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2013-14 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधिया - आरबीआई - Reserve Bank of India

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2013-14 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधिया

2 दिसंबर 2013

2013-14 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

वित्तीय वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही अर्थात् जुलाई-सितंबर 2013 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गये हैं तथा इन्हें विवरण I और II में प्रस्तुत किया गया है। जबकि विवरण I भुगतान संतुलन के आंकड़ो को बीपीएम 6 फार्मेट में प्रस्तुत करता है, विवरण II में पुराने फार्मेट के अनुसार आंकड़े दिये गये हैं।

जुलाई-सितंबर 2013 के दौरान भुगतान संतुलन की गतिविधियां

  • 2013-14 की दूसरी तिमाही में भारत के चालू खाता घाटे में तीव्र कमी आई और यह घटकर 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) रह गया जो 2012-13 की दूसरी तिमाही में 21.0 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 5.0 प्रतिशत) था। यह आंकड़ा 2013-14 की पहली तिमाही में रहे जीडीपी के 4.9 प्रतिशत से भी काफी कम रहा। चालू खाता घाटे के कम होने का प्राथमिक कारण व्यापार घाटे में कमी रहा क्योंकि पण्यों का निर्यात बढ़ा तथा आयात में कमी आई, विशेष रूप से स्‍वर्ण आयात में।

  • ‘वस्त्र और वस्त्र उत्पादों’ ‘चमड़ा और चमड़ा उत्पादों’ तथा रसायन में महत्त्वपूर्ण संवृद्धि के कारण भुगतान संतुलन के आधार पर पण्य निर्यात 2013-14 की दूसरी तिमाही में 11.9 प्रतिशत बढ़कर 81.2 बिलियन डॉलर हो गया।

  • दूसरी ओर, 2013-14 की दूसरी तिमाही में पण्‍यों का आयात 4.8 प्रतिशत घट कर 114.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया जबकि 2012-13 की दूसरी तिमाही में इसमें 3.0 प्रतिशत की कमी हुई थी, जिसका मुख्‍य कारण स्वर्ण आयात में भारी गिरावट था और यह 3.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 2013-14 की पहली तिमाही में 16.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था और 2012-13 की दूसरी तिमाही में 11.1 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • परिणामस्वरूप, पण्य व्यापार घाटा (चालू खाता घाटे के आधार पर ) एक वर्ष पहले के 47.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्‍तर से घटकर 2013-14 की दूसरी तिमाही में 33.3 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया।

  • 2013-14 की दूसरी तिमाही के दौरान निवल अदृश्य मदों में सुधार हुआ जिसका मुख्‍य कारण सेवाओं के निवल निर्यात में वृद्धि रहा। सेवाओं का निवल मूल्‍य 18.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। इसमें 2013-14 की दूसरी तिमाही में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) हुई जिसका मुख्‍य कारण ‘‘कंप्यूटर सेवाएं” रहीं।

  • 2013-14 की दूसरी तिमाही में 6.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की प्राथमिक आय (लाभ, लाभांश और ब्याज) के कारण निवल बहिर्वाह, 2012-13 की पूर्ववर्ती तिमाही (4.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) के साथ ही अुनरूप तिमाही (5.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) से भी आधिक था। 17.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की सकल अंतरण रसीदों में 2.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई।

  • 2013-14 की दूसरी तिमाही में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश में 6.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल अंतर्वाह देखा गया जबकि निवल पोर्टफोलियो निवेश के अंतर्गत 6.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का बहिर्वाह हुआ, जिसका कारण अमरीकी फैडरल रिज़र्व द्वारा अपने मात्रात्‍मक नरमी के कार्यक्रम में कमी का संकेत रहा। इक्विटी के तहत 0.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का थोड़ा बहिर्वाह हुआ जबकि निवल विदेशी संस्‍थागत निवेश के प्रवाह के कर्ज वाले हिस्‍से में 5.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का अधिक बहिर्वाह देखा गया।

  • जमा स्‍वीकार करने वाले निगमों (वाणिज्‍य बैंकों) द्वारा लिए गए 'ऋणों' (निवल) के अंतर्गत 2013-14 की दूसरी तिमाही में 6.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का बहिर्वाह हुआ जिसका कारण विदेशी उधार की चुकौती तथा उनकी विदेशी मुद्रा आस्तियां तैयार करना रहा। 'मुद्रा और जमा जमाराशियों' के तहत 2013-14 की दूसरी तिमाही में एनआरआई जमा राशियों से निवल अंतर्वाह 8.3 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जबकि 2012-13 की समरूप तिमाही में यह 2.8 बिलियन अमरीकी डॉलर था। हालांकि, अन्‍य (ईसीबी) द्वारा लिए गए 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के ऋणों (निवल) से पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि का पता चलता है। चुकौती अधिक होने के कारण व्‍यापार ऋणों तथा अग्रिमों में कमी हुई।

  • भुगतान संतुलन के आधार पर, 2013-14 की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में 10.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की कमी आई जबकि 2012-13 की दूसरी तिमाही में यह कमी 0.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थी (सारणी 1 )।

अप्रैल-सितंबर 2013 के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां

  • जुलाई 2013 के बाद से निर्यात वृद्धि तथा आयात में कमी में उथल-पुथल के कारण व्‍यापार घाटे में तेजी से सुधार हुआ। 2012-13 की पहली छमाही में 91.6 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो 2013-14 की पहली छमाही में 83.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

  • निवल अदृश्‍य प्राप्तियों में वृद्धि के साथ में व्‍यापार घाटे में कमी के कारण चालू खाता घाटा 2013-14 की पहली छमाही में घट कर 26.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 3.1 प्रतिशत) हो गया जो 2012-13 की पहली छमाही में 37.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.5 प्रतिशत) था।

  • पोर्टफोलियो निवेश के बहिर्वाह के कारण पूंजी और वित्‍तीय खाता के तहत निवल बहिर्वाह (विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में परिवर्तनों को छोड़कर) 2013-14 की पहली छमाही में घट कर 15.1 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया जो कि 2012-13 की पहली छमाही में 37.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

  • 2013-14 की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटे के कम रहने के बावजूद विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों में 10.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की कमी हुई, जिसका मुख्‍य कारण वित्‍तीय खाते के अंतर्गत निवल पूंजीगत अंतर्वाह में कमी था, जबकि 2012-13 की पहली छमाही में 0.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई थी।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें

(बिलियन अमरीकी डॉलर)

 

जुलाई-सितंबर 2013 (प्रा.)

जुलाई-सितंबर 2012 (आं.सं.)

अप्रैल-सितंबर 2013 (प्रा.)

अप्रैल-सितंबर 2012 (आं.सं.)

 

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

जमा

नामे

निवल

ए चालू खाता

138.3

143.5

-5.2

127.3

148.3

-21.0

269.3

296.2

-26.9

257.7

295.6

-37.9

1. सामान

81.2

114.5

-33.3

72.6

120.4

-47.8

155.2

238.9

-83.8

147.6

239.2

-91.6

जिसमें से :

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पेट्रोलियम, तेल और स्‍नेहक

17.9

41.0

-23.1

14.2

40.7

-26.4

32.0

83.0

-51.0

27.5

80.0

-52.5

2. सेवाएं

36.7

18.3

18.4

35.0

18.7

16.3

73.2

37.9

35.2

70.8

39.5

31.3

3. प्राथमिक आय

3.1

9.4

-6.3

2.8

8.4

-5.6

5.6

16.8

-11.2

5.0

15.4

-10.5

4. द्वितीयक आय

17.3

1.2

16.1

16.9

0.8

16.1

35.3

2.6

32.8

34.4

1.5

32.9

बी. पूंजी खाता और वित्‍तीय खाता

130.7

125.8

5.0

109.9

89.1

20.8

265.7

239.9

25.8

219.4

182.8

36.6

जिसमें से :

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आरक्षित निधियों में परिवर्तन {वृद्धि ( -)/कमी (+)}

10.4

 

10.4

0.2

 

0.2

10.7

 

10.7

 

0.4

-0.4

ग. भूल-चूक (-) (क + ख)

 

 

0.2

 

 

0.2

 

 

1.1

 

 

1.3

प्रा. : प्राथमिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित

टिप्‍पणी : पूर्णांकन के कारण उप-घटकों का योग समग्र से भिन्‍न हो सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1112

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