कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआइ सं. 2009-10/379 5 अप्रैल 2010 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया, कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति कृपया उपर्युक्त विषय पर हमारा 30 जुलाई 2008 का परिपत्र शबैंवि. पीसीबी.परि.सं. 5 /13.05.000 /2008-09, 9 मार्च 2009 का परिपत्र शबैंवि. पीसीबी. परि. सं. 54 /13.05.000 / 2008-09, 26 जून 2009 का परिपत्र शबैंवि. पीसीबी.परि.सं. 72 /13.05.000 / 2008-09 तथा 3 सितंबर 2009 का परिपत्र शबैंवि. पीसीबी.परि.सं. 8 /13.05.006 /2009-10 देखें। 2. 3 सितंबर 2009 के अपने परिपत्र के माध्यम से हमने सूचित किया था कि भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि ‘अन्य किसानों’ के खातों को भारत सरकार से 25 प्रतिशत की ऋण राहत पाने के लिए पात्र माना जाएगा बशर्ते वे अपने 75 प्रतिशत के संपूर्ण हिस्से का भुगतान 31 दिसंबर 2009 तक करते हों । 3. कुछ राज्यों में सूखे के कारण तथा देश के कुछ अन्य भागों में बाढ़ की तबाही को देखते हुए केंद्रीय बजट 2010-11 में की गयी घोषणा के अनुसार भारत सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि ऋण राहत योजना (कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना के अधीन) के अंतर्गत "अन्य किसानों" द्वारा अतिदेय हिस्से के 75% के भुगतान की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2009 से और छ: महीने के लिए अर्थात् 30 जून 2010 तक बढ़ायी जाए । पात्र ‘अन्य किसानों’ को एक अथवा उससे अधिक किस्तों में 30 जून 2010 तक इस रशि का भुगतान करने की अनुमति दी जा सकती है । 4. भारत सरकार ने यह भी सूचित किया है कि बैंकों /ऋणदात्री संस्थाओं को एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) के तहत पात्र राशि के 75% से कम राशि भी स्वीकार करने की अनुमति है बशर्ते बैंक /ऋणदात्री संस्थाएं इस अंतर को खुद वहन करें और उसके लिए न तो सरकार से दावा करें और न ही किसान से । ऋण राहत के अंतर्गत सरकार वास्तविक पात्र राशि के केवल 25% का भुगतान करेगी । 5. सरकार ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि ऋणदात्री संस्थाएं 29 फरवरी 2008 से 30 जून 2009 के बीच की अवधि के लिए पात्र राशि पर कोई ब्याज नहीं लगाएंगी । तथापि, वे पात्र राशि पर 1 जुलाई 2009 से निपटान की तारीख तक के लिए सामान्य ब्याज दर लगा सकती हैं । इसके अलावा उक्त योजना के अंतर्गत दिए गए छ: महीने के विस्तार के लिए विलंबित प्रतिपूर्ति समय सारणी के अनुसार ऋणदात्री संस्थाओं को 25 प्रतिशत राशि की प्रतिपूर्ति करते समय, भारत सरकार ऋणदात्री संस्थाओं को कोई ब्याज की अदायगी नहीं करेगा । 6. जिन मामलों में ऋण राहत योजना के दायरे में आने वाले किसानों ने एकमुश्त निपटान योजना के अंतर्गत अपने अंश का भुगतान करने की सहमति के रूप में वचन दिया है, बैंक उनके संबंधित खातों को ‘मानक’/‘अर्जक’ मान सकते हैं, बशर्ते - (क) बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से बकाया राशियों की सभी प्राप्तियों के वर्तमान मूल्य में होनेवाली हानि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया हो । (इस योजना के अंतर्गत वर्तमान मूल्य के आधार पर हानि की राशि की गणना करने के लिए किसानों से प्राप्त होनेवाली शेष राशि, 30 जून 2010 को देय मानी जाए और उस पर ब्याज का भुगतान उपर्युक्त पैराग्राफ 5 के अनुसार होगा । वर्तमान मूल्य की गणना करने के लिए नकदी प्रवाह पर उस दर से बट्टा लगाया जाना चाहिए जिस ब्याज दर पर ऋण मंजूर किया गया था और जिसमें सरकार से प्राप्त ब्याज सहायता , यदि हो, को भी शामिल किया गया हो ।) (ख) ऐसे किसान निपटान के अपने हिस्से का भुगतान संशोधित अंतिम तारीख अर्थात् 30 जून 2010 तक अनिवार्य रूप से करते हों । 7. तथापि, यदि किसानों द्वारा 30 जून 2010 तक भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे किसानों के संबंधित खातों में बकाया राशि को अनर्जक आस्ति माना जाएगा। इस तरह के खातों के आस्ति वर्गीकरण का निर्धारण अनर्जक आस्ति की मूल तिथि के संदर्भ में किया जाएगा (मानो कि उपर्युक्त वचन के आधार पर खाते को बीच की अवधि के दौरान अर्जक नहीं माना गया था)। खातों की श्रेणी को इस प्रकार घटाए जाने के बाद अतिरिक्त प्रावधान विद्यमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार कि या जाना चाहिए । 8. ऋण राहत योजना के लिए 3 सितंबर 2009 के हमारे परिपत्र के पैराग्राफ 5 में निर्दिष्ट लेखांकन कार्रवाई का अनुसरण जारी रखा जाना चाहिए । 9. उपर्युक्त परिपत्रों में निहित अन्य सभी शर्तें, जिनमें प्रावधानीकरण शामिल है, अपरिवर्तित रहेंगी। भवदीय (ए.के.खौंड) |