28 मार्च 2013 तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2012) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां वित्तीय वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2012) के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। इन आंकड़ों का विवरण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भुगतान संतुलन नियम पुस्तिका के छठे संस्करण के संशोधित प्रारूप में विवरण I में दिया गया है। ये आंकड़े पुराने प्रारूप में भी विवरण II में दिए गए हैं। 2012-2013 के अक्तूबर-दिसंबर (तीसरी तिमाही) के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें -
तीसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा दूसरी तिमाही के जीडीपी के 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर पहुँच गया जो मुख्यत: भारी व्यापार घाटे के कारण था। -
बीओपी के आधार पर 2012-13 की तीसरी तिमाही में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई जबकि 2011-12 की तीसरी तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
इसके विपरीत वाणिज्यिक वस्तुओं के आयात में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: तेल तथा स्वर्ण के आयातों के कारण थी। -
इसके परिणामस्वरूप 2012-13 की तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा 2011-12 की तीसरी तिमाही के 48.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 59.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। -
सेवाओं से निवल प्राप्तियों में 2012-13 की तीसरी तिमाही में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मुख्यत: यात्रा, परिवहन, सॉफ्टवेयर सेवाओं तथा वित्तीय सेवाओं की वजह से थी। -
निवल अदृश्य मदों में गिरावट आने के चलते 2012-13 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा 2011-12 की इसी तिमाही के 20.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.4 प्रतिशत) से 61 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 32.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 6.7 प्रतिशत) हो गया। तथापि, परंतु पूंजी के अंतर्वाह में वृद्धि होने के चलते तिमाही के दौरान चालू खाते के घाटे का वित्तपोषण पूर्णत: किया जा सका। पूंजी के प्रवाह में हुई वृद्धि मुख्यत: विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में बढ़ोतरी होने की वजह से थी जो पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही के 1.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2012-13 की तीसरी तिमाही में 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। जहां बैंकों तथा कंपनी क्षेत्र द्वारा लिये गये ऋण की राशि 7.1 बिलियन अमरीकी डॉलर थी वहीं निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 2012-13 की तीसरी तिमाही में 2011-12 की इसी अवधि के 5 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया। अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें -
अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान चालू खाते का घाटा 71.7 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो जीडीपी का 5.4 प्रतिशत था जबकि 2011 की इसी अवधि में यह घाटा 56.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.1 प्रतिशत) था। -
वित्तीय लेखा के अंतर्गत निवल अंतर्वाह अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान बढ़कर 70.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 58.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह वृद्धि मुख्यत: विदेशी संस्थागत निवेशकों के उच्चतर अंतर्वाहों, अनिवासी जमाराशियों तथा अल्पावधि ऋणों की वजह से थी। -
वित्तीय लेखा में निवल अंतर्वाह को दर्शाते हुए अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। 1. 2012-13 के अक्तूबर-दिसंबर (तीसरी तिमाही) के दौरान भुगतान संतुलन 2012-13 की तीसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों से संबंधित जानकारी नीचे सारणी 1 में दी गई है। वस्तुओं का व्यापार -
भुगतान संतुलन के आधार पर भारत का वाणिज्यिक वस्तु निर्यात 2012-13 की तीसरी तिमाही में मामूली 0.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़कर 71.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2011-12 की तीसरी तिमाही में निर्यात में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
वाणिज्यिक वस्तुओं का आयात 2012-13 की तीसरी तिमाही में 9.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ 131.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में आयातों में 22.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। -
अक्तूबर-दिसंबर 2012 के दौरान व्यापार घाटा 59.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का था जो 2012-13 की तीसरी तिमाही के जीडीपी के 12.3 प्रतिशत के बराबर था। सेवा तथा आय प्रवाह निवल सेवा प्राप्तियों में 2012-13 की तीसरी तिमाही में 2011-12 की इसी तिमाही की तुलना में 9.2 प्रतिशत की कम दर पर वृद्धि हुई। 2012-13 की तीसरी तिमाही मे भी निवल आय में बहिर्वाह जारी रहा (सारणी 2)। सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | | अक्तू-दिसं 2012 (प्रा.) | अक्तू-दिसं 2011 (आं.सं.) | अप्रै-दिसं 2012 (प्रा.) | अप्रै-दिसं 2011 (आं.सं.) | | जमा | नामे | निवल | जमा | नामे | निवल | जमा | नामे | निवल | जमा | नामे | निवल | क. चालू खाता (1+2+3+4) | 127.5 | 160.1 | -32.6 | 127.7 | 147.8 | -20.2 | 382.7 | 454.4 | -71.7 | 389.3 | 445.8 | -56.5 | 1. वस्तुएं | 71.8 | 131.4 | -59.6 | 71.5 | 120.1 | -48.6 | 218.4 | 368.7 | -150.3 | 229.8 | 367.8 | -138.0 | 2. सेवाएं | 36.5 | 18.9 | 17.6 | 37.3 | 21.1 | 16.1 | 105.8 | 59.0 | 46.9 | 103.3 | 56.9 | 46.4 | 3.प्राथमिक आय | 2.7 | 8.9 | -6.3 | 2.3 | 6.1 | -3.8 | 7.6 | 24.4 | -16.8 | 7.9 | 19.3 | -11.4 | 4.द्वितीयक आय | 16.5 | 0.8 | 15.7 | 16.7 | 0.5 | 16.2 | 50.9 | 2.3 | 48.6 | 48.4 | 1.8 | 46.6 | ख. पूंजी खाता | 0.7 | 0.7 | 0.0 | 0.4 | 0.2 | 0.1 | 1.1 | 1.7 | -0.5 | 0.8 | 0.7 | 0.1 | ग. वित्तीय लेखा | 120.8 | 89.8 | 31.1 | 119.4 | 98.9 | 20.6 | 341.1 | 270.3 | 70.7 | 365.5 | 307.3 | 58.3 | घ.भूल-चूक (क+ख-ग) | 1.6 | | 1.6 | | 0.5 | -0.5 | 1.5 | | 1.5 | | 1.9 | -1.9 | रिज़र्व आस्तियों में हुए परिवर्तन को बीपीएम 6 की संस्तुति के अनुसार वित्तीय लेखा के अंतर्गत शामिल किया गया है। टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित | सेवाओं का आयात 2012-13 की तीसरी तिमाही में 10.6 प्रतिशत की काफी गिरावट के साथ 18.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि अक्तूबर-दिसंबर 2011 में इसमें 8.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इसका मुख्य कारण यात्रा, परिवहन, वित्तीय तथा संचार सेवाओं संबंधी भुगतानों में गिरावट आना था। -
प्राथमिक आय संबंधी निवल बहिर्वाह 2012-13 की तीसरी तिमाही में 2011-12 की इसी अवधि के 3.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 6.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। यह बहिर्वाह मुख्यत: निवेश आय प्राप्तियों में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आने (2011-12 की तीसरी तिमाही में 16.8 प्रतिशत की गिरावट) तथा 2012-13 की तीसरी तिमाही में भुगतानों में 49.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने (2011-12 की तीसरी तिमाही में 13.9 प्रतिशत की गिरावट) के कारण था। -
द्वितीयक आय के अंतर्गत निवल प्राप्तियां 2012-13 की तीसरी तिमाही में पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही की तुलना में 3.4 प्रतिशत मामूली घटकर 15.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं जो मुख्यत: विदेश स्थित भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले निवल विप्रेषणों में कमी आने की वजह से थी। चालू खाता शेष 2012-13 की तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा बढ़ने के कारण चालू खाते का घाटा पिछली तिमाही के 22.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 5.4 प्रतिशत ) तथा 2011-12 की तीसरी तिमाही के 20.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.4 प्रतिशत) से बढ़कर 32.6 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 6.7 प्रतिशत) हो गया। सारणी 2: चालू खाते की विभिन्न मदें (निवल) | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | | अक्तू-दिसं 2012 (प्रा.) | अक्तू-दिसं 2011 (आं.सं.) | अप्रै-दिसं 2012 (प्रा.) | अप्रै-दिसं 2011 (आं.सं.) | 1. वस्तुएं | -59.6 | -48.6 | -150.3 | -138.0 | 2. सेवाएं | 17.6 | 16.1 | 46.9 | 46.4 | 2.क परिवहन | 0.6 | 0.3 | 1.5 | 1.4 | 2.ख यात्रा | 2.0 | 1.5 | 3.4 | 2.5 | 2.ग निर्माण | -0.0 | 0.0 | -0.0 | -0.1 | 2.घ बीमा और पेंशन सेवाएं | -0.0 | 0.4 | 0.5 | 0.8 | 2.ङ वित्तीय सेवाएं | 0.5 | -0.6 | 0.6 | -1.6 | 2.च बौद्धिक संपत्ति के उपयोग के लिए प्रभार | -1.0 | -0.8 | -2.8 | -2.0 | 2.छ दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवा | 16.0 | 15.8 | 47.0 | 44.0 | 2.ज निजी, सांस्कृतिक और मनोरंजन संबंधी सेवाएं | 0.1 | 0.0 | 0.2 | 0.1 | 2.झ सरकारी वस्तु और सेवाएं | -0.0 | -0.0 | -0.0 | -0.1 | 2.ञ अन्य कारोबारी सेवाएं | -0.8 | -0.2 | -1.0 | -0.7 | 2.ट अन्य जो अन्यत्र शामिल नहीं है | 0.2 | -0.3 | -2.3 | 2.1 | 3. प्राथमिक आय | -6.3 | -3.8 | -16.8 | -11.4 | 3.क कर्मचारियों को मुआवज़ा | 0.2 | 0.0 | 0.7 | 0.5 | 3.ख निवेश आय | -6.7 | -3.9 | -17.8 | -12.2 | 4. द्वितीयक आय | 15.7 | 16.2 | 48.6 | 46.6 | 4.क निजी अंतरण | 14.8 | 15.6 | 46.5 | 45.0 | 4.ख अन्य अंतरण | 0.6 | 0.6 | 1.8 | 1.6 | 5. चालू खाता (1+2+3+4) | -32.6 | -20.2 | -71.7 | -56.5 | टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित | पूंजी खाता -
पूंजी खाता के अंतर्गत निवल अंतर्वाह, जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ, सरकारी अंतरण, 'गैर-उत्पादित गैर-वित्तीय आस्तियों का निवल अधिग्रहण' एवं 'प्रवासी अंतरण' सहित अन्य पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं, 2012-13 की तीसरी तिमाही में कम अर्थात् 0.01 बिलियन अमरीकी डॉलर बने रहे। वित्तीय खाता -
भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में काफी कमी आने के बावजूद वित्तीय खाता के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में वृद्धि मुख्य रूप से उच्चतर निवल पोर्टफोलियो निवेश, बैंक और कॉरपोरेट द्वारा लिए गए ऋणों, बाह्य सहायता एवं अल्पावधि व्यापार ऋण तथा अग्रिमों के कारण हुई (सारणी 3)। सारणी 3: वित्तीय लेखा की विभिन्न मदें (निवल) | (बिलियन अमरीकी डॉलर) | | अक्तू-दिसं 2012 (प्रा) | अक्तू-दिसं 2011 (आं.सं.) | अप्रै-दिसं 2012 (प्रा) | अप्रै-दिसं 2011 (आं.सं.) | 1. प्रत्यक्ष निवेश (निवल) | 2.5 | 5.0 | 15.3 | 20.7 | 1.क भारत में प्रत्यक्ष निवेश | 4.8 | 6.9 | 21.1 | 28.7 | 1.ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश | -2.3 | -1.9 | -5.8 | -8.0 | 2. पोर्टफोलियो निवेश | 8.6 | 1.8 | 14.2 | 2.7 | 2.क भारत में पोर्टफोलियो निवेश | 9.8 | 1.9 | 16.0 | 2.7 | 2.ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश | -1.2 | -0.0 | -1.8 | -0.1 | 3. अन्य निवेश | 21.0 | 1.0 | 43.8 | 27.8 | 3.क अन्य इक्विटी (एडीआर/जीडीआर) | 0.2 | 0.1 | 0.3 | 0.6 | 3.ख मुद्रा और जमाराशियां | 2.6 | 3.2 | 12.5 | 7.5 | जमाराशियां लेने वाले निगम, केंद्रीय बैंक को छोड़कर: (अनिवासी भारतीय जमाराशियां) | 2.7 | 3.3 | 12.0 | 7.3 | 3.ग कर्ज* | 7.1 | -7.7 | 14.0 | 16.8 | 3.ग.i भारत को कर्ज | 7.2 | -8.1 | 14.4 | 15.7 | जमाराशियां लेने वाले निगम, केंद्रीय बैंक को छोड़कर | 2.7 | -8.7 | 7.6 | 6.7 | सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) | 1.5 | 1.4 | 2.0 | 2.1 | अन्य क्षेत्र (ईसीबी) | 3.1 | -0.8 | 4.7 | 6.9 | 3.ग.ii भारत द्वारा कर्ज | -0.1 | 0.5 | -0.4 | 1.1 | सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) | -0.1 | -0.0 | -0.2 | -0.1 | अन्य क्षेत्र (ईसीबी) | -0.1 | 0.5 | -0.2 | 1.2 | 3.घ व्यापार ऋण और अग्रिम | 6.2 | 0.6 | 15.7 | 6.5 | 3.ङ अन्य खाता प्राप्य/देय- अन्य | 5.0 | 4.8 | 1.2 | -3.6 | 4. वित्तीय डेरिवेटिव | -0.4 | - | -1.4 | - | 5. आरक्षित आस्तियां | -0.8 | 12.8 | -1.1 | 7.1 | वित्तीय लेखा (1+2+3+4+5) | 31.1 | 20.6 | 70.7 | 58.3 | टिप्पणी: पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा: प्रारंभिक; आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित *: बाह्य सहायता, ईसीबी, गैर-अनिवासी भारतीय बैंकिंग पूंजी और अल्पकालिक व्यापार ऋण। | -
निवल पोर्टफोलियो निवेश 2011-12 की तीसरी तिमाही के 1.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2012-13 की तीसरी तिमाही में 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। लेकिन, निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में अंतर्वाह 2011-12 की तीसरी तिमाही के 5.0 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2012-13 की तीसरी तिमाही में 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया। -
बैंकों द्वारा लिया गया निवल बाह्य ऋण 2012-13 की तीसरी तिमाही में 2.7 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि 2011-12 की तीसरी तिमाही के दौरान 8.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवल बहिर्वाह रहा था जो उस अवधि के दौरान विदेशी उधार की निवल चुकौती के कारण था। -
चालू तिमाही में निवल बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) बढ़कर 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि 2011-12 की तीसरी तिमाही में निवल चुकौती की राशि 0.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की रही थी। -
2012-13 की तीसरी तिमाही में 'व्यापार ऋण और अग्रिम' के अंतर्गत निवल अंतर्वाह पिछले वर्ष के 0.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में काफी अधिक अर्थात् 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो आयात के वित्तपोषण में व्यापार ऋण के बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है। -
भुगतान संतुलन आधार पर, 2012-13 की तीसरी तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 0.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। 2. अप्रैल-दिसंबर 2012-13 का भुगतान संतुलन वस्तुओं तथा सेवाओं का व्यापार -
आयात की धनात्मक वृद्धि (0.2 प्रतिशत) की तुलना में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में 5 प्रतिशत की तेज गिरावट के कारण अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 150.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। वाणिज्यिक आसूचना एवं अंक संकलन महानिदेशालय द्वारा प्रकाशित पण्य-वार आंकड़ों के अनुसार वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में गिरावट मुख्यत: इंजीनियरिंग माल, पेट्रोलियम उत्पाद, टेक्सटाइल तथा लौह अयस्क जैसी मदों में देखी गई। -
अप्रैल-दिसंबर 2012 की अवधि में निवल सेवाओं में 46.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का अधिशेष दर्ज हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में केवल 1.0 प्रतिशत की बढ़ोतरी है (46.4 बिलियन अमरीकी डॉलर)। -
जहां 2012-13 की तीसरी तिमाही में सेवा निर्यात 2.5 प्रतिशत बढ़कर 105.8 बिलियन अमरीकी की डॉलर हुआ, वहीं इसी अवधि में सेवाओं का आयात 3.7 प्रतिशत बढ़कर 59.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ। -
जहां यात्रा, परिवहन तथा वित्तीय सेवाओं में धनात्मक वृद्धि हुई, वहीं निर्माण तथा बीमा सेवाओं के निर्यात में गिरावट के कारण सेवा क्षेत्र का समग्र निर्यात कम रहा। प्राथमिक आय अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान प्राथमिक आय, जिसमें मुख्य रूप से कर्मचारियों के वेतन, निवेश आय तथा अन्य प्राथमिक प्राप्तियां शामिल हैं, घटकर 16.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई जो प्रमुख रूप से निवल निवेश आय में गिरावट के कारण रही। निवेश आय भुगतान बढ़ती बाह्य देयताओं की चुकौती के चलते 17.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 27.3 प्रतिशत बढ़कर 22.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। द्वितीयक आय चालू खाता शेष -
अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान, चालू खाता घाटे में राशि तथा जीडीपी के अनुपात दोनों ही दृष्टि से वृद्धि हुई जो मुख्यत: बढ़ते व्यापार घाटे को दर्शाता है। अप्रैल-दिसंबर 2012 में 71.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का चालू खाता घाटा जीडीपी का 5.4 प्रतिशत था जबकि अप्रैल-दिसंबर 2011 में यह 56.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 4.1 प्रतिशत) था। पूंजी तथा वित्तीय खाता अप्रैल-दिसंबर 2011 के दौरान वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 58.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 70.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो 21.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है । पूंजी खाते के अंतर्गत निवल प्रवाह कम रहना जारी रहा। -
वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाह में तेजी मुख्यत: अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान व्यापार ऋण और अग्रिमों के अंतर्गत निवल प्राप्तियों और बैंकों द्वारा लिये गये ऋणों के कारण आई। -
अप्रैल-दिसंबर 2012 में निवल एफडीआई घटकर 15.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जो 2011 की इस अवधि के दौरान 20.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था। -
अप्रैल-दिसंबर 2012 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में पूर्व वर्ष की तदनुरूपी अवधि में 7.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट की तुलना में 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि (भुगतान संतुलन आधार पर) हुई। 3. दिसंबर 2012 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण वर्तमान परंपरा के अनुसार मार्च तथा जून को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण को रिज़र्व बैंक द्वारा समेकित और जारी किया जाता है जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण को वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समेकित और जारी किया जाता है। तदनुसार, दिसंबर 2012 को समाप्त तिमाही के बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जा रहे हैं। इन्हें http://finmin.nic.in पर भी देखा जा सकता है। आर. आर. सिन्हा उप महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1631 |