आवास वित्त
आरबीआई /2009-10/120 13 अगस्त 2009 सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक प्रिय महोदय आवास वित्त कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 5 जुलाई 1997 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएनएफएस.बीसी. 04 /06.11.02 / 97-98 तथा 24 फरवरी 1995 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएनएफएस.बीसी.122 /06.11.02 /94-95 के साथ पठित दिनांक 31 अक्तूबर 1997 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं. पीएलएनएफएस. बीसी.51/ 06.11.02/97-98 देखें। वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, राज्य /मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा किसी व्यक्ति को दिए जा सकने वाले आवास ऋण की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपए है लेकिन शर्त यह है कि किसी भी दिन व्यक्तियों, संस्थाओं और सोसाइटियों के नाम पर आवास ऋण की सकल बकाया राशि बैंक की कुल जमाराशियों के 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए। मौजूदा आवासों की मरम्मत, अतिरिक्त निर्माण, परिवर्तन आदि के लिए अधिकतम ऋण सीमा प्रति व्यक्ति 50,000/- रुपए है। (i) राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों द्वारा किसी व्यक्ति को दिए जा सकने वाले आवास ऋण की अधिकतम सीमा को संशोधित करके 20 लाख रुपए कर दिया जाए। तथापि, ऐसे बैंक के मामले में जिसकी निवल मालियत (नाबार्ड की अद्यतन निरीक्षण रिपोर्ट में किए गए मूल्यांकन के अनुसार) 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक है, अधिकतम सीमा 30 लाख रुपए होगी। (ii) व्यक्तियों, संस्थाओं और सोसाइटियों के नाम पर आवास ऋण की सकल बकाया राशि पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार बैंक के कुल ऋणों और अग्रिमों के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। तथापि, यह सीमा उच्च वित्तपोषक एजेंसी से इस प्रयोजन के लिए प्राप्त निधि तथा राष्ट्रीय आवास बैंक से प्राप्त पुनर्वित्त की मात्रा तक बढ़ सकती है। (iii) यह स्पष्ट किया जाता है कि आवास ऋण में वाणिज्यिक संपदा क्षेत्र (कॅमर्शियल रियल इस्टेट) को वित्त देना शामिल नहीं होगा क्यों कि यह बात 25 मई 2009 के हमारे परिपत्र सं.ग्राआऋवि.केंका. आरएफ.बीसी.सं.109 /07.38.01/ 2008-09 में पहले ही सूचित कर दी गई है कि राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक वाणिज्यिक संपदा क्षेत्र को वित्त प्रदान न करें। (iv) मौजूदा आवासों की मरम्मत, अतिरिक्त निर्माण, परिवर्तन आदि के लिए संशोधित प्रति व्यक्ति अधिकतम ऋण सीमा 1 लाख रुपए होगी। 3. कृपया प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (आर.सी. षडंगी) |
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