भारत में आयात के लिए व्यापार ऋण - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में आयात के लिए व्यापार ऋण
भारिबैंक/2012-13/202 11 सितंबर 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय, भारत में आयात के लिए व्यापार ऋण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान 17 अप्रैल 2004 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 87 और 01 नवंबर 2004 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 24 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा वर्गीकृत पूँजीगत माल के आयात के लिए, प्राधिकृत व्यापारी बैंक (पोत लदान की तारीख से) एक वर्ष से अधिक और तीन वर्षों से कम की परिपक्वता अवधि वाले 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के प्रति आयात लेनदेन के व्यापारिक उधार का अनुमोदन कर सकते हैं । अनुमत अवधि से अधिक के लिए किसी भी प्रकार के रोलओवर/विस्तार की अनुमति नहीं है । प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को, समय समय पर, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के अधीन पूँजीगत माल के आयात के लिए तीन वर्षों तक की अवधि के लिए प्रति लेनदेन 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्थाओं के पक्ष में साख पत्रों/ गारंटियों/ वचन पत्रों/ लेटर आफ कंफर्ट जारी करने हेतु भी अनुमति दी गयी है । ऐसे साख पत्रों/ गारंटियों/ वचन पत्रों/ लेटर आफ कंफर्ट की अवधि ऋण अवधि के साथ-साथ समाप्त होनी है, जिसकी गणना पोत लदान की तारीख से होगी । तथापि, प्राधिकृत व्यापारी बैंक 20 मिलियन अमरीकी डालर प्रति आयात लेनदेन से अधिक के व्यापार ऋण की अनुमति प्रदान नहीं करेंगे । 3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों में यथा परिभाषित 'इंफ्रास्ट्रक्चर' के तहत आनेवाले इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा वर्गीकृत किए गए पूँजीगत माल के आयात के लिए पाँच वर्षों की अधिकतम अवधि तक के व्यापार ऋण लेने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी जाए :- (i) व्यापार ऋण प्रारंभ में पंद्रह महीनों से कम अवधि के लिए संविदागत नहीं होने चाहिए और अल्पावधि रोल ओवर के स्वरूप के नहीं होने चाहिए; और (ii) प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को तीन वर्षों से अधिक की विस्तारित अवधि के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ता, बैंक और वित्तीय संस्था के पक्ष में साख पत्रों/ गारंटियों/ वचन पत्रों/ लेटर आफ कंफर्ट जारी करने हेतु अनुमति नहीं है । 4. व्यापार ऋण के लिए समग्र उच्चतम लागत सीमा निम्नानुसार होगी:
समग्र उच्चतम लागत सीमा में व्यवस्थापक शुल्क, अपफ्रंट शुल्क, प्रबंधन शुल्क, लदाई-उतराई/प्रोसेसिंग प्रभार, फुटकर और कानूनी खर्च, यदि कोई हों, शामिल होंगे । 5. व्यापार ऋण संबंधी नीति के सभी अन्य पहलू यथावत रहेंगे और उनका पालन किया जाना चाहिए । संशोधित व्यापार ऋण संबंधी नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और इस संबंध में प्राप्त अनुभव के आधार पर समीक्षा के अधीन है । 6. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 में, जहाँ कहीं जरूरी है, आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं । 7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |