ऋण संविभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऋण संविभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग
आरबीआइ/2009-10/256 16 दिसंबर 2009 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय /महोदया ऋण संविभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग कृपया 29 जून 2009 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.73 /09.14.000/2008-09 देखें जिसमें ऋण संविभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रावधानों के विवेकपूर्ण प्रयोग पर दिशानिर्देश निर्धारित किए गए है । इस संदर्भ में निम्नानुसार यह स्पष्ट किया जाता है : (i) निर्धारित दर से अधिक दर पर अनर्जक आस्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधान विद्यमान अनुदेशों के अनुसार निवल एनपीए की राशि परिकलित करने के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार एनपीए के लिए किया गया प्रावधान सकल एनपीए की राशि से घटाकर किया जाता है । बैंक द्वारा एनपीए के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अंतर्गत निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान करने की स्थिति में कुल विशेष प्रावधान की राशि से सकल एनपीए की राशि घटाकर निवल एनपीए की राशि परिकलित करें । बैंक द्वारा एनपीए के लिए किया गया अतिरिक्त प्रावधान टियर II पूंजी में शामिल नहीं किया जाएगा । (ii) एनपीए की बिक्री पर अधिक प्रावधान एनपीए की बिक्री की स्थिति में यदि आस्ति के बही मूल्य से बिक्री की राशि, धारित निवल प्रावधान अधिक होने पर प्रावधान की अतिरिक्त राशि लाभ हानि-लेखों में वापस शामिल नहीं की जानी चाहिए । उदाहरण के लिए रु.1,00,000 एनपीए के लिए बैंक रु.50,000 अर्थात 50% ) प्रावधान रखता है और यदि आस्ति रु.70,000 में बेची जाती है तो रु.30,000 का नुकसान रु.50,000 प्रावधान से समायोजित किया जाएगा जिससे एनपीए की बिक्री के परिणामस्वरूप रु.20,000 अतिरिक्त प्रावधान राशि बचेगी । इस प्रकार की अतिरिक्त प्रावधान राशि "प्रावधान" के अंतर्गत जारी रखे तथा यह राशि जोख्मि भारित आस्तियों की 1.25% समग्र सीमा के अधीन टियर II पूंजी शामिल की जाएगी । (iii) उचित मूल्य में ह्रास के लिए प्रावधान 6 मार्च 2009 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.बीपीडी.सं.53 के पैरा 5.1 के अंतर्गत बैंकों को सूचित किया गया है कि विद्यमान प्रावधान मानदंडों के अनुसार पुनर्निर्धारित अग्रिमों के लिए बैंकों को प्रावधान करना चाहिए । इस प्रकार के प्रावधानों के अतिरिक्त ब्याज दर में कमी के कारण हुई हानि या पुननिर्धारित ऋण की मूलपूंजी की चुकौती के नियत समय में हुए परिवर्तन के कारण होनेवाली आर्थिक हानि के लिए बैंकों को प्रावधान करने के लिए सूचित किया गया है । मानक आस्ति तथा एनपीए दोनों मामलों में पुनर्निर्धारित अग्रिमों से समंजित करने की अनुमति दी गई है । भवदीय (ए.के. खौंड) |