अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - केवाईसी को आवधिक रूप से अद्यतन करने के मानदंड को सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - केवाईसी को आवधिक रूप से अद्यतन करने के मानदंड को सरल बनाना
भारिबैं/2013-14/ 161 25 जुलाई 2013 अध्यक्ष /मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - केवाईसी को आवधिक रूप से अद्यतन करने के मानदंड को सरल बनाना कृपया अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/धनशोधन निवारण (एएमएल)मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) पर हमारे दिनांक 27 फरवरी 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि. के.का.आरआरबी.सं.बीसी.50/03.05.33(ई)/2007-08 और 28 फरवरी 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि.के.का.आरएफ.एएमएल.बीसी.सं. 51/07.40.00/2007-08 का पैराग्राफ 4 देखें जिसमें कहा गया है कि खाता खोलने के बाद बैंकों को ग्राहक पहचान संबंधी जानकारी (फोटोग्राफ सहित) को आवधिक रूप से अद्यतन करने की एक प्रणाली भी प्रारंभ करनी चाहिए। इस तरह से ग्राहक पहचान संबंधी जानकारी को अद्यतन बनाने की आवधिकता कम जोखिम श्रेणी के ग्राहकों के मामले में पांच वर्ष में एक बार से कम नहीं होनी चाहिए और उच्च तथा मध्यम जोखिम श्रेणियों के मामले में दो वर्ष में एक बार से कम नहीं होनी चाहिए। 2. थोड़े-थोड़े अंतराल पर नये केवाईसी दस्तावेज प्राप्त करने/जमा करने में बैंकरों/ग्राहकों द्वारा व्यक्त व्यावहारिक कठिनाइयों/अवरोधों को ध्यान में रखकर उक्त विषय की समीक्षा की गई है, क्योंकि विशेषकर कम जोखिम वाले ग्राहकों द्वारा पूर्व में जमा किए गए ऐसे दस्तावेज अधिकांश खातों में अपरिवर्तित रहे हैं। तदनुसार, प्राप्त सुझावों के आधार पर, अनुदेशों में निम्नानुसार संशोधन करने का निर्णय लिया गया हैः
3. बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे उक्त अनुदेशों को ध्यान में रखकर अपनी केवाईसी नीति में संशोधन करें और उक्त का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। भवदीय (ए. उदगाता) |