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मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिनियम 1987 तथा स्‍वपरायणता (आटिज्‍म), मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्‍यक्तियों के कल्‍याण के लिए राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी कानूनी अभिभावक प्रमाणपत्र

आरबीआई/2013-14/466
ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.आरसीबी. बीसी. 79/03.05.33/2013-14

28 जनवरी 2014

अध्‍यक्ष / मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / राज्‍य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय/महोदया

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिनियम 1987 तथा स्‍वपरायणता (आटिज्‍म), मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्‍यक्तियों के कल्‍याण के लिए राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी कानूनी अभिभावक प्रमाणपत्र

कृपया 22 नवंबर 2007 का क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. बीसी. 38/03.05.33/2007-08 और एसटीसीबी त‍था डीसीसीबी के लिए 20 नवंबर 2007 का परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.बीसी.सं.37/07.40.06/2007-08 देखें जिनमें बैंकों को, अन्‍य बातों के साथ-साथ, यह सूचित किया गया था कि वे स्‍वपरायणता, मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन तथा बहुविध अक्षमता वाले अपंग व्‍यक्तियों द्वारा बैंक खाते खोलने/परिचालन करने के लिए मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिनियम, 1987 के अंतर्गत जिला न्‍यायालय द्वारा जारी अभिभावक प्रमाणपत्र अथवा स्‍वपरायणता, मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्‍यक्तियों के कल्‍याण के लिए राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत स्‍थानीय स्‍तर की समितियों द्वारा जारी अभिभावक प्रमाणपत्र को स्‍वीकार्य मान सकते हैं।

2. उक्‍त परिपत्र में उल्लिखित अनुदेशों का अधिक्रमण करते हुए, बैंक खातों के खोलने/परिचालन के लिए निम्‍नलिखित दिशानिर्देश लागू होंगेः

(i) मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिनियम, 1987 में एक कानून का प्रावधान किया गया है जो मानसिक रूप से रुग्‍ण व्‍यक्तियों के उपचार और देखभाल करने तथा उनकी संपत्तियों व अन्‍य मामलों के संबंध में बेहतर प्रावधान करने से संबंधित है। उक्‍त अधिनियम के अंतर्गत, "मानसिक रूप से रुग्‍ण व्‍यक्ति" का तात्‍पर्य ऐसे व्‍यक्ति से है जिसे मानसिक मन्‍दन को छोड़कर किसी अन्‍य मानसिक रुग्‍णता के लिए उपचार की आवश्‍यकता है। इस अधिनियम की धारा 53 और 54 मानसिक रूप से रुग्‍ण व्‍यक्तियो के लिए अभिभावकों तथा कतिपय मामलों में उनकी संपत्ति के लिए प्रबंधकों की नियुक्ति करने से संबंधित है। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अधिनियम, 1987 के अंतर्गत निर्धारित नियोक्‍ता प्राधिकारी जिला न्‍यायालय और जिलाधिकारी हैं।

(ii) स्‍वपरायणता, मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन तथा बहुविध अक्षमता वाले व्‍यक्तियों के कल्‍याण के लिए राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम, 1999 कतिपय विनिर्दिष्‍ट विकलांगताओं से संबंधित कानून का प्रावधान करता है। उस अधिनियम की धारा 2 के खंड (जे) में "विकलांग व्‍यक्ति" की परिभाषा ऐसे व्‍यक्ति के रूप में दी गयी है जो स्‍वपरायणता, मस्तिष्‍क पक्षाघात, मानसिक मन्‍दन या किन्‍हीं ऐसी दो या अधिक रुग्‍णताओं से पीडि़त है और इसमें बहुविध गंभीर अक्षमता से पीडि़त व्‍यक्ति भी शामिल है। यह अधिनियम एक स्‍थानीय स्‍तर समिति को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह विकलांग व्‍यक्ति के लिए ऐसे अभिभावक की नियुक्ति कर सके जो उस अक्षमता वाले व्‍यक्ति और उसकी संपत्तियों की देखभाल कर सकेगा।

(iii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / एसटीसीबी और डीसीसीबी को सूचित किया जाता है कि वे उक्‍त विधिक स्थिति को नोट करें और बैंक खाते खोलने/ परिचालित करने हेतु अभिभावकों/प्रबंधकों की नियुक्ति करने वाले सक्षम प्राधिकारियों द्वारा संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत जारी आदेशों / प्रमाणपत्रों को आधार बनाएं तथा उनसे मार्गदर्शन प्राप्‍त करें । संदेह की स्थिति में उचित विधिक परामर्श प्राप्‍त करने की सावधानी बरती जाए।

3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / एसटीसीबी और डीसीसीबी यह भी सुनिश्चित करें कि उनकी शाखाएं ग्राहकों को समुचित मार्गदर्शन प्रदान करती हैं ताकि विकलांग व्‍यक्तियों के अभिभावकों/प्रबंधकों को इस संबंध में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।

4. कृपया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसकी प्राप्ति-सूचना दें।

भवदीय

(ए. उदगाता)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

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