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बैंक खातों का परिचालन तथा धनशोधन के माध्यम बने व्‍यक्‍ति'

आरबीआइ/2010-11/334
ग्राआऋवि.केका.आरसीबी.एएमएल.बीसी.सं.39/07.40.00/2010-11

27 दिसम्बर 2010

मुख्‍य कार्यपालक
सभी राज्‍य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय,

बैंक खातों का परिचालन तथा धनशोधन के माध्यम बने व्‍यक्‍ति'

धनशोधन अथवा आतंकवादी गतिविधियों का वित्‍तपोषण करने के लिए आपराधिक तत्वों द्वारा राज्‍य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के इरादतन या गैर-इरादतन दुरुपयोग को रोकने के उद् देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य परिपत्रों के साथ-साथ 18 फरवरी 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी.80/07.40.00/2004-05 और 28 फरवरी 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि. केका.आरएफ.एएमएल सं.51/07.40.00/2007-08 के द्वारा अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

2.  हमारी जानकारी में यह बात लाई गई है कि तीसरे पक्षकारों को ‘धनशोधन के माध्यम’ के रूप में कार्य करने हेतु राजी कर, जमा खातों तक अवैध पैठ प्राप्त करने वाले अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी की योजनाओं (यथा फिंशिंग तथा पहचान की चोरी) की आगम-राशियों का शोधन करने के लिए धनशोधन का माध्यम बने इन व्यक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है । कुछ मामलों में ये तृतीय पक्षकार निष्‍कपट हो सकते हैं जबकि अन्‍य मामलों में उनकी इन अपराधियों से सॉंठ-गॉंठ हो सकती है ।

3. धनशोधन के माध्यम संबंधी लेनदेन में एक बैंक खाताधारक व्‍यक्‍ति को अपने खाते में चेक जमा अथवा तार अंतरण प्राप्त करने और तत्पश्‍चात कमीशन की एक निश्‍चित राशि अपने लिए घटाकर इन निधियों को किसी अन्य व्‍यक्‍ति के नाम पर धारित खातों में अथवा अन्य व्यक्‍तियों को अंतरित करने के लिए प्रयोग किया जाता है । ऐसे व्यक्तियों को स्पैम ई-मेल, भर्ती की मान्य वेबसाइटों पर विज्ञापनों, सोशल नेटवर्किंग साइटों, इंस्टैंट मैसेजिंग तथा समाचार  पत्रों में विज्ञापनों जैसे अनेक तरीकों से इस कार्य के लिए राजी किया जा सकता है। जब धनशोधन के माध्यम बने ऐसे व्‍यक्ति पकड़े जाते हैं तो प्रायः उनके बैंक खाते निलंबित कर दिए जाते हैं, जिसके कारण धोखाधड़ी में हिस्सेदारी के लिए संभावित कानूनी कार्रवाई भुगतने के अलावा उन्हें असुविधा और भारी वित्तीय क्षति भी उठानी पड़ती है। कई बार तो धनशोधन के माध्यम बने ऐसे व्यक्तियों के पते और संपर्क के ब्योरे नकली निकलते हैं या वे अद्यतन नहीं होते, जिससे प्रवर्तन एजेंसियों को खाताधारक का पता लगाने में कठिनाई होती है।

4.  यदि बैंक अपने अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण (सीएफटी) का प्रतिरोध/धनशोधन निवारण (पीएमएल) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न  परिपत्रों में निहित दिशनिर्देशों का पालन करें तो धनशोधन के माध्यम बने ऐसे खातों के परिचालनों को न्‍यूनतम किया जा सकता है । अतः राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने ग्राहक को जानिए/धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध के संबंध में समय-समय पर जारी तथा खाता खुलने के बाद ग्राहक पहचान संबंधी आंकड़ों को आवधिक रूप से अद्यतन करने संबंधी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें ताकि वे ऐसे धोखेबाजों द्वारा अपना और अपने ग्राहकों का दुरुपयोग होने से बचाव कर सकें ।

भवदीय,

(बी. पी. विजयेंद्र)
मुख्य महाप्रबंधक

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