निर्यात/आयात लेनदेनों के संबंध में तीसरे पक्ष को भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
निर्यात/आयात लेनदेनों के संबंध में तीसरे पक्ष को भुगतान
भारिबैंक/2013-14/364 8 नवंबर 2013 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, निर्यात/आयात लेनदेनों के संबंध में तीसरे पक्ष को भुगतान प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान, व्यापार लेनदेनों हेतु प्राप्ति और भुगतान के तरीके से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.14 के विभिन्न उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है। सामान्यत: निर्यात के लिए भुगतान समुद्रपारीय उस खरीददार से प्राप्त होना चाहिए जिसके नाम का उल्लेख निर्यातक द्वारा निर्यात घोषणा फार्म (EDF) में किया जाता है और निर्यात घोषणा फार्म (EDF) में दिए गए अंतिम गंतब्य स्थान से योग्य मुद्रा में भुगतान प्राप्त होना चाहिए, भले ही खरीददार के निवास का देश कोई भी क्यों न हो। इसी प्रकार आयात के लिए भुगतान माल के समुद्रपारीय मूल बिक्रेता को किया जाना चाहिए तथा प्राधिकृत व्यापारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आयातक आयात का साक्ष्य जैसे बिल आफ एंट्री की एक्स्चेंज प्रति प्रस्तुत करे ताकि वह इस बात से स्वयं संतुष्ट हो ले कि विप्रेषित राशि के मूल्य के बराबर माल का आयात किया गया है। 2. निर्यात/आयात हेतु भुगतान से संबंधित प्रक्रिया को और उदार बनाने एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवहार में हुए परिवर्तन को दृष्टि में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि: i. निर्यात संबंधी लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी बैंक माल/साफ्टवेयर के निर्यात के लिए तीसरे पक्ष (खरीददार से भिन्न पार्टी) से भुगतान प्राप्ति हेतु निम्नलिखित शर्तों के तहत अनुमति प्रदान कर सकते हैं: ए) पक्का अप्रतिसंहरणीय निर्यात आदेश हो जो त्रिपक्षीय करार से समर्थित हो; बी) तीसरे पक्ष से भुगतान वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) के अनुपालक देश से और केवल बैंकिंग चैनल से प्राप्त हो; सी) निर्यातक को निर्यात घोषणा फार्म (EDF) में तीसरे पक्ष से विप्रेषण प्राप्त होने का उल्लेख करना चाहिए; डी) निर्यातक की यह जिम्मेदारी होगी कि वह निर्यात घोषणा फार्म (EDF) में उल्लिखित तीसरे पक्ष से निर्यात की आगम राशि वसूल करे और उसे प्रत्याविर्तित करे; ई) बकाया राशि, यदि कोई हो, की रिपोर्टिंग एक्सओएस विवरणी में निर्यातक के नाम के समक्ष दर्शायी जाती रहेगी। हालांकि, जहां से आगम राशि वसूलनी होगी, वहां समुद्रपारीय खरीददार के नाम के बजाय घोषित तीसरे पक्ष के नाम का उल्लेख एक्सओएस विवरणी में किया जाएगा; और एफ) यदि ग्रुप II में शामिल प्रतिबंधित देशों (अर्थात सूडान, सोमालिया, आदि) में से किसी देश को पोत-लदान किया जाता है, तो भुगतान प्रतिबंध-मुक्त देश से प्राप्त होना चाहिए। नोट: ग्रुप II में शामिल प्रतिबंधित देश वह देश है जो चिरकालिक राजनीतिक तथा आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ भुगतान संतुलन की मुश्किलों से ग्रस्त है। ii. आयात संबंधी लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को माल के आयात के संबंध में तीसरे पक्ष को निम्नलिखित शर्तों के तहत भुगतान करने की अनुमति दी गयी है: ए) पक्का अप्रतिसंहरणीय खरीद आदेश दिया गया हो/त्रिपक्षीय करार किया गया हो; बी) तीसरे पक्ष को भुगतान वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) के अनुपालक देश में और केवल बैंकिंग चैनल से किया जाना चाहिए; सी) इनवाइस में उल्लेख हो कि संबंधित भुगतान (--------नाम के) तीसरे पक्ष को किया जाना है; डी) बिल आफ एंट्री में पोतलदान परेषक के नाम का उल्लेख होने के साथ-साथ संबंधित भुगतान तीसरे पक्ष को किए जाने का भी उल्लेख होना चाहिए; ई) आयातक को माल के आयात के लिए अग्रिम भुगतान सहित आयात संबंधी वर्तमान अनुदेशों का अनुपालन करना चाहिए; और एफ) आयात संबंधी लेनदेन की राशि जो तीसरे पक्ष को भुगतान किए जाने के लिए पात्र है, वह 1,00,000 अमरीकी डालर से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवश्यकता होने पर यह सीमा संशोधित की जाएगी। 3. ये अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (सी.डी.श्रीनिवासन) |