जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 26क - आरबीआई - Reserve Bank of India
जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 26क
आरबीआई/2013-14/527 21 मार्च, 2014 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन कृपया गवर्नर महोदय द्वारा 3 मई 2013 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2013-14 का पैरा 93 देखें, जो उपर्युक्त विषय से संबंधित है। 2. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, में संशोधन के फलस्वरूप इस अधिनियम में धारा 26क शामिल की गयी है जिसके द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि (निधि) की स्थापना करने के लिए अधिकृत किया गया। इस धारा के प्रावधानों के अनुसार भारत में किसी भी बैंक के खाते, जो दस साल से परिचालित नहीं किए गए हैं, में जमा शेष या कोई भी जमा राशि, अन्य राशि जिसका दस साल या उससे अधिक अवधि मे दावा न किया गया हो, दस साल की अवधि समाप्त होने पर तीन महीने के अंदर इस निधि में जमा की जाएगी। इस निधि का उपयोग जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक होंगे। तथापि, जमाकर्ता बैंक से दस साल की अवधि समाप्त होने के बाद या ऐसी राशि निधि को अंतरित किये जाने के बाद भी अपनी जमाराशि या कोई दावा न की गयी अन्य राशि प्राप्त करने के लिए अथवा अपना खाता परिचालित करने के पात्र रहेंगे। जमाकर्ता/दावाकर्ता की राशि का भुगतान करना तथा ऐसे भुगतान की गयी राशि के लिए निधि से दावा करना बैंक की जिम्मेदारी होगी। 3. जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना का प्रारूप जनता की राय के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा गया था। विभिन्न हितधारकों से प्राप्त टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014’ को अंतिम रूप दिया गया तथा सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करने के लिए भारत सरकार को भेजा गया है। योजना की प्रतिलिपि आपकी सूचना के लिए इसके साथ संलग्न है। सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए तैयार रहें क्योंकि सरकारी राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित होने की तिथि से योजना प्रभावी होगी। योजना अधिसूचित किए जाने पर परिचालनगत दिशानिर्देश अलग से भेजे जाएंगे। 4. इसके अलावा, बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014’ से संबंधित पत्राचार/प्रश्नों के लिए एकल संपर्क बिंदु नामित करें तथा अनुबंध में दिए गए अनुसार पते पर ई-मेल द्वारा संपर्क ब्यौरे प्रेषित करें। भवदीय, (राजेश वर्मा) अनुलग्नकः यथोक्त मुख्य महाप्रबंधक महोदय/महोदया, विषय – जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – संपर्क ब्यौरा उपर्युक्त योजना के संदर्भ में संपर्क अधिकारी तथा अधिकारी का ब्यौरा निम्नानुसार प्रस्तुत है। बैंक का नाम ...................................................................
भवदीय, नामः (बैंक की मोहर) उपर्युक्त ब्यौरा पते पर ई-मेल से प्रेषित करें | जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 26क की उपधारा (1) और (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों तथा इस संबंध में उसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्वारा निम्नलिखित योजना बनाता है:- अध्याय I 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ: (i) इस योजना को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 कहा जाएगाI (ii) यह योजना शासकीय राजपत्र में अधिसूचना की तारीख से लागू होगीIअध्याय II 2. परिभाषाएं: इस योजना में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:-(i) (क) 'अधिसूचना' से तात्पर्य है बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10); (ख) 'बैंक' से तात्पर्य है बैंकिंग कंपनी, सहकारी बैंक, बहु राज्य सहकारी बैंक, (ग) 'निधि' से तात्पर्य है पैराग्राफ 3 के अंतर्गत स्थापित जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि; (घ) 'समिति' से तात्पर्य है पैराग्राफ 8 के अंतर्गत निधि के प्रशासन हेतु गठित समिति; (ङ) 'प्रभावी तिथि' से तात्पर्य है जिस तिथि को योजना शासकीय राजपत्र में अधिसूचित की गई; (च) 'डीआईसीजीसी' से तात्पर्य है निक्षेप बीमा निगम अधिनियम 1961 की धारा 3 के अंतर्गत स्थापित निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम; (छ) 'परिसमापक' से तात्पर्य है उस समय के लिए लागू किसी भी नियम के अंतर्गत नियुक्त बैंक का परिसमापक; (ज) 'मूल राशि' से तात्पर्य है अधिनियम की धारा 26क के अंतर्गत किसी बैंक द्वारा निधि में अंतरित की गई ब्याज सहित राशि; (झ) 'देय राशि' से तात्पर्य है बैंक के किसी खाते अथवा किसी जमा में दस वर्ष अथवा उससे अधिक की अवधि के लिए दावा प्रस्तुत न किया गया अथवा निष्क्रिय पड़ा हुआ जमा शेष; (ii) इस योजना में प्रयुक्त शब्द और अभिव्यक्तियां जिनको यहां परिभाषित नहीं किया गया है, किंतु जो अधिनियम में परिभाषित हैं, का अर्थ अधिनियम में उनके लिए परिभाषित अर्थ होगाI 3. इसमें निधि और जमाओं की स्थापना: (i) भारतीय रिज़र्व बैंक, अधिनियम की धारा 26क के संदर्भ में एतद्वारा जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना नामक एक निधि की स्थापना करता हैI (ii) इस निधि में जमा की जाने वाली राशि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रखे गए विनिर्दिष्ट खाते में बैंकों द्वारा जमा की जानी हैI (iii) इस पैराग्राफ के प्रयोजन के लिए, इस निधि में जमा की जाने वाली राशि बैंकों के पास रखे गए किसी भी जमा खाते में दस साल अथवा उससे अधिक की अवधि तक परिचालित नहीं किया गया जमा शेष अथवा दस साल अथवा उससे अधिक की अवधि के लिए कोई भी अदावी राशि होनी चाहिए, जिसमें निम्नांकित शामिल हैं:- (क) बचत बैंक जमा खाते; (ख) सावधि अथवा मीयादी जमा खाते; (ग) संचयी / आवर्ती जमा खाते; (घ) चालू जमा खाते; (ड.) किसी भी रूप के अथवा किसी भी नाम के अन्य जमा खाते; (च) नकदी ऋण खाते; (छ) बैंकों द्वारा उचित विनियोजन के पश्चात ऋण खाते; (ज) साख-पत्र/गारंटी आदि जारी करने अथवा किसी अन्य प्रतिभूति जमा के एवज़ में मार्जिन राशि; (झ) बकाया तार अंतरण, मेल अन्तरण, मांग पत्र, भुगतान आदेश, बैंकर्स चेक, विविध जमा खाते, वोस्ट्रो खाते, अंतर बैंक समाशोधन समायोजन, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के गैर समायोजित जमा शेष और ऐसे अन्य अस्थायी खाते, ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) के लेनदेनों में समाधान न किए गए जमा शेष, आदि; (ञ) यात्री चेक या अन्य समान लिखत, जिनकी परिपक्वता अवधि नहीं है, की बकाया राशियों को छोड़ कर बैंकों द्वारा जारी किसी प्रीपेड कार्ड से अनाहरित शेष राशियां; (ट) विद्यमान विदेशी विनिमय विनियमावली के अनुसार विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित करने के बाद बैंकों द्वारा धारित विदेशी मुद्रा जमाराशियों की रुपया आमदनी; और (ठ) ऐसी अन्य राशियां, जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जा सकती हैं। (iv) किसी लिखत अथवा किसी लेनदेन के अंतर्गत देय विदेशी मुद्रा में कोई राशि, जो दस वर्षों अथवा उससे अधिक समय तक अदावी रही हो, उसे निधि में अंतरण के समय उस तिथि को लागू विनिमय दर पर भारतीय मुद्रा में परिवर्तित किया जाएगा और दावा किए जाने की स्थिति में ऐसे लिखत अथवा लेनदेन के संबंध में निधि द्वारा प्राप्त भारतीय रुपया ही वापस करने के लिए निधि उत्तरदायी होगा। (v) बैंक उप-पैरा (iii) में यथाविनिर्दिष्ट संपूर्ण राशि, उस पर उपचित ब्याज सहित निधि को अंतरित कर देगा, जो निधि में अंतरण की तिथि को बैंक द्वारा ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान करना अपेक्षित हो। (vi) बैंक प्रभावी तिथि के पूर्व के दिन की स्थिति के अनुसार उप-पैरा (iii) और (iv) में यथाविनिर्दिष्ट ऐसे सभी खातों में संचयी शेष की गणना करेगा और उप-पैरा (v) में यथाविनिर्दिष्ट उपचित ब्याज के साथ अगले महीने के अंतिम कार्य दिवस पर निधि को राशि अंतरित करेगा। (vii) प्रभावी तिथि से, बैंकों से अपेक्षित है कि वे उप-पैरा (iii) और (iv) में यथाविनिर्दिष्ट प्रत्येक कैलेंडर माह में देय होने वाली राशि (अर्थात् दस वर्ष अथवा उससे अधिक समय से अदावी जमाशेष) और उप-पैरा (v) में यथाविनिर्दिष्ट उस पर उपचित ब्याज अगले माह के अंतिम कार्य दिवस को निधि अंतरित करें। (viii) बैंकिंग कंपनी (अभिलेखों की परिरक्षण अवधि) नियमावली, 1985 अथवा सहकारी बैंक (अभिलेखों की परिरक्षण अवधि) नियमावली 1985 में निहित अनुदेशों के बावजूद, बैंक निधि को जमा किए जाने के लिए अपेक्षित राशि के संबंध में जमाराशि सहित सभी खातों और लेनदेन के ब्योरे वाले अभिलेख/दस्तावेजों का स्थायी रूप से परिरक्षण करेंगे और जहां निधि से राशि लौटाने के लिए दावा प्रस्तुत किया गया हो, वहां बैंक निधि द्वारा राशि वापस करने की तिथि से कम से कम पांच वर्षों की अवधि के लिए ऐसे खातों और लेनदेन के संबंध में अभिलेख/दस्तावेजों का परिरक्षण करेंगे। (ix) भारतीय रिज़र्व बैंक ऐसे खाते या जमा अथवा लेनदेन के संबंध में सभी संबंधित सूचनाएं मांग सकता है, जिसके लिए राशि लौटाने के लिए बैंक द्वारा दावा प्रस्तुत किया गया हो। 4. धन वापसी और ब्याज: (i) ग्राहक/जमाकर्ता से मांग के मामले में जिसकी अदावी राशि/जमा धन निधि को अंतरित किया गया हो, बैंक ग्राहक/जमाकर्ता को ब्याज के साथ, यदि लागू हो, भुगतान करेंगे और ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान की गई समान राशि के लिए निधि से धन वापसी के लिए दावा प्रस्तुत करेंगे। (ii) दावे पर निधि से देय ब्याज, यदि कोई हो, केवल खाते के जमाशेष को निधि में अंतरण की तिथि से लेकर ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान की तिथि तक देय होगा। निधि से वापस प्राप्त की गई राशि के संबंध में कोई ब्याज देय नहीं होगा, जिसके संबंध में ग्राहक/जमाकर्ता को बैंक द्वारा कोई ब्याज देय नहीं था। (iii) निधि को अंतरित मूलधन पर देय ब्याज दर, यदि कोई हो, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाएगी। (iv) पैरा 3 (iii) (ट) और 3(iv) में विनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा में अंकित जमा खातों, लिखतों या लेनदेनों की राशि लौटाने के किसी दावे के मामले में, इस पर ध्यान न देते हुए कि बैंकों ने जमाकर्ता/ग्राहक को भारतीय रुपये में भुगतान किया है या विदेशी मुद्रा में, बैंक निधि से केवल भारतीय रुपये में राशि लौटाने का दावा करने के लिए पात्र होंगे। (v) यदि जमाकर्ता द्वारा आंशिक राशि लौटाने का दावा किया जाता है, जिसकी अदावी राशि/निष्क्रिय जमाराशि निधि में अंतरित की गई है, तो खाते को पुनर्जीवित और सक्रिय किया जाएगा। ऐसे जमाकर्ता के संबंध में बैंक निधि में अंतरित संपूर्ण राशि, देय ब्याज, यदि हो, सहित के लिए दावा करेगा। (vi) प्रत्येक कैलेंडर माह में बैंक द्वारा दी गई धन वापसी के लिए अगले माह के अंतिम कार्य दिवस को निधि से प्रतिपूर्ति के लिए दावा प्रस्तुत किया जाना चाहिए। (vii) परिसमापन के अधीन किसी बैंक के मामले में परिसमापन कार्यवाही के लंबित होने के दौरान, यदि ऐसे जमाकर्ताओं से कोई दावा प्राप्त होता है जिनकी जमा निधि को अंतरण के समय डीआईसीजीसी द्वारा बीमा रक्षा रही हो, तो निधि परिसमापक को ऐसी राशि के संबंध में डीआईसीजीसी से दावा की जा सकने वाली राशि के बराबर राशि का भुगतान करेगा और निधि को अंतरित राशि के लिए परिसमापक द्वारा भुगतान की गई अन्य सभी राशियों के संबंध में, चाहे डीआईसीजीसी का बीमा हो या न हो, निधि परिसमापक को प्रतिपूर्ति देगा। 5. बैंकों द्वारा विवरणियों की प्रस्तुति: रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रारूप और तरीकों के अनुसार, बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक को विवरण प्रस्तुत करेंगे। 6. लेखाः (i) निधि के लेखे, आय और व्यय के विवरण सहित, समिति द्वारा निर्धारित प्रारूप और तरीकों के अनुसार रखे जाएंगे। (ii) रिज़र्व बैंक के पास रखे गए निधि के खाते में जमाराशियां रिज़र्व बैंक के तुलनपत्र का एक भाग होंगी। (iii) रिज़र्व बैंक निधि के खाते में जमाराशियों का समिति द्वारा निर्धारित तरीकों से निवेश कर सकता है। (iv) निधि की सभी आय निधि में जमा की जाएंगी। (v) जमाकर्ताओं की शिक्षा, जागरुकता, हितों और अन्य प्रयोजनों से किए गए व्यय, जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा अधिनियम की धारा 26क (4) के अधीन विनिर्दिष्ट किया जा सकता है,निधिकेखर्चमेंशामिलहोंगे। 7. लेखों की लेखापरीक्षा: (i) निधि का लेखांकन वर्ष 1 अप्रैल से आगामी वर्ष के 31 मार्च तक होगा। (ii) रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अनुसार निधि के लेखों की लेखापरीक्षा रिज़र्व बैंक के सांविधिक या अन्य लेखापरीक्षकों द्वारा की जाएगी। (iii) प्रत्येक लेखा वर्ष की समाप्ति पर निधि के वार्षिक लेखे लेखापरीक्षकों की रिपोर्ट और निधि की गतिविधि रिपोर्ट के साथ रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। अध्याय III 8. समिति का गठन: (i) योजना के अनुसार निधि के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक समिति होगी। (ii) जैसाकि रिज़र्व बैंक ने तय किया है, समिति में एक पदेन अध्यक्ष तथा छः से अधिक सदस्य नहीं होंगे। समिति के संयोजन का ब्योरा निम्नानुसार हैः (क) गवर्नर द्वारा नामित रिज़र्व बैंक का एक उप-गवर्नर समिति का पदेन अध्यक्ष होगा; (ख) बैंक द्वारा इस संबंध में नामित रिज़र्व बैंक के दो से अनधिक अधिकारी, जो मुख्य महाप्रबंधक के पद से निम्न स्तर के न हों; (ग) बारी-बारी से एक बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जैसाकि रिज़र्व बैंक द्वारा नामित किया जाएगा; (घ) रिज़र्व बैंक द्वारा नामित एक व्यक्ति, जिसे बैंकिंग या लेखांकन या किसी ऐसे क्षेत्र का विशेषज्ञ माना जाता हो, जिसे रिज़र्व बैंक उपयुक्त समझे; (ड.) रिज़र्व बैंक द्वारा नामित एक व्यक्ति, जो बैंकों के ग्राहकों और जमाकर्ताओं के हितों का प्रतिनिधित्व करता हो, जिसे ऐसे ग्राहकों और जमाकर्ताओं द्वारा बनाए गए संगठनों या संघों में से लिया जाए और (च) समिति के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करने हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा नामित एक अधिकारी, जो मुख्य महाप्रबंधक के पद से निम्न स्तर का न हो। (iii) समिति के पदेन अध्यक्ष को छोड़कर सभी सदस्य दो वर्षों के लिए और उसके बाद उनके उत्तराधिकारियों के नामांकन होने तक कार्यालयीन पद धारण करेंगे। (iv) सेवा-निवृत्त होने वाला सदस्य पुनः नामांकन के लिए पात्र होगा। (v) रिज़र्व बैंक समिति को निधि के प्रशासन में सहायता करने हेतु समिति के लिए सचिवालय तथा आवश्यक बुनियादी ढांचा और श्रम शक्ति उपलब्ध कराएगा। (vi) समिति अपने कार्यों के कुशल और शीघ्र निष्पादन के लिए अपने सदस्यों के बीच एक या अधिक उप-समितियों का गठन कर सकती है, जब भी वह ऐसा करना आवश्यक समझे। (vii) समिति के गठन में कोई त्रुटि या कोई रिक्ति समिति की किसी कार्यवाही या समिति द्वारा लिए गए निर्णयों को निष्प्रभाव नहीं करेगी। (viii) उप-पैरा (ii) (घ) और (ii) (ड.) में उल्लिखित सदस्य बैठकों में उनकी उपस्थिति के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित पारिश्रमिक के लिए पात्र होंगे। 9. समिति के कार्य और उद्देश्य: (i) समिति की बैठकें आवश्यकतानुसार किंतु तिमाही में कम-से-कम एक बार की जाएंगी। प्रत्येक बैठक के लिए कोरम में अध्यक्ष और कुल सदस्यों के कम-से-कम एक तिहाई सदस्य होना आवश्यक है। (ii) समिति अपने कारोबार के नियम खुद बनाएगी। (iii) निधि का उपयोग जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक होंगे। समिति अधिनियम की धारा 26क (4) में निहित प्रयोजनों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर इस संदर्भ में निर्धारित प्रयोजनों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेगी। (iv) समिति व्यय करने तथा निधि के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समय-समय पर गतिविधियों की सूची, मानदंड और क्रियाविधि, आदि बना सकती हैं। (v) समिति निधि का प्रबंध करेगी तथा निधि से किए जाने वाले सभी व्यय तथा निधि के निवेशों की राशि सहित निधि की ओर से सभी शक्तियों का प्रयोग करेगी। (vi) समिति के व्यय तथा निधि के प्रशासन के लिए अन्य व्यय का प्रभार समिति के निर्णयानुसार निधि को लगाया जाएगा। (vii) रिज़र्व बैंक को निधि द्वारा जमाकर्ताओं को देय ब्याज दर निर्धारित करने में सुविधा के लिए समिति निधि के आय और व्यय के संबंध में रिज़र्व बैंक को यथा-अपेक्षित जानकारी देगी। 10. बैंकों से मांग करने की शक्तियां: (i) समिति किसी भी बैंक से निधि को देय राशि की मांग कर सकती है। (ii) समिति अदावी राशि तथा निष्क्रिय खाते के संबंध में सामान्य या विशिष्ट बैंक से समय-समय पर सूचना मांग सकती है और ऐसे बैंकों/बैंक का यह कर्तव्य होगा कि वे समिति को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करें। 11. जमाकर्ताओं के हितों का प्रचार और संस्थाओं की मान्यता: (i) समिति जमाकर्ताओं के हित के लिए, समय-समय पर बैंकों के जमाकर्ताओं के कार्यक्रम का आयोजन, जमाकर्ताओं के लिए सेमिनार और संगोष्ठियों का आयोजन और इन क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाएं और अनुसंधान गतिविधियां प्रस्तावित करने वाली संस्थाओं सहित जमाकर्ता जागरुकता और शिक्षा से संबंधित गतिविधियां करने वाली विभिन्न संस्थाओं, संगठनों या संघों का पंजीकरण/मान्यता देगी। (ii) समिति द्वारा पंजीकृत/मान्यता प्राप्त संस्था, संगठन या संघ को प्रस्तावित गतिविधियों के स्वरूप के आधार पर सहायता अनुदान के रूप में एक बार या चरणों में या प्रतिपूर्ति के रूप में, निधि का अनुदान देने पर विचार किया जाएगा। (iii) समिति द्वारा संस्थाओं, संगठनों या संघों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मानदंड निर्धारित किये जाएंगे, जैसाकि उप-पैरा (i) में उल्लेख किया गया है। (iv) समिति निधि प्रदान करने के लिए प्राधिकृत करने से पहले प्रस्तावों तथा अनुदान और सहायता के अंतिम उपयोग की जांच करेगी। (v) समिति ऐसी संस्थाओं, संगठनों या संघों को दी गयी निधि के अंतिम उपयोग के संदर्भ में सूचना मांग सकती है या किसी भी प्रकार से सत्यापन कर सकती है। (vi) समिति निधि के हित में कानूनी कार्रवाई सहित जो भी उचित और आवश्यक समझे, कार्रवाई कर सकती है। 12. योजना के प्रावधानों की व्याख्या: यदि इस योजना के प्रावधानों की व्याख्या में कोई भी मुद्दा उठता है, तो मामला भारतीय रिजर्व बैंक को भेजा जाएगा और उस पर रिजर्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा। 13. योजना का संशोधन: रिज़र्व बैंक यदि आवश्यक समझे, तो योजना के किसी या सभी प्रावधानों में किसी भी समय शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा संशोधन कर सकता है। 14. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति: यदि इस योजना के प्रावधानों को प्रभाव देने में कोई कठिनाई होती है, भारतीय रिजर्व बैंक ऐसी कठिनाई को दूर करने के उद्देश्य से आवश्यक कार्रवाई कर सकता है या आदेश पारित कर सकता है। (बी. महापात्र) |