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रुपया आहरण व्यवस्था – 'खाते में विप्रेषण सीधे प्राप्ति' की सुविधा

भारिबैंक/2013-14/560
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 120

10 अप्रैल 2014

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

रुपया आहरण व्यवस्था – 'खाते में विप्रेषण सीधे प्राप्ति' की सुविधा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो खाते खोलने और रखने से संबंधित अनुदेशों के ज्ञापन संबंधी 6 फरवरी 2008 के, समय समय पर यथा संशोधित, ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.28 [ए.पी.(एफएल/ आरएल सीरीज़) परिपत्र सं.2] की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. विदेशी आवक विप्रेषण लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे प्राप्त/जमा होने की सुविधा देने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि रुपया आहरण व्यवस्था के अंतर्गत प्राप्त होने वाले विदेशी आवक विप्रेषणों को केवाईसी (KYC) अनुपालित लाभार्थी के बैंक खाते में इलेक्ट्रानिक मोड जैसे एनईएफटी, आईएमपीएस, आदि के जरिए अंतरित करने की अनुमति प्रदान की जाए। इस संबंध में नीचे दी गई प्रक्रिया का पालन किया जाएगा:

अनिवासी विनिमय गृहों के साथ रुपया आहरण व्यवस्था रखने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक ('पार्टनर बैंक') विदेशी आवक विप्रेषण स्वयं से भिन्न बैंक ('प्राप्तकर्ता बैंक' के नाम से अभिहित) के पास लाभार्थी के रखे गए बैंक खाते में इलेक्ट्रानिक रूप से, निम्नलिखित शर्तों के तहत, सीधे जमा (क्रेडिट) कर सकेंगे:

  1. 'पार्टनर बैंक' द्वारा अंतरित राशि 'प्राप्तकर्ता बैंक' केवल केवाईसी अनुपालित बैंक खाते में जमा (क्रेडिट) करेगा।

  2. केवाईसी (KYC) अननुपालित बैंक खातों के संबंध, में 'प्राप्तकर्ता बैंक' ऐसे खाते/तों में राशि क्रेडिट करने अथवा उनसे आहरण की अनुमति देने से पूर्व (विप्रेषण) प्राप्तकर्ता के बैंक खाते के बारे में केवाईसी/सीडीडी की प्रक्रिया पूरी करेगा।

  3. 'पार्टनर बैंक' (अर्थात अनिवासी विनिमय गृहों से रुपया आहरण व्यवस्था के तहत विदेशी आवक विप्रेषण प्राप्त करने वाला प्रा. व्या. श्रेणी I बैंक) खाते में सीधे क्रेडिट होने वाले ऐसे विप्रेषणों को उचित रूप में मार्क करेंगे ताकि 'प्राप्तकर्ता बैंक' को ज्ञात रहे कि संदर्भित विप्रेषण 'विदेशी आवक विप्रेषण' है।

  4. 'प्राप्तकर्ता बैंक' को निधियां अंतरित करते समय 'पार्टनर बैंक' विप्रेषण के प्रारंभ-कर्ता (originator) और लाभार्थी संबंधी सही और आवश्यक जानकारी इलेक्ट्रानिक संदेश में शामिल करना सुनिश्चित करेगा। यह सूचना अर्थात अनिवासी विनियम गृह, 'पार्टनर बैंक' और 'प्राप्तकर्ता बैंक' संबंधी जानकारी भुगतान श्रृंखला (payment chain) में हर स्तर पर विप्रेषण संदेश में उपलब्ध रहनी चाहिए। 'पार्टनर बैंक' इलेक्ट्रानिक संदेश में एक उचित एलर्ट जोड़ेगा जिससे यह इंगित होता रहे कि यह एक 'विदेशी आवक विप्रेषण' है एवं उसे केवल केवाईसी अनुपालित बैंक खाते में क्रेडिट किया जाए।

  5. धन शोधन निवारण (आभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के उपबंधों के अनुसार प्राप्तकर्ता की पहचान और अन्य दस्तावेज़ 'प्राप्तकर्ता बैंक' द्वारा अनुरक्षित किए जाएंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी केवाईसी/एएमएल/ सीएफटी संबंधी सभी अन्य अपेक्षाओं का पालन पार्टनर बैंक द्वारा किया जाएगा।

  6. 'प्राप्तकर्ता बैंक' पार्टनर बैंक से अतिरिक्त सूचनाएं मांग सकता है और संदिग्ध लेनदेन के संबंध में विप्रेषण जिस पार्टनर बैंक से मिला हो उसके नाम का उल्लेख करते हुए एफआईयू-आईएनडी को संदिग्ध रिपोर्ट भेजेगा।

3. समय समय पर यथा संशोधित 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं.2] द्वारा जारी सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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