करते हुए 29 अक्तूबर 2009 की अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका. आरआरबी. बीसी.सं. 35/03.05.28(बी)/2009-10 (प्रति संलग्न) जारी की है, जिसमें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 के प्रयोजनों के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा रखी जाने वाली आस्तियों के स्वरूप और पद्धतियों का विवरण दिया गया है। सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) के लिए 8 सितंबर 2009 तक जारी पात्र प्रतिभूतियां (14 फरवरी 2008 की अधिसूचना के अनुबंध में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों सहित) की एक अद्यतन सूची संलग्न अधिसूचना के अनुबंध में दी गई है।

3. किसी सरकारी प्रतिभूति की एसएलआर स्थिति के संबंध में सूचना देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि:

(i) भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी प्रतिभूतियों की एसएलआर स्थिति प्रतिभूतियों को जारी करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रेस प्रकाशनी में दी जाएगी ; तथा 

(ii) एसएलआर प्रतिभूतियों की एक अद्यतन और वर्तमान सूची रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का आंकड़ा भंडार’ शीर्ष के अंतर्गत दी जाएगी।

4. यदि किसी प्रतिभूति की एसएलआर स्थिति के संबंध में किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो कृपया मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय (10 वीं मंजिल) फोर्ट, मुंबई 400 001 को लिखें। 

भवदीय

(आर.सी. षडंगी)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. 35 /03.05.28(बी)/2009-10

29 अक्तूबर 2009

अधिसूचना

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 24 की उप-धारा (2क) का प्रयोग करते हुए तथा 14 फरवरी 2008 की अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. 8483 /03.05.28 (बी) /2007-08 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा यह निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भारत में नीचे दिए गए विवरण के अनुसार आस्तियां रखना जारी रखेगा जिनका मूल्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर निर्दिष्ट की गई मूल्यांकन विधि के अनुसार किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 24 प्रतिशत से कम नहीं होगा जैसा कि 3 नवंबर 2008 की अधिसूचना ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. 4881/03.05.28(बी)/2008-09 द्वारा निर्धारित किया गया है।

(क) नकदी, अथवा
(ख) स्वर्ण जिसका मूल्य चालू या बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर नहीं होगा, अथवा
(ग) निम्नलिखित लिखतों में भाररहित निवेश जिन्हें ‘‘सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) प्रतिभूतियां’’ कहा जाएगा:

  1. अनुबंध में दी गई सूचना के अनुसार 8 सितंबर 2009 तक जारी दिनांकित प्रतिभूतियां;
  2. भारत सरकार के खजाना बिल;
  3. बाजार उधार कार्यक्रम तथा बाजार स्थिरीकरण योजना के अंतर्गत समय-समय पर जारी भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियां;
  4. बाजार उधार कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर जारी राज्य सरकारों के राज्य विकास ऋण ;
  5. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किए जाने वाले कोई अन्य लिखत।

स्पष्टीकरण

(क) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के ‘‘भाररहित निवेश’’ में अग्रिम अथवा किसी अन्य ऋण व्यवस्था के लिए किसी अन्य संस्था के पास रखी उपर्युक्त प्रतिभूतियों में निवेश उस सीमा तक शामिल होगा जिस सीमा तक उन प्रतिभूतियों के बदले कोई आहरण न किया गया हो।

(ख) ‘‘बाजार उधार कार्यक्रम’’ का अर्थ भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जनता से लिए जाने वाले देशी रुपया ऋण हैं, जिनका प्रबंध भारतीय रिज़र्व बैंक नीलामी के माध्यम से अथवा इस संबंध में जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी अन्य विधि से ऐसी विपणनयोग्य प्रतिभूतियों को जारी करके करता है जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 तथा उसके अंतर्गत बने विनियमों से नियंत्रित होती है।

(ग) उपर्युक्त प्रयोजन हेतु राशि की गणना के लिए निम्नलिखित को भारत में रखी गई नकदी के रूप में माना जाएगा :

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 42 के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखे जाने के लिए अपेक्षित शेष से रखा गया अधिक शेष;
  2. भारत में अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के पास चालू खातों में निवल शेष।

(वी.के. शर्मा)
कार्यपालक निदेशक

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