भारत सरकार की राजकीय स्वर्ण बॉन्ड – प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश - समेकित - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत सरकार की राजकीय स्वर्ण बॉन्ड – प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश - समेकित
भा.रि.बैंक/2021-2022/114 22 अक्तूबर 2021 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) महोदय/महोदया, भारत सरकार की राजकीय स्वर्ण बॉन्ड – प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश - समेकित राजकीय स्वर्ण बॉन्ड, भारत सरकार द्वारा 30 अक्तूबर 2015 को पहली बार शुरू की गई थी। “प्राप्तकर्ता कार्यालय” को बॉन्ड के आवेदनों की प्राप्ति और सर्विसिंग से संबन्धित कुछ गतिविधियों को करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, आरबीआई प्राप्तकर्ता कार्यालयों के मार्गदर्शन के लिए 23 दिसंबर 2016 के परिपत्र आईडीएमडी.सीडीडी.सं.1569/14.04.050/2016-17 के माध्यम से समय-समय पर परिचलनात्मक दिशानिर्देश और प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश भी जारी करता है। 2. उपर्युक्त विषय पर सभी वर्तमान प्रभावी निर्देशों की सुविधा एक स्थान पर देने की दृष्टि से, समेकित प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों को जारी करने का निर्णय लिया गया है। इन बॉन्डों के सर्विसिंग के लिए लागू नियम एवं शर्त आज की तारीख तक जारी निर्देशों के साथ अद्यतित किया गया है और अनुलग्नक I में दिया गया है। योजना के परिचालन हेतु नियम/विनियमन में जहां कहीं परिवर्तन होगा उसे उचित रूप से और साथ ही साथ उचित रूप से अद्यतित करेंगे। 3. यह परिपत्र अभी तक जारी सभी परिचलनात्मक/प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का अधिक्रमण करता है। इन निर्देशों के जारी होने के साथ, अब से कोई अलग से प्रक्रियात्मक/परिचलनात्मक निर्देशों को जारी नहीं किया जाएगा। सभी प्राप्तकर्ता कार्यालय इन बॉन्डों के सर्विसिंग के दौरान इन निर्देशों का अनुसरण करेंगे। 4. इन दिशानिर्देशों को प्राप्तकर्ता कार्यालयों, बीएसई/एनएसई और निक्षेपागारों को जीएस अधिनियम 2006 के खंड 29(2) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है। भवदीय, (राजेंद्र कुमार) संलग्नक: यथोक्त I: परिचय राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (इसके बाद बॉन्ड के रूप में कहा जाएगा) भारतीय प्रतिभूति अधिनियम, 2006 (जीएस अधिनियम 2006) के खंड 3 के अनुसार भारत सरकार के स्टॉक के रूप में भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। समय-समय पर जारी भारत सरकार के संबन्धित अधिसूचना में पात्रता शर्तें और अन्य नियम एवं शर्त निर्दिष्ट होते हैं। 2. उपभोक्ताओं को परिचालन सुविधा और सर्विसिंग में आसानी की दृष्टि से, प्राप्तकर्ता कार्यालय (आरओ) और निक्षेपागार के साथ निक्षेपी प्रतिभागी (अमूर्तीकृत बॉन्ड के मामले में) को बॉन्डों के सर्विसिंग से संबंधी कुछ कार्य करने की ज़िम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है। सब्स्क्रिप्शन स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत और भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत आरओ की अद्यतित सूची परिशिष्ट I में दी गई है। आरओ को निर्गम के नियम एवं शर्त के संबंध में अपने अधिकारियों को जागरूक करना होगा और इसका अनुशासन के साथ पालन करना होगा। II. परिभाषाएँ इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि अन्यथा संदर्भ में आवश्यक न हो, क. “निक्षेपी प्रतिभागी” का तात्पर्य एक संस्था जिसे सेबी (निक्षेपागार और प्रतिभागी) विनियमन 1996 के अध्याय IV के अंतर्गत भारतीय प्रतिभूति और विनियमन बोर्ड द्वारा पंजीकरण का प्रमाणपत्र दिया गया हो। ख. “प्राप्तकर्ता कार्यालय” का अर्थ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर), एससीएचआईएल, नामित डाक घर (भारत सरकार द्वारा अधिसूचित), भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज जैसा कि परिशिष्ट I में विवरण दिया गया है। ग. “निक्षेपागार” का तात्पर्य कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अंतर्गत गठित और पंजीकृत कंपनी और जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनियमन बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) के खंड 12 के उप-खंड (1ए) के अंतर्गत पंजीकरण का प्रमाणपत्र दिया गया है। घ. बॉन्ड लेजर खाता या बीएलए का तात्पर्य भारतीय रिज़र्व बैंक में इलेक्ट्रोनिक रूप में धारक के क्रेडिट पर बॉन्ड रखा गया हो। अमूर्तीकृत फॉर्म का तात्पर्य आरबीआई के पास ग्राहकों के सहायक सामान्य खाता में रखे गए बॉन्ड से है। सीएसजीएल खाते का तात्पर्य सरकारी प्रतिभूति, 2006 के अनुसार ग्राहकों की ओर से एजेंट द्वारा बैंक के साथ खोले गए और व्यवस्थित किए गए सहायक सामान्य बही खाता। ङ. खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ट खाता (आरडीजी खाता) का तात्पर्य आरबीआई खुदरा प्रत्यक्ष योजना के अंतर्गत आरबीआई के बही में गिल्ट खाता व्यवस्थित करना है। III. बॉन्डों के सर्विसिंग के लिए प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश: इन बॉन्डो के निर्गम/ सर्विसिंग के संबंध में आरओ प्रक्रियात्मक/परिचालनात्मक दिशानिर्देशों द्वारा निम्न रूप में निर्देशित होंगे- 1. नोएडा शाखा/कार्यालय प्राप्तकर्ता कार्यालय (आरओ) और अन्य संस्थाएं जिन्हें बॉन्ड का निर्गम /सर्विसिंग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है उन्हें इस उद्देश्य के लिए नोडल कार्यालय/शाखा के रूप में चिन्हित किया जाएगा। विभिन्न शाखाओं या कार्यालयों पर प्राप्त आवेदनों को शुरुआती जांच के बाद आगे की कार्रवाई के लिए नोडल शाखा/कार्यालय भेजा जाएगा। आवेदनों का प्रसंस्करण आरओ और अन्य संस्थाओं के नागरिक संहिता के भाग के रूप में हो और समय-सीमा का कड़ाई से पालन हो। इन कार्यालयों/शाखाओं संपर्क करने वाले व्यक्तियों का विवरण आम लोगों के बीच में होना चाहिए और प्रभावी उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए और भारतीय रिज़र्व बैंक को उक्त के बारे में बताना होगा। इसके अलावा, वरिष्ठ स्तर के अधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक से नीचे का नहीं, का संपर्क विवरण भी आरबीआई को सूचित करना होगा। आरओ समय-समय पर संपर्क विवरण में परिवर्तन के बारे में हमें सूचित करता रहेगा। 2. आवेदन (i) आरओ, शाखाओं पर पात्र निवेशकों से सीधे या एजेंट के माध्यम से आवेदन स्वीकृत करने के लिए प्राधिकृत हैं। आवेदन समय-समय पर भारत सरकार/आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार सब्स्क्रिप्शन के सप्ताह पर सामान्य बैंकिंग घंटों के दौरान शाखों पर स्वीकार किए जाएंगे। फॉर्म का सब्स्क्रिप्शन निर्धारित आवेदन फॉर्म ए.डॉक्स में किया जाएगा। (ii) प्रत्येक आवेदन निवेशक (कों) को आयकर विभाग द्वारा जारी “पैन विवरण” के साथ होना चाहिए। संबन्धित अतिरिक्त जानकारी आवेदकों से यथावश्यक मांगी जा सकती है। (ii) आरबीआई के ई-कुबेर से जनरेट की गई निवेशक आईडी एक अलग आईडी है जो कि एसजीबी या महंगाई सूचकांक राष्ट्रीय बचत प्रतिभूतियाँ – संचयी 2013 (आईआईएनएससी-सी) हेतु आवेदन के समय बनाई जाती है। यदि आवेदक के पास पूर्व के किसी भाग में उपर्युक्त निवेश के लिए आरबीआई के ई-कुबेर पोर्टल द्वारा पहले से ही निवेशक आईडी है, तो निवेशक को कोई भी आगे के आवेदन के लिए उक्त को निरपवाद रूप से बताना होगा। (iii) आवेदन स्वीकार करते समय, आरओ को आवेदक से वर्तमान निवेशक आईडी यदि कोई है, के बारे में सुनिश्चित करना होगा। ऐसा न करने पर, उक्त को अपलोड करते समय ई-कुबेर पोर्टल को आवेदन अस्वीकार करना होगा। (iv) एसजीबी के सब्स्क्रिप्शन के लिए सभी भुगतान अधिकतम रु.20,000 तक नकद या चेक/डिमांड ड्राफ्ट/इलेक्ट्रोनिक बैंक के माध्यम से स्वीकार किया जाएगा। चेक/डिमांड ड्राफ्ट आरओ के पक्ष में होनी चाहिए। आरडीजी खाते में रखी गयी एसजीबी के लिए प्राप्त आवेदन हेतु भुगतान केवल इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग के माध्यम से ही किया जाएगा। (v) आरओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदन सभी दृष्टि में पूरी हो क्योंकि अपूर्ण आवेदनों को अस्वीकार कर दिया जाएगा। (vi) आरओ को बेहतर उपभोक्ता सेवा प्रदान करने के लिए निवेशकों को ऑनलाइन आवेदन हेतु प्रबंधन करना होगा। ऑनलाइन सेवा प्रदान करते समय, यह आरओ की ज़िम्मेदारी है कि अधिसूचना में निर्दिष्ट नियम एवं शर्त के अनुसार आवेदक की जानकारी की सभी संबन्धित फील्ड, होल्डिंग माध्यम और अन्य जानकारी उचित रूप से उपलब्ध कराई गई हो। सभी ऑनलाइन आवेदन निवेशों के ईमेल आईडी के साथ होने चाहिए जो सब्स्क्रिप्शन जानकारी के साथ ई-कुबेर पोर्टल पर अपलोड की जानी चाहिए। (vii) उपर्युक्त अनुसार पूर्ण आवेदन प्राप्त होने पर, आरओ को फॉर्म बी.डॉक्स में पावती रसीद जारी करना होगा। (vii) अधूरे आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाएगा यदि आवेदन की सभी आवश्यकताओं को सब्स्क्रिप्शन के निर्दिष्ट अवधि के अंदर पूरा न कर लिया गया हो। (viii) निर्गम के बंद होने तक बॉन्ड के निरसन की अनुमति है। हालांकि आवेदन के किसी भाग के निरसन की अनुमति नहीं है। निर्गम के बंद होने के बाद बॉन्ड के निरसन के लिए किसी भी आवेदन पर किसी भी परिस्थिति में विचार नहीं किया जाएगा। (ix) आरबीआई के ई-कुबेर पोर्टल में उनके द्वारा प्राप्त सब्स्क्रिप्शन के लिए आरओ को डाटा प्रविष्ट करने या बल्कि अपलोड करना अपेक्षित है। किसी भी तरह की भूल से बचने के लिए डाटा की शुद्धता को सुनिश्चित करना होगा। आवेदन की प्राप्ति के लिए उनको तुरंत पुष्टीकरण उपलब्ध कराना होगा। इसके अलावा, फाइल अपलोड के लिए पुष्टीकरण स्क्रॉल उपलब्ध करना होगा ताकि ताकि आरओ अपने डाटाबेस अद्यतित कर सकें। (x) आवेदक आवेदन की तारीख / निधि की वसूली से आवंटन तारीख तक जोकि वह अवधि जिसमें निवेशक का पैसा लगा हुआ है, तक बचत बैंक की दर से सब्स्क्रिप्शन राशि पर ब्याज के भुगतान के लिए पात्र हैं। यदि निवेशक के कारण आवेदन निरसित किया गया हो तो कोई ब्याज देय नहीं है। (xi) आरओ द्वारा अस्वीकृत आवेदन की स्थिति को आरबीआई के ई-कुबेर प्रणाली द्वारा अधिसूचित की जानी चाहिए और उपभोक्ता को बिना किसी देरी के सब्स्क्रिप्शन राशि रिफ़ंड करनी होगी। (xii) आरओ की तरफ से किसी आवेदक जिसका आवेदन अस्वीकृत किया गया हो, को राशि रिफ़ंड करने में देरी पर, रेपों दर +2% की दर से प्रत्येक दिन के देरी पर दंड लगेगा। 3. बॉन्डों का आवंटन और धारिता प्रमाणपत्र (सीओएच) का जनरेशन: (i) आवंटन की तारीख पर “धारिता प्रमाणपत्र” आरबीआई द्वारा सभी सफल सब्स्क्रिप्शन के लिए जनरेट किया जाता है। यह उन उपभोक्ताओं को भेजी जाती हैं जिन्होंने ई-मेल आईडी उपलब्ध कराई है। आरओ आरबीआई के ई-कुबेर पोर्टल से भी प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकता है और अपने उपभोक्ताओं को उक्त उपलब्ध करना अपेक्षित है। धारिता प्रमाणपत्र निर्धारित फॉर्म सी.डॉक्स में ए4 साइज़ के 100 जीएसएम पेपर पर रंगीन में प्रिंट करें। (ii) आरओ यह नोट करें कि जैसा कि एसजीबी स्थानांतरणीय/ट्रेडेबल है और धारिता प्रमाणपत्र के होने से ही इसे हकदारी का साक्ष्य नहीं माना जाएगा। 4. नामांकन (i) नामांकन और इसका निरसन सरकारी प्रतिभूति विनियमन, 2007 के अध्याय III के साथ सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के खंड 9 द्वारा निर्देशित होगी। उपभोक्ता द्वारा नामांकन बॉन्ड के सब्स्क्रिप्शन के समय (निर्धारित फॉर्म 'डी'' में या बाद में) निर्धारित किया जा सकता है। बॉन्ड के लिए एक से अधिक नामितों (अधिकतम 2) को नामित करने की अनुमति है। अवयस्क की ओर से निवेश के मामले में नामांकन सुविधा उपलब्ध नहीं है। (ii) नामांकन का निरसन: राजकीय स्वर्ण बॉन्ड के धारक निर्धारित फॉर्म 'ई' में वर्तमान नामांकन के निरसन के लिए आवेदन कर सकते हैं और आवेदन की जांच करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि (i) राजकीय स्वर्ण बॉन्ड का सही विवरण फॉर्म में दिया गया हो, और (ii) फॉर्म में नामित/तों के नाम सही निर्दिष्ट हों। (iii) वर्तमान नामांकन को बढ़ाना: धारक वर्तमान नामांकित व्यक्ति के अलावा दूसरे व्यक्ति को नामांकित कर सकता है। फॉर्म 'डी' में नवीन नामांकन की प्रस्तुति पर, इसकी जांच की जाएगी और मूल नामांकन के तरह इसे भी देखा जाएगा। यदि बॉन्ड स्टॉक प्रमाणपत्र के रूप में रखा गया है, तो आरओ ऐसे आवेदन को सही और उचित क्रम में पाने पर ई-कुबेर में उपलब्ध सुविधा का प्रयोग करते हुए इनपुट करेगा। पावती भी जारी की जाएगी। (iv) नामित/तों के दावे: धारक की मृत्यु पर, नामित/नामितों के दावे सरकारी प्रतिभूति विनियमन 2007 के अध्याय III के साथ सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 के खंड 9 के प्रावधानों के अनुसार मान्यता दी जाएगी। एक बार दावे आरओ/निक्षेपागार द्वारा स्वीकार कर लेने पर, जैसा भी मामला हो एक बार आरओ/डिपॉजिटरी द्वारा दावा प्राप्त होने के बाद, जैसा कि मामला हो है, यह जीएस अधिनियम 2006 की धारा 9 और सरकारी प्रतिभूति विनियमन 2007 के अध्याय III के अनुसार दावे को मान्यता प्रदान कर सकता है, जो इसकी वैधता, वास्तविकता और अंतिमता के संबंध में इसकी संतुष्टि के अधीन है कि इस तरह के बांड के संबंध में और दावे की पुष्टि के लिए आवश्यक सभी दस्तावेजों के प्रस्तुति पर कोई प्रतिद्वंदी दावा नहीं है। उस उद्देश्य के लिए यदि आवश्यक लगता है तो यह किसी अन्य दस्तावेज़ या घोषणा की मांग कर सकता है। यदि आवश्यक प्रतीत होता है तो इसमें दावेदार से उचित राशि के लिए क्षतिपूर्ति बॉन्ड भी उपलब्ध कराना अपेक्षित है। यदि दावा सही पाया गया, मृतक धारक के स्थान पर बॉन्ड धारकों के रूप में नामित/तों का नाम/मों को स्थानापन्न कर दिया जाएगा। संदेह की स्थिति में मामले को आरओ/निक्षेपागार द्वारा पीडीओ, मुंबई को भेजा जाएगा। 5. धारिता का रूप एवं अमूर्तीकरण (i) एसजीबी आरबीआई द्वारा भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किया जाता है और भारतीय रिज़र्व बैंक में बॉन्ड लेजर खाता (बीएलए) और आरडीजी खाता में या निक्षेपागार जैसे एनएसडीएल/सीडीएसएल में रखने के लिए पात्र हैं। (ii) आवेदक खुदरा प्रत्यक्ष योजना के अंतर्गत बॉन्ड को डीमेट खाते में क्रेडिट करने के लिए या बॉन्ड की धारिता के लिए बॉन्ड सब्सक्राइब करते समय या बाद के किसी मौके पर विशेष आवेदन कर सकता है। डीमेट में बदलाव की प्रक्रिया आवेदक द्वारा दिये गए विवरण जैसे नाम, डीपी आईडी, ग्राहक आईडी और निक्षेपागार द्वारा रिकार्ड की स्वीकृति पर आधारित होगी। आरओ द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा आरबीआई के पोर्टल में उनके द्वारा प्रविष्ट निवेशक का नाम निक्षेपागार के अभिलेखों के समान हो। इस संबंध में विवरण को अपलोड करने से पहले उपभोक्ता से पुष्टीकरण लेना होगा। (iii) यदि आवंटन के बाद आरबीआई के पास रखे एसजीबी को अमूर्तीकृत रूप में बदलने की इच्छा करता है, आरओ इस आवेदन को विवरण जैसे निक्षेपागार का नाम, डीपी आईडी, ग्राहक आईडी पहले धारक को पैन इत्यादि के साथ स्वीकार कर सकता है। आरओ ई-कुबेर पोर्टल में विवरण को प्रविष्ट करेगा। एक बार निक्षेपागार द्वारा विवरण मान्य हो जाने पर, बॉन्ड पीडीओ मुंबई द्वारा निक्षेपागार में लाभार्थियों के डीमेट खाते में आगे के क्रेडिट के लिए स्थानांतरित कर दिया जाएगा। अस्वीकृति या स्वीकृति का मामला जैसा भी निक्षेपागार द्वारा सूचित किया गया हो, मुंबई पीडीओ,आरबीआई द्वारा आरओ को बताया जाएगा। अस्वीकृति की स्थिति में, आरओ आवश्यक सुधार करने के बाद आवेदन को पुनः प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हैं। (iv) एसजीबी के धारक खुदरा प्रत्यक्ष योजना के अंतर्गत बॉन्ड को बीएलए से गिल्ट खाते में बदल सकता है। इसके लिए अनुरोध खुदरा प्रत्यक्ष ऑनलाइन पोर्टल पर गिल्ट खाता धारक द्वारा किया जाएगा। (iv) अमूर्तीकृत रूप में रखे गए सभी एसजीबी की समय से सर्विसिंग की ज़िम्मेदारी संबन्धित निक्षेपागार यथा एनएसडीएल/सीडीएसएल की होगी। वे समय से ब्याज और पुनर्भुगतान का क्रेडिट सुनिश्चित करेंगे और एसजीबी के डीमेट खाता धारक को उपभोक्ता सेवाएँ प्रदान करेंगे। (vi) खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ट खाता के अंतर्गत एसजीबी की सर्विसिंग आरबीआई द्वारा की जाएगी। तदनुसार, खुदरा प्रत्यक्ष ऑनलाइन पोर्टल पर सभी उपभोक्ता सेवा आवेदन को अपलोड करें। 6. मूर्तीकृत उपभोक्ता अपने होल्डिंग के विवरण के साथ बॉन्ड के मूर्तीकरण के आवेदन के साथ निक्षेपागार प्रतिभागी से संपर्क कर सकता है। वे आरओ और बैंक खाता विवरण (बैंक का नाम, शाखा, खाता संख्या,आईएफ़एससी और खाते का प्रकार) को भी उल्लिखित कर सकते हैं जिसके माध्यम से पुनः-मूर्तीकरण के अनुसार बॉन्ड की सर्विसिंग की जाएगी। मूर्तीकृत आवेदन को आवेदन आधार पर निक्षेपी प्रतिभागी द्वारा तैयार किया जाएगा और निक्षेपागार को भेजा जाएगा। ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से निक्षेपागार द्वारा अनुरोध प्रस्तुत किया जाएगा। मूर्तीकरण के लिए भेजी गई प्रतिभूतियों हेतु ट्रेडिंग की अनुमति नहीं है। परिवर्तन के बाद, बॉन्ड को आरबीआई के बीएलए में रखा जाएगा और मूर्तीकृत बॉन्डों की सर्विसिंग निवेशक द्वारा निर्दिष्ट आरओ द्वारा किया जाएगा। 7. बॉन्डों का स्थानांतरण (i) बॉन्ड स्टॉक प्रमाणपत्र के रूप में जारी किए जाते हैं और अतः परिपक्वता के पहले पात्र अंतरिती को या तो पूरा या आंशिक रूप में Form 'F' में अंतरण की लिखत के क्रियान्वयन द्वारा अंतरण योग्य है, यदि बॉन्ड को बॉन्ड बही खाता में रखा गया है तो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 और सरकारी प्रतिभूति विनियमन, 2007 के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा। (ii) यदि बॉन्ड एनएसडीएल/सीडीएसएल में डीमेट खाते में रखे गए हैं, अमूर्तीकृत बॉन्ड के लाभकारी स्वामित्व को वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार या तो एक्सचेंज में ट्रेडिंग/ ऑफ मार्केट लेन-देन के माध्यम से किया जा सकता है। 8. बॉन्ड के रिकार्डिंग अंतरण के लिए प्रक्रिया (i) वे निवेशक जिन्होंने बीएलए में बॉन्ड रखा है वे बिक्री या उपहार के द्वारा एक पात्र धारक से अन्य में परिपक्वता से पहले बॉन्ड के अंतरण के लिए आरओ को संपर्क कर सकता है। (ii) आरओ धारिता प्रमाणपत्र की प्रति के साथ फॉर्म 'एफ़' के अनुसार उचित रूप से क्रियान्वित अंतरण फॉर्म प्राप्त करेगा। (iii) आरओ को ई-कुबेर पोर्टल /उनके रिकार्डों पर उपलब्ध डाटा के साथ दी गई शुद्धता को पुनः जांच करेंगे। (iv) अंतरणकर्ता और अंतरिती दोनों के केवाईसी विवरण आरओ द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। (v) इसके बाद ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से अंतरण अनुरोध प्रसंस्कृत किया जाए। (vi) यह भी नोट किया जाए जीएस अधिनियम के खंड 9 के उप-खंड (4) के अनुसार यदि कोई वर्तमान नामांकन है तो अंतरण पर रद्द माना जाएगा। यदि अंतरिती नामितों को जोड़ना चाहता है, आरओ इन दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 5 पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगा। (vii) ई-कुबेर पोर्टल से संशोधित धारिता प्रमाणपत्र को जनरेट किया जाए और अंतरिती को जारी किया जाए। खातों का अंतरण निर्धारित ब्याज भुगतान को बाधित नहीं करेगा और अंतरिती/धारक को संबन्धित देय तारीख पर ब्याज मिलता रहेगा। 9. स्टॉक प्रमाणपत्र रूप में रखे बॉन्डो का आंशिक अंतरण: आंशिक अंतरण की स्थिति में, मूल धारिता प्रमाणपत्र को रद्द माना जाएगा और नवीन धारिता प्रमाणपत्र को जनरेट किया जाएगा तथा परिवर्तित होल्डिंग के साथ अंतरणकर्ता और अंतरिती को जारी होगा। 10. एसजीबी के मृतक एकल धारक या संयुक्त धारकों के हकदारी की पहचान और संयुक्त धारकों या कई अदाताकर्ता के अधिकार (जब कोई वैध नामांकन न हो) (i) मृतक एकल धारक या संयुक्त धारक के हकदारी की पहचान और संयुक्त धारकों या कई अदाकर्ता के अधिकार सरकारी प्रतिभूति विनियमन 2007 के साथ सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 के खंड 7 और 8 के प्रावधानों के अनुसार होंगे। (ii) एक बार दावे आरओ/निक्षेपागार द्वारा स्वीकार कर लेने पर, जैसा भी मामला हो एक बार आरओ/डिपॉजिटरी द्वारा दावा प्राप्त होने के बाद, जैसा कि मामला हो है, यह जीएस अधिनियम 2006 की धारा 9 और सरकारी प्रतिभूति विनियमन 2007 के अध्याय III के अनुसार दावे को मान्यता प्रदान कर सकता है, जो इसकी वैधता, वास्तविकता और अंतिमता के संबंध में इसकी संतुष्टि के अधीन है कि इस तरह के बांड के संबंध में और दावे की पुष्टि के लिए आवश्यक सभी दस्तावेजों के प्रस्तुति पर कोई प्रतिद्वंदी दावा नहीं है। उस उद्देश्य के लिए यदि आवश्यक लगता है तो यह किसी अन्य दस्तावेज़ या घोषणा की मांग कर सकता है। यदि आवश्यक प्रतीत होता है तो इसमें दावेदार से उचित राशि के लिए क्षतिपूर्ति बॉन्ड भी उपलब्ध कराना अपेक्षित है। (iii) संदेह की स्थिति में, आरओ/निक्षेपागार द्वारा मामला पीडीओ, मुंबई को भेज दिया जाएगा। 11. बॉन्ड के सापेक्ष ऋण और गिरवी, दृष्टिबंधक या ग्रहणाधिकार का निर्माण (i) बॉन्ड को किसी भी ऋण के लिए कोलेटरल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। बॉन्डों पर गिरवी, दृष्टिबंधक या ग्रहणाधिकार सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के खंड 28 और सरकारी प्रतिभूति विनियमन के अध्याय VII द्वारा निर्देशित होंगे। (ii) भारतीय रियार्व बैंक द्वारा अधिदेश किसी सामान्य स्वर्ण पर लागू ऋण के सापेक्ष लागत अनुपात के अनुसार बॉन्डों पर भी लागू होगा। (iii) ई-कुबेर पोर्टल में दी गई सुविधा का उपयोग करते हुए जीएस अधिनियम की धारा 28 और जीएस विनियमों के अध्याय VII के प्रावधानों के अनुसार, स्टॉक प्रमाण पत्र में रखे गए बांड पर गिरवी /दृष्टिबंधक /ग्रहणाधिकार को ऋण प्रदान करने वाले बैंकों द्वारा दर्ज किया जाएगा और रद्द कर दिया जाएगा । बीएलए में रखे गए बॉन्ड के मामले में ग्रहणाधिकार अंकन आरओ को उपलब्ध कराया गया है, जो उक्त आरबीआई के ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है। (iv) आरबीआई रिटेल डायरेक्ट योजना के अंतर्गत निक्षेपागार के पास और आरडीजी खाते में रखे गए बॉन्डों की स्थिति में, सीएसजीएल धारक द्वारा ग्रहणाधिकार अंकन अन्य स्टॉक और शेयरों के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुरूप किया जाएगा जिन्हें बैंकों द्वारा कोलेटरल के रूप में स्वीकार किया जाता है। ग्रहणाधिकार अंकन की विस्तृत प्रक्रिया हमारे वेबसाइट पर यूजर मैनुअल में उपलब्ध है। (v) बैंक के गिरवी/दृष्टिबंधक/ ग्रहणाधिकार की स्थिति में, ई-कुबेर में आवश्यक प्रविष्टि शुरू करने के बाद, यदि कोई अतिरिक्त समर्थित दस्तावेज़ है जिसमे कोर्ट आदेश भी है के साथ सरकारी प्रतिभूति विनियमन 2007 के अध्याय VII, विनियम 21 के प्रावधानों के अनुसार बॉन्डों का बैंक को अंतरण हेतु प्राधिकरण आवेदन ईमेल के माध्यम से पीडीओ, मुंबई को प्रस्तुत किया जाएगा। 12. ब्याज का भुगतान (i) बॉन्ड पर ब्याज को यथा लागू छमाही आधार पर भुगतान किया जाएगा। यदि बॉन्ड बीएलए और आरडीजी खाते में रखे गए है तो बॉन्डों के धारक के बैंक खाते में आरबीआई द्वारा राशि ब्याज भुगतान की तारीख पर इलेक्ट्रोनिक माध्यम से क्रेडिट कर दी जाएगी। जहां बॉन्ड डिपोजटरी में रखे गए हैं, वहाँ ब्याज राशि डिपोजटरी के माध्यम से वितरित किया जाएगा, जो धारकों के बैंक खाते (जैसा कि उनके रिकार्ड में हो) में राशि को देय तारीख पर इलेक्ट्रोनिक माध्यम से क्रेडिट करने का प्रबंध करेगा। (ii) यदि बैंक खाता बंद होने के कारण या अन्य किसी कारण के लाभार्थी के खाते में ऋण देना संभव नहीं है, तो लक्षित बैंक उस बैच के पूरा होने के दो घंटे के भीतर पीडीओ मुंबई/आरबीआई को लेनदेन वापस कर देंगे, जिसमें लेनदेन यूटीआर नंबर के विवरण के साथ प्रोसेस किया गया था। 13. बॉन्डों का पुनर्भुगतान आरओ/निक्षेपागार अपने बॉन्ड की परिपक्वता के एक माह पहले परिपक्वता तारीख के बारे में आरओ/निक्षेपागार निवेशक को सूचित करेंगे। बॉन्ड निर्गम तारीख 8 साल की समाप्ति पर पुनर्भुगतान योग्य होगा। निवेशकों द्वारा इस उद्देश्य के लिए आरबीआई को कोई दावा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। बॉन्डों का समयपूर्व शोधन ऐसे बॉन्ड के निर्गम की तारीख से 5 साल बाद ऐसी तारीख पर जब अगले ब्याज का भुगतान होना है, अनुमत है। समय-पूर्व शोधन अगले ब्याज भुगतान तारीख से कम से कम 10 दिन पहले डीपी के माध्यम से (अमूर्तीकृत प्रतिभूतियों के मामले में) आरओ या निक्षेपागार को प्रस्तुत किया जाएगा। यदि आरओ/निक्षेपी प्रतिभागी/निक्षेपागार चाहता है तो अतिरिक्त दस्तावेजों, केवाईसी साक्ष्य, घोषणा की मांग कर सकता है। विवरणों के सटीकता को सत्यापित करने के लिए आवेदन की जांच की जाएगी और ब्याज के देय दिन के कम से कम 4 दिन पहले ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से आरबीआई को प्रस्तुत किया जाएगा। परिपक्वता और समय-पूर्व शोधन की स्थिति में, बॉन्ड को भारतीय रुपए में मोचित किया जाएगा और अंश 1 से 9 के अंतर्गत जारी एसजीबी के लिए विगत सप्ताह (सोमवार से शुक्रवार) के 999 शुद्धता के स्वर्ण के अंतिम मूल्य के सामान्य औसत पर आधारित शोधन मूल्य होगा और भारतीय बुलियन और ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा जारी मूल्य पर इसके बाद जारी अंश हेतु विगत तीन कार्यकारी दिवस पर होगा। शोधन आगम उपभोक्ता के बैंक खाते में क्रेडिट किए जाएंगे। 14. ब्रोकरेज का भुगतान आरओ राजकीय स्वर्ण बॉन्ड के सब्स्क्रिप्शन बढ़ाने के लिए स्वयं के द्वारा एजेंट की नियुक्ति कर सकता है। ऐसे एजेंटो के लिए कमीशन प्राप्त आवेदन पर आरओ द्वारा स्वीकृत कुल सब्स्क्रिप्शन का प्रति सौ रुपये पर एक की दर से भुगतान किया जाएगा और आरओ एजेंटो या उप-एजेंटो के माध्यम से प्राप्त व्यापार के लिए कमीशन का कम से कम 50% प्रतिशत साझा करेगा। 15. स्टॉक प्रमाणपत्र के रूप में रखे गए बॉन्ड की स्थिति में पता में परिवर्तन, नाम में सुधार, खाता संख्या में परिवर्तन और अन्य विविध अनुरोध धारिता प्रमाणपत्र द्वारा समर्थित आरबीआई के पास बीएलए के रूप में रखे गए बॉन्ड की स्थिति में उपभोक्ता का आवेदन (सादे कागज में) ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से आरओ द्वारा विवरण के सत्यापन और उनके संतुष्टि के बाद प्रसंस्कृत किया जाए। आरओ यथावश्यक अतिरिक्त दस्तावेज़ मांग सकता है। आरओ द्वारा आवेदन को परिवर्तन प्रभावी करने के लिए आरबीआई पोर्टल में प्रविष्ट किया जाता है। 16. अभिलेखों का अनुरक्षण आवेदन फॉर्म और अन्य आवेदन बॉन्ड के परिपक्वता तक आरओ/डिपोजटरी द्वारा अनुरक्षित रखा जाए। समय से पूर्व शोधन प्राप्तियों का आवेदन भुगतान की तारीख से 3 साल के लिए अनुरक्षित रखा जाएगा। 17. लिंक्स विभिन्न यूजर मैनुअल से संबन्धित विभिन्न मॉड्यूल ई-कुबेर में लिंक निम्न रूप में है- सब्स्क्रिप्शन के लिए - SGB USER FLOW- INTIATION.docx निरसन के लिए - SGB CANCELLATION.docx नामांकन के लिए - Nominee details modification.docx अंतरण एवं ग्रहणाधिकर अंकन के लिए - For Lien Marking and Transfer अमूर्तीकरण एवं मूर्तीकरण हेतु - Demat and Remat Flow.doc 18. संपर्क विवरण राजकीय स्वर्ण बॉन्ड के निवेशकों के उपभोक्ता के शिकायतों के निवारण के लिए प्रक्रिया निम्नानुसार है: क) अपने उपभोक्ताओं के प्रश्न/शिकायतों के निवारण के लिए प्राप्तकर्ता कार्यालय के नोडल अधिकारी संपर्क का पहला बिन्दु होगा। ख) यदि मामले का निपटारा नहीं होता है, तो आरओ पर एस्केलेशन मैट्रिक्स का प्रयोग उपभोक्ता के शिकायत निवारण के लिए किया जाएगा। आरओ के संबन्धित अधिकारियों की सूची अनुलग्नक III में दी गई है। ग) निवेशक शिकायत करने के एक माह के अंदर से जवाब नहीं प्राप्त होने या आरओ से प्राप्त जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर sgb@rbi.org.in पर आरबीआई से संपर्क कर सकता है। कोई प्रश्न/स्पष्टीकरण निम्न पर ई-मेल की जा सकती है: (क) राजकीय स्वर्ण बॉन्ड से संबन्धित: मेल भेजने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें। (ख) आईटी से संबन्धित: मेल भेजने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें। 19. इन दिशानिर्देशों को सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के खंड 29 के उप-खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इसके तरफ से सक्षम करने वाले सभी अधिकारों के प्रयोग में आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है और किसी भी प्रकार का उल्लंघन उपरोक्त अधिनियम के खंड 30 के अंतर्गत दंडात्मक प्रावधान लगेगा। 20. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निम्न परिपत्रों में समाहित इन निर्देशों/दिशानिर्देशों के निर्गम के साथ इन्हें निरस्त माना जाएगा। क. परिचालन/प्रक्रियात्मक दिशा-निर्देशों पर परिपत्रों की सूची जो समाहित है
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