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जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26 क - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश

भारिबैंक/2013-14/614
बैंपविवि.सं.डीईएएफ कक्ष.बीसी.114 /30.01.002/2013-14

27 मई 2014

अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
स्‍थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/
शहरी सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय/महोदया,

जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन
अधिनियम, 1949 की धारा 26 क - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश

कृपया 21 मार्च 2014 का परिपत्र बैंपविवि.सं.डीईएएफ कक्ष बीसी.101/30.01.002/2013-14 तथा उसके साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 (योजना) देखें। इस संबंध में यह सूचित किया जाता है कि उक्त योजना को शासकीय राजपत्र में 24 मई 2014 को अधिसूचित किया गया है तथा उसकी एक प्रति संलग्न है। योजना के पैरा 3(vi) के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्रभावी तारीख से पूर्व के दिन, अर्थात् 23 मई 2014 की स्थिति के अनुसार सभी खातों में उपचित ब्याज सहित संचयी शेष की गणना करेंगे तथा ऐसी देय राशियों को 30 जून 2014 को बैंकिंग घंटों की समाप्ति से पहले जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि (निधि) में अंतरण किया जाना चाहिए। उसके बाद, जैसाकि योजना के पैरा 3(vii) में उल्लिखित है, बैंकों को चाहिए किप्रत्येक कैलेंडर माह में देय होने वाली राशियां (अर्थात् दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए अपरिचालित खातों की राशियां और अदावी शेष राशियां) तथा उस पर उपचित ब्याज अगले महीने के अंतिम कार्यदिवस पर निधि में अंतरित करें, जैसा कि योजना में विनिर्दिष्ट किया गया है।

निधि में केवल इलेक्ट्रोनिक रूप से जमा करना

2. हम सूचित करते हैं कि बैंकों द्वारा देय राशियों (योजना में यथापरिभाषित) का विप्रेषण इलेक्ट्रोनिक रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ई-कुबेर की पोर्टल सुविधा (कोर बैंकिंग सोल्यूशन) के माध्यम से योजना के लिए बनाए गए प्राधिकृत खाते, अर्थात् “डीईएएफ अकाउंट 161001006009” में किया जाए। सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि निधि में राशियां विप्रेषित करने के लिए केवल एक प्रविष्टि ही उत्पन करें। तदनुसार, योजना के पैरा 3(vi) तथा 3(vii) के अनुसार निधि में अंतरण के लिए अपेक्षित राशि को माह के अंतिम कार्यदिवस पर बैंकिंग घंटों में ऊपर विनिर्दिष्ट भारिबैंक के पास रखे गए जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि (डीईएएफ) खाते में जमा किया जा सकता है। इसके अलावा, प्रत्येक बैंक को निधि के परिचालनार्थ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक विशिष्ट “बैंक डीईएएफ कोड” आवंटित किया गया है, जो अनुबंध I में दिया गया है। डीईएएफ खाते में राशि विप्रेषित करने वाले प्रत्येक बैंक को अपना विशिष्ट “बैंक डीईएएफ कोड” बताना होगा।

निधि में राशि जमा करने के लिए बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया

3. (i) स्वयं का खाता – यह सुविधा ई-कुबेर पोर्टल में सेवा के अंतर्गत “डीईएएफ सेवा” में उपलब्ध है। जब कोई बैंक अपनी स्वयं की देय राशि इस पोर्टल में जमा कर रहा हो, तो उसे “बैंक डीईएएफ कोड” फील्ड में अपना डीईएएफ कोड (बैंक का विनिर्दिष्ट डीईएएफ कोड अनुबंध I में दिया गया है) देना चाहिए तथा जमाराशियों का विस्तृत ब्योरा (खातों की संख्या और राशि), जैसे ब्याज सहित, ब्याज रहित जमाराशियां तथा अन्य क्रेडिट (अर्थात् जमाराशियों के अलावा अन्य कोई अदावी राशि, जिसे योजना के पैरा 3 (iii) में परिभाषित किया गया है) पोर्टल की उपर्युक्त सेवा में उपलब्ध कराए गए फील्ड में प्रस्तुत करनी चाहिए। अन्य क्रेडिट ब्याज रहित होंगे।

(ii) सदस्यों का खाता – यदि कोई बैंक संपर्क करने वाले सदस्य बैंकों/अन्य बैंकों ( ऐसे बैंक, जिनका आरबीआई के पास चालू खाता नहीं है) की ऐसी देय राशियों को निधि में जमा करने के लिए राशियों का विप्रेषण कर रहा हो, तो बैंक को सभी बैंकों की राशियों का समेकन नहीं करना चाहिए, बल्कि निधि में जमा की जाने वाली राशि को बैंक-वार अलग से विप्रेषित करना चाहिए। ई-कुबेर पोर्टल में “डीईएएफ सेवा” के अंतर्गत उपलब्ध “बैंक डीईएएफ कोड” फील्ड में बैंक द्वारा सदस्य/अन्य बैंक पोर्टल का डीईएएफ कोड दिया जाना चाहिए, जिसकी राशि अंतरित की जा रही है। साथ ही, जमाराशियों का विस्तृत ब्योरा ( खातों की संख्या और राशि), जैसे ब्याज सहित जमाराशियां, ब्याज रहित जमाराशियां तथा अन्य क्रेडिट इस संबंध में उपलब्ध कराए गए फील्ड में भरा जाना चाहिए। अन्य क्रेडिट ब्याज रहित होंगे। इसके अलावा, यह सूचित किया जाता है कि निधि में से सदस्यों/अन्य बैंकों के दावों/धन वापसी का भुगतान करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक प्रायोजक बैंक के खाते में क्रेडिट जमा करेगा, जहां से सदस्य बैंकों/अन्य बैंकों को क्रेडिट मिलेगा।

निर्धारित विवरणियां

4. योजना के पैराग्राफ 5 के अनुसार बैंक निर्धारित प्रारूप और विधि से भारतीय रिज़र्व बैंक को विधिवत् लेखापरीक्षित विवरणियां प्रस्तुत करेंगे। इस संबंध में सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे नीचे दिए गए ब्योरे के अनुसार विधिवत् लेखापरीक्षित विवरणियां प्रस्तुत करें :-

फॉर्म I- बैंक को राशि निधि में अंतरित करने की तारीख को एक समेकित विवरणी प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें जमा की गई कुल राशि (अंतरित अन्य क्रेडिट की राशि के साथ-साथ ब्याज सहित/ब्याज रहित जमाराशियों को अलग-अलग दर्शाते हुए) दर्शाई जाए। निधि में अंतरित प्रत्येक श्रुंखला के लिए बैंकों को पूर्ण ब्योरा रखना होगा, जैसे ग्राहक का नाम, खाता संख्या, उपचित ब्याज सहित निधि में अंतरित राशि, निधि में अंतरण की तारीख तथा अन्य संबंधित दस्तावेज आदि। बैंकों द्वारा ये ब्योरे/दस्तावेज श्रृंखला-वार रखे जाएंगे।

फॉर्म II- निधि में अंतरित कुल राशि के लिए एक मासिक विवरणी प्रस्तुत की जाएगी (ब्याज सहित जमाराशियां, ब्याज रहित जमाराशियां तथा अन्य क्रेडिट दर्शाते हुए)। विवरणी को अगले माह की 15 तारीख तक प्रस्तुत करना होगा।

फॉर्म III- योजना के पैरा 4 (i) के अनुसार जिस ग्राहक/जमाकर्ता की अदावी राशि निधि में अंतरित की गई है, उससे मांग प्राप्त होने के मामले में बैंक ग्राहक/जमाकर्ता को ब्याज, यदि लागू हो, सहित राशि की चुकौती करेंगे तथा ग्राहक/जमाकर्ता को अदा की गई राशि के समतुल्य राशि की वापसी के लिए निधि में दावा पेश करेंगे। जमाकर्ता, जिसकी अदावी राशि/निष्क्रिय जमाराशि को निधि में अंतरित किया गया है, द्वारा आंशिक राशि लौटाने के किसी दावे के मामले में बैंक निधि से ऐसे जमाकर्ता के संबंध में निधि में अंतरित संपूर्ण राशि, उस पर देय ब्याज, यदि कोई हो, सहित के लिए दावा करेगा। बैंक द्वारा प्रत्येक कैलेंडर माह में धनवापसी की राशि का ब्योरा फॉर्म III में परवर्ती माह की 15 तारीख तक प्रस्तुत किया जाना चाहिए। फॉर्म III में ग्राहक/जमाकर्ता का नाम, निधि में राशि अंतरित किए जाने की तारीख, ग्राहक को राशि अदा करने की तारीख, निधि में से दावाकृत ब्याज की दर आदि जैसे ब्योरे दिए जाने चाहिए। दावा जिस माह से संबंधित हो, उसके अगले महीने की 15 तारीख तक विवरणी प्रस्तुत कर दी जानी चाहिए, ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक उस पर कार्रवाई करके महीने के अंतिम कार्य-दिवस पर राशि लौटा सके। दावे से संबंधित कोई भी विवरणी अगले महीने की 15 तारीख के बाद प्राप्त होने पर उस पर कार्रवाई उसके अगले महीने में की जाएगी।

फॉर्म IV – बैंक द्वारा निधि से किए गए दावों के संबंध में एक समेकित मासिक विवरणी अगले माह की 15 तारीख तक प्रस्तुत की जाए।

फॉर्म V- वर्ष के अंत में बकाया देय राशि का मदवार ब्योरा दर्शाने वाली वार्षिक विवरणी को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की समाप्ति के बाद तीस दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाए।

5. हम सूचित करते हैं कि बैंक ऊपर बताई गई आवधिकता के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को अनिवार्य रूप से उक्त विवरणियां प्रस्तुत करें। यदि कोई सूचना नहीं हो तो "कुछ नहीं" विवरणी प्रस्तुत करें। उक्त विवरणियों के प्रारूप संलग्न हैं।

लेखापरीक्षा

6. बैंक को ब्याज सहित जमाराशियों के संबंध में निधि में राशि अंतरित करने की तारीख को समवर्ती लेखा-परीक्षकों द्वारा सत्यापित ग्राहक-वार ब्योरा रखना होगा, जिसमें अद्यतन उपचित ब्याज का भुगतान शामिल हो, तथा जिसे निधि में राशि अंतरित करने की तारीख तक जमाकर्ता के खाते में जमा किया गया हो। निधि में अंतरित ब्याज-रहित जमाराशियों तथा अन्य क्रेडिट के मामले में विधिवत् लेखापरीक्षित ग्राहकवार ब्योरा बैंक के पास रखा जाएगा। समवर्ती लेखापरीक्षकों को भी सत्यापन करके प्रमाणित करना चाहिए कि बैंक द्वारा विवरणियों का सही संकलन बैंक की बहियों के अनुसार किया गया है तथा भारिबैंक को प्रस्तुत मासिक और वार्षिक विवरणियों में सही रूप में दर्शाया गया है। वार्षिक लेखापरीक्षा के समय उक्त विवरणियों का सत्यापन सांविधिक लेखापरीक्षकों द्वारा भी किया जाना चाहिए तथा उनसे एक वार्षिक प्रमाणपत्र प्राप्त करके भारतीय रिज़र्व बैंक को अग्रेषित करना चाहिए, जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि बैंक द्वारा उक्त विवरणियों का सही संकलन किया गया।

प्राधिकृत हस्ताक्षरी

7. बैंकों को सूचित किया जाता है कि निदेशक मंडल के उस संकल्प की सत्य –प्रतिलिपि प्रस्तुत करें, जिसमें प्राधिकृत हस्ताक्षरी के रूप में पदनामित दो अधिकारियों को प्राधिकृत किया गया हो, जो बैंक की ओर से निधि से दावों/धन-वापसी के लिए खाते को संयुक्त रूप से परिचालित करेंगे। प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के नमूना हस्ताक्षर का अध्यक्ष, कार्यपालक निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा विधिवत् साक्ष्यांकन किया जाए। बोर्ड के संकल्प के साथ प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के नमूना हस्ताक्षर अनुबंध II के अनुसार प्रेषित किए जाएं।

लेखे पर टिप्पणियां में प्रकटीकरण

8.ऐसी सभी अदावी देयताओं (जहां देय राशियां डीईएएफ को अंतरित की गई हैं) को वार्षिक वित्तीय विवरणों की अनुसूची 12 के अंतर्गत “आकस्मिक देयता – अन्य, ऐसी मदें, जिनके लिए बैंक आकस्मिक रूप से उत्तरदायी है” के रूप में दर्शाया जाना चाहिए। बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे डीईएएफ में अंतरित राशियों का प्रकटन नीचे दिए गए प्रारूप के अनुसार लेखे पर टिप्पणियां के अंतर्गत करें।

(राशि करोड़ रुपये में)                 

 

चालू वर्ष

पिछला वर्ष

डीईएएफ में अंतरित राशियों का प्रारंभिक शेष

 

 

जोड़ें: वर्ष के दौरान डीईएएफ में अंतरित राशियां

 

 

घटाएं : डीईएएफ द्वारा दावों के संबंध में प्रतिपूर्ति की राशियां

 

 

डीईएएफ में अंतरित राशियों का अंतिम शेष

 

 

9. लेखापरीक्षकों द्वारा विधिवत् रूप से प्रमाणित उक्त विवरणियों की मूल प्रति मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय, जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि कक्ष, 12वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को प्रेषित की जाए और साथ ही इसकी पीडीएफ फॉर्मेट में स्कैन प्रति को ई-मेल द्वारा भी भेजा जाए। ऊपर पैरा 6 में उल्लिखित सांविधिक लेखापरीक्षकों का वार्षिक प्रमाणपत्र भी पीडीएफ फॉर्मेट में स्कैन प्रति के साथ उक्त पते पर भेजा जाए।

भवदीय,

(राजेश वर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: यथोक्त

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