मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा - कार्पोरेट के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा - कार्पोरेट के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर
आरबीआई/2011-12/382 2 फरवरी 2012 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा - कृपया मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा के पैराग्राफ 102 और 103 (उद्धरण संलग्न) देखें जो "बैंकों द्वारा कार्पोरेट के बिना हेज किये गये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर की निगरानी' से संबंधित है। 2. `कार्पोरेट के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर' पर 27 अक्तूबर 2001 और 5 दिसंबर 2003 के हमारे परिपत्र क्रमश: सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 37/21.04.048/2001-2002 और बैंपविवि. बीपी. बीसी. 51/21.04.103/2003-2004 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एक उपयुक्त रिपोटिर्गं प्रणाली के माध्यम से ऐसे कार्पोरेट के विदेशी मुद्रा एक्सपोजरों के बिना हेज किये गये अंश की निगरानी और मासिक आधार पर समीक्षा करें, जिनका कुल विदेशी मुद्रा एक्सपोजर अपेक्षाकृत अधिक है (उदाहरण के लिए, 25 मिलियन अमरीकी डालर या उसकी समतुल्य राशि से अधिक) । इसके अलावा उनको यह भी सूचित किया गया था कि 10 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक के विदेशी मुद्रा ऋण (या उससे न्यूनतम सीमा के ऋण जो ऐसे एक्सपोजरों के बैंक के पोर्टफोलियो की तुलना में उपयुक्त समझे जाएं) केवल ऐसे विदेशी मुद्रा ऋणों की हेजिंग के संबंध में उनके बोर्डों की सुस्पष्ट नीति के आधार पर ही दिये जाएं । 3. उपर्युक्त अनुदेशों को "ग्राहक के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर" पर 10 दिसंबर 2008 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 96/21.04.103/2008-2009 द्वारा दोहराया गया था और बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि उनकी बोर्ड नीति में छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) सहित सभी ग्राहकों के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर को कवर किया जाना चाहिए । बैंकों को यह भी सूचित किया गया था किं ग्राहकों के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर की सकल राशि प्राप्त करने के लिए विदेशी मुद्रा उधार और बाह्य वाणिज्यिक उधार सहित सभी स्रोतों से उनके एक्सपोजर को गणना में शामिल करना चाहिए और जहां सहायता संघीय/बहु बैंकिंग व्यवस्था हो वहां ग्राहकों के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजरों को उपर्युक्त रीति से निगरानी करने में प्रमुख भूमिका संघ के प्रधान/सर्वाधिक एक्सपोजर वाले बैंक को निभानी होगी । `सहायता संघीय व्यवस्था/बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण' पर 8 दिसंबर 2008 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 94/08.12.001/2008-2009 द्वारा बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे एक से अधिक बैंकों से ऋण सुविधा लेने वाले उधारकर्ताओं के संबंध में सूचनाओं का आपस में आदान-प्रदान करें, जिनमें उनके डेरिवेटिव लेनदेन और बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजरों से जुड़ी सूचना शामिल होनी चाहिए । 4. डेरिवेटिव ट्रेड से संबंधित हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि कार्पोरेट द्वारा अत्यधिक जोखिम लेने से उनपर विकट संकट खड़ा हो सकता है और मुद्रा में तेज प्रतिकूल घट-बढ़ के कारण उनके बैंकरों के साख को भारी नुकसान पहुँच सकता है । विदेशी मुद्रा जोखिम के विवेकपूर्ण प्रबंध की महत्ता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बैंक कार्पोरेट को निधि आधारित और गैर-निधि आधारित ऋण सुविधाएं देते समय, कार्पोरेट के बिना हेज किये विदेशी मुद्रा एक्सपोजर से उत्पन्न होने वाले जोखिम का गंभीरता से मूल्यांकन करें और ऋण जोखिम प्रीमियम में उसका मूल्य निर्धारण करें । इसके अलावा, बैंक अपनी बोर्ड अनुमोदित नीति के आधार पर कार्पोरेटों के बिना हेज किये पोजीशन पर एक सीमा निर्धारित करने पर भी विचार कर सकते हैं । 5. बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे `सहायता संघीय व्यवस्था/बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण' पर 8 दिसंबर 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 94/08.12.001/2008-2009 में निर्दिष्ट आपस में सूचना के आदान-प्रदान से संबंधित अनुदेशों का अनुपालन करें । भवदीय (दीपक सिंघल) 25 अक्तूबर 2011 को घोषित मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा से उद्धरण V. वाणिज्यिक बैंकों के लिए विनियामक और पर्यवेक्षी उपाय कंपनियों के अरक्षित (अनहेज़्ड) विदेशी मुद्रा एकस्पोज़र की बैंकों द्वारा निगरानी 102. अरक्षित (अनहेज़्ड) विदेशी मुद्रा एकस्पोज़र, कंपनियों के लिए जोखिम (रिस्क) के स्रोत हैं और इसे फाइनैंस करने वाले बैंकों के लिए क्रेडिट रिस्क के स्रोत हैं। यदि अनहेज़्ड पोजीशन बड़ी हुई तो घरेलू मुद्रा का मूल्यह्रास अधिक हो जाने की स्थिति में कंपनियों की शोधक्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और फाइनैंस करने वाले बैंकों के लिए बड़ी क्रेडिट क्षति हो सकती है। यह देखते हुए कि कॉरपोरेटों की विदेशी मुद्रा प्रतिबद्धताओं का एक बड़ा हिस्सा अनहेज़्ड रह जाया करता है, अक्तूबर 2001 में बैंकों को कहा गया कि वे उन बड़े कॉरपोरेटों के विदेशी मुद्रा एक्सपोज़रों के अनहेज़्ड हिस्से की मासिक समीक्षा करें जिनका कुल विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र अपेक्षाकृत रूप से बड़ा (जैसे 25 मिलियन अमरिकी डॉलर अथवा इससे अधिक) रहा हो। दिसंबर 2003 में, बैंकों को आगे यह भी कहा गया कि वे एक नीति बनाएं जिसमें अपने ग्राहकों के अनहेज़्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोज़रों से होने वाले जोखिम की स्पष्ट पहचान व व्यवस्था की गई हो। बैंकों को यह भी कहा गया कि वे 10 मिलियन अमरिकी डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा ऋण या कमतर सीमा, जो ऐसे एक्सपोज़रों वाले बैंकों के पोर्टफोलिओ के हिसाब से उचित समझी जाए, के ऋण तभी दे सकते हैं जब ऐसे विदेशी मुद्रा ऋणों की हेजिंग के संबंध में उनके बोर्ड द्वारा तैयार की गई सुपष्ट नीति का आधार उनके पास हो। दिसंबर 2008 में ये निर्देश फिर से दोहराए गए। पुन: दिसंबर 2008 में बैंकों को कहा गया कि वे ऐसे उधारकर्ताओं के संबंध में जानकारी का आदान-प्रदान करें जो कि एकाधिक बैंकों से ऋण सुविधा का लाभ ले रहे हैं और इसमें अन्य बातों के साथ-साथ उधारकर्ताओं के डेरिवेटिव लेन-देनों व हेज न की गई विदेशी मुद्रा एक्सपोज़रों संबंधी सूचनाओं को भी शामिल किया जाए। 103. डेरिवेटिव व्यापारों से संबंधित हाल की घटनाओं से पता चलता है कि ज्यादा रिस्क लेने से कॉरपोरेट्स परेशानी में पड़ सकते हैं और मुद्राओं में तीव्र प्रतिकूल हलचल होने पर उनके बैंकरों को बड़ी क्रेडिट हानि की संभावना बनती है। रुपए के विनिमय दर में हाल के अस्थिरता वाले प्रसंग ने, जब छह हफ़्तों के छोटे समय में रुपए में 10 प्रतिशत का अवमूल्यन हुआ, विदेशी मुद्रा जोखिम के विवेकपूर्ण प्रबंधन को बड़ी प्रबलता से रेखांकित किया है। अत: प्रस्ताव है कि:
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