अपने ग्राहक को जानिए मानदंड / धनशोधन निवारण मानक(एएमएल) / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध(सीएफटी) / पीएमएलए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – बैंक द्वारा ग्राहकों से मांगी जानी वाली सूचना - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए मानदंड / धनशोधन निवारण मानक(एएमएल) / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध(सीएफटी) / पीएमएलए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – बैंक द्वारा ग्राहकों से मांगी जानी वाली सूचना
भारिबैं/2013-14/261 16 सितंबर 2013 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, अपने ग्राहक को जानिए मानदंड / धनशोधन निवारण मानक(एएमएल) / आतंकवाद के अपने ग्राहक को जानिए मानदंड’ (केवाइसी) दिशानिर्देश - धनशोधन निवारण मानकों पर 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.आरआरबी.बीसी.सं.81/03.05.033(इ)/2004-05 और ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी.सं.80/07.40.00/2004-05 देखें। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य धनशोधन अथवा आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित गतिविधियों के लिए आपराधिक तत्वों द्वारा जानबूझकर या अनजाने ही, बैंकों का इस्तेमाल किए जाने से रोकना है। अपने ग्राहक को जानिए क्रियाविधि से बैंकों को अपने ग्राहकों को जानने / उनके वित्तीय लेन–देन को समझने का बेहतर अवसर मिलता है जिससे उन्हें अपने जोखिमों का विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने में मदद मिलती है। किंतु, भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्यान में आया है कि केवाईसी / एएमएल के अनुपालन के लिए खाता खोलते समय या उसे आवधिक अद्यतन करने के दौरान ग्राहकों से वैयक्तिक सूचना जैसे आश्रितों की संख्या, पुत्रों एवं पुत्रियों के नाम, जीवन-शैली, गत तीन वर्षों के दौरान की गई विदेश यात्राओं की संख्या, परिजनों के विवरण / विदेश में बसे रिश्तेदारों के विवरण, आस्ति-देयता विवरण, जीवन साथी (पति/ पत्नि) की जन्म–तारीख, निवेश आदि विवरण पूछे जा रहे हैं जो अनिवार्य नहीं हैं और संभाव्य ग्राहक के कथित जोखिम के लिए भी यह उपयुक्त नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, ग्राहक शिकायत करने लगे हैं कि बैंक केवाईसी अनुपालन हेतु जानकारी लेने के नाम पर अत्याधिक विवरण मांग रहे हैं और इस प्रकार ग्राहकों के निजी मामले में दखल दे रहे हैं। 2. इस संबंध में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों का ध्यान ऊपर उल्लिखित 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्रों के पैरा 2 की ओर आकर्षित किया जाता है जिनके अनुसार, ग्राहकों से मांगी गई सूचना संभावित जोखिम से न संगत हों, और न कि अनावश्यक दखलंदाजीपूर्ण हो और वह इस संबंध में जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुरूप हों। ग्राहक से अन्य कोई सूचना उसकी सहमति से तथा खाता खोलने के बाद मांगी जानी चाहिए। 3. अत: यह दोहराया जाता है कि केवाईसी प्रयोजन के लिए केवल ‘अनिवार्य’ सूचना मांगी जाए जो ग्राहक द्वारा खाता खोलते समय / आवधिक अद्यतनीकरण के दौरान दिया जाना बाध्यकर है। 4. आवश्यक हो तो ग्राहक के अन्य ‘वैकल्पिक’ विवरण/ अतिरिक्त सूचना, खाता खोलने के बाद ग्राहक की सहमति से अलग से प्राप्त की जा सकती है। ग्राहक को यह जानने का अधिकार है कि खाता खोलते समय केवाईसी के लिए दी जाने वाली सूचना क्या है और बैंक द्वारा मांगी जाने वाली कौन सी अतिरिक्त सूचना वैकल्पिक है। 5. साथ ही यह दोहराया जाता है कि बैंक यह ध्यान रखें कि ग्राहक से एकत्रित की गई सूचना (खाता खोलने से पहले ली जानेवाली 'अनिवार्य’ और खाता खोलने के बाद ग्राहक की सहमति से ली जानेवाली ‘वैकल्पिक’ दोनों ही ) को गोपनीय माना जाए और उसे प्रति-विक्रय (क्राससेलिंग) या इस प्रकार के किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रकट न किया जाए। 6. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त बातों का कड़ाई से पालन करें। भवदीय, (ए.उदगाता) |