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वर्ष 2014-15 की तीसरी तिमाही (अक्‍तूबर-दिसंबर) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति

10 मार्च 2015

वर्ष 2014-15 की तीसरी तिमाही (अक्‍तूबर-दिसंबर) के दौरान
भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति

वित्तीय वर्ष 2014-15 की तीसरी तिमाही अर्थात् अक्‍तूबर-दिसंबर के लिए भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) से संबंधित प्रारंभिक आंकड़े विवरण-। (बीपीएम6 फॉर्मेट) और ।। (पुराना फॉर्मेट) में प्रस्‍तुत किए गए हैं।

2014-15 की तीसरी तिमाही के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति के प्रमुख अंश

  • तिमाही-दर-तिमाही (क्‍यूओक्‍यू) आधार पर तुलना करें तो 2014-15 की तीसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटे (सीएडी) में कमी आकर वह 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) पर पहुंच गया, जबकि दूसरी तिमाही में यह 10.1 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 2.0 प्रतिशत) दर्ज हुआ था; तथापि, वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर तुलना करें तो सीओडी (जो 2013-14 की तीसरी तिमाही में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से या जीडीपी के 0.9 प्रतिशत के स्‍तर से) दुगुना हो गया ।

  • तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो मर्चन्‍डाइस आयातों (4.5 प्रतिशत) की तुलना में मर्चन्‍डाइस निर्यातों (7.3 प्रतिशत) में भारी गिरावट आने के कारण मर्चन्‍डाइस व्‍यापार घाटा (2014-15 की तीसरी तिमाही में 39.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) बढ़ा; वहीं वर्ष-दर-वर्ष आधार को लें तो 2014-15 की तीसरी तिमाही में निर्यातों (1.0 प्रतिशत) में कमी आने के साथ-साथ आयातों की मात्रा (4.5 प्रतिशत) बढ़ने से व्‍यापार घाटा बढ़ा।

  • अत: यात्रा और सॉफ्टवेयर सेवाओं के माध्‍यम से प्राप्‍त निवल आय में आए सुधार और प्राथमिक आय (लाभ, लाभांश और ब्‍याज) के अंतर्गत निवल बहिर्वाह कम रहने के कारण तिमाही-दर-तिमाही आधार पर सेवाओं के निवल निर्यातों में तेजी आई, जिसके परिणामस्‍वरूप 2014-15 की तीसरी तिमाही के दौरान चालू खाता घाटे में कमी आई।

  • सकल निजी अंतरण प्राप्तियां, जिनका तात्‍पर्य विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा किए जाने वाले धनप्रेषण से है, 17.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहीं। चालू प्राप्तियों में इनका 12.6 प्रतिशत का हिस्‍सा होने के कारण बीओपी को लगातार इनसे समर्थन मिलता रहा। मोटे तौर पर पिछली तिमाही में और पिछले वर्ष की समान अवधि में लगभग यही स्थिति रही।

  • जहां तक वित्‍तीय लेखे का प्रश्‍न है तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो प्रत्‍यक्ष विदेशी और संविभाग निवेश के निवल अंतर्वाह में मामूली गिरावट दर्ज हुई, तथापि, मुख्‍य रूप से बैंकों द्वारा विदेशों में रखी गई आस्तियों के आवक प्रत्‍यावर्तन की वजह से बैंकों द्वारा लिए गए निवल ऋणों में 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हुई; वर्ष-दर-वर्ष आधार पर देखें तो ऋणों की तुलना में इक्विटी के भारी अंतर्वाह होने के कारण मोटे तौर पर निवल वित्‍तीय प्रवाहों का स्‍तर बरकरार रहा, भले ही 2013-14 की तीसरी तिमाही में अनिवासी जमा योजनाओं के अंतर्गत 21.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अंतर्वाह हुआ हो।

  • बीओपी के आधार पर 2014-15 की तीसरी तिमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 13.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निवल अभिवृद्धि हुई, जो पिछली तिमाही के स्‍तर से दुगुना है, परंतु यह 2013-14 की तीसरी तिमाही में दर्ज स्‍तर से कम है, जब विशेष अनिवासी और बैंकों के विदेशी उधार के कारण तेजी आई थी (सारणी 1)।

अप्रैल-दिसंबर 2014 के दौरान भुगतान संतुलन की स्थिति

  • मर्चन्‍डाइस निर्यातों में उच्‍चतर वृद्धि और मर्चन्‍डाइस आयातों में मामूली बढ़ोतरी हासिल होने के साथ-साथ सीएडी का वित्‍तीयन करने वाले निवल वित्‍तीय प्रवाहों में बड़ी मात्रा में वृद्धि दर्ज होने के कारण समग्र बीओपी में संचयी रूप से वर्ष-दर-वर्ष आधार पर काफी सुधार आया है। साथ ही, इससे बड़ी मात्रा में मुद्रा भंडार का निर्माण करने में मदद मिली।

  • भारत का व्‍यापार घाटा अप्रैल-दिसंबर 2013 के 116.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्‍तर से गिरावट दर्ज करते हुए अप्रैल-दिसंबर 2014 में 112.5 बिलियन अमेरिकी डालर पर पहुंच गया। निवल सेवा प्राप्तियों में मामूली वृद्धि दर्ज होने के कारण सीएडी ने व्‍यापार घाटे का रुख अपनाया, जो अप्रैल-दिसंबर 2013 (जीडीपी का 2.3 प्रतिशत) के 31.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्‍तर से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2014 (जीडीपी का 1.7 प्रतिशत) में 26.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

  • पूंजी और वित्‍तीय लेखे (विदेशी मुद्रा भंडार में हुए परिवर्तन को छोड़कर) के अंतर्गत निवल अंतर्वाह अप्रैल-दिसंबर 2013 के 39.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्‍तर से बढ़ोतरी दर्ज करते हुए अप्रैल-दिसंबर 2014 में 61.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।

  • अप्रैल-दिसंबर 2014 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 31.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई, जबकि अप्रैल-दिसंबर 2013 में 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई थी।

  • दिसंबर के अंत की स्थिति के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का स्‍तर 320.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर दर्ज हुआ।

सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें
(बिलियन अमेरिकी डॉलर)
  अक्‍टूबर-दिसंबर 2014 (प्रा.) अक्‍टूबर-दिसंबर 2013 (अं.शं.) अप्रैल-दिसंबर 2014-15 प्रा. अप्रैल-दिसंबर 2013-14 (अं.शं.)
जमा नामे निवल जमा नामे निवल जमा नामे निवल जमा नामे निवल
क. चालू खाता 139.0 147.3 -8.2 137.7 141.9 -4.2 422.3 448.4 -26.2 407.0 438.2 -31.1
1. माल 79.0 118.2 -39.2 79.8 112.9 -33.2 246.0 358.4 -112.5 234.9 351.9 -116.9
जिसमें से :                        
पीओएल 14.0 34.2 -20.2 15.4 42.2 -26.8 45.7 116.6 -70.9 48.0 122.2 -74.2
2. सेवाएं 39.6 19.4 20.3 37.6 19.5 18.1 115.6 59.2 56.4 110.8 57.5 53.4
3. प्राथिमक आय 2.9 8.8 -5.8 3.0 8.4 -5.4 8.3 27.6 -19.4 8.6 25.2 -16.6
4. द्वितीयक आय 17.5 0.9 16.6 17.3 1.0 16.3 52.5 3.2 49.3 52.6 3.6 49.0
ख. पूंजी लेखा और वित्‍तीय लेखा 122.9 112.9 10.0 129.3 124.5 4.8 403.5 373.1 30.5 396.1 364.9 31.3
जिसमें से :                        
मुद्रा भंडार में परिवर्तन (वृद्धि (-)/कमी (+)) 0.0 13.2 -13.2 0.0 19.1 -19.1 0.0 31.3 -31.3 10.7 19.1 -8.4
ग. भूल-चूक (-) (क+ख) 0.0 1.8 -1.8 0.0 0.6 -0.6 0.0 4.3 -4.3 0.9 1.0 -0.1
प्रा. : प्रारंभिक; अं.शं. : अंशत: संशोधित
नोट : पूर्णांकन के कारण उप-घटकों के कुल योग और समग्र योग में अंतर आ सकता है।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1894

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