डीआरजी अध्ययन सं. 46: भारत में जोखिम प्रीमियम झटके और व्यापार चक्र परिणाम - आरबीआई - Reserve Bank of India
डीआरजी अध्ययन सं. 46: भारत में जोखिम प्रीमियम झटके और व्यापार चक्र परिणाम
24 मई 2021 डीआरजी अध्ययन सं. 46: भारत में जोखिम प्रीमियम झटके और व्यापार चक्र परिणाम भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर "भारत में जोखिम प्रीमियम झटके और व्यापार चक्र परिणाम" शीर्षक से डीआरजी अध्ययन* जारी किया। अध्ययन के सह-लेखक डॉ. शेषाद्री बनर्जी, श्री जिबिन जोस और श्री राधेश्याम वर्मा हैं। यह अध्ययन व्यापार चक्र पर वित्तीय झटकों के गतिशील प्रभावों की जांच करता है। बैंकों की उच्च गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की पृष्ठभूमि में, एक वित्तीय झटके को उधारकर्ताओं के चूक जोखिम में बदलाव से उत्पन्न ब्याज दर स्प्रेड के लिए एक झटके के रूप में माना जाता है। इसे जोखिम प्रीमियम झटका कहा जाता है और इस अध्ययन में केंद्रीय बिन्दु है। इस तरह के झटके के व्यापार चक्र के निहितार्थों को दो चरणों में चित्रित और परिमाणित किया गया है। प्रारंभ में, ब्याज दर स्प्रेड और ऋण वृद्धि पर चूक जोखिम के प्रभाव पर सूक्ष्म-स्तरीय साक्ष्य प्रदान किए जाते हैं। उसके बाद, साइन-प्रतिबंधित वीएआर (एसआरवीएआर) मॉडल का उपयोग करके जोखिम प्रीमियम झटके के प्रभाव की पहचान और अनुमान लगाने के लिए गतिशील स्टोकेस्टिक जनरल इक्युलिब्रियम (डीएसजीई) मॉडल के इस सूक्ष्म-स्तरीय साक्ष्य और अनुमानों का उपयोग किया गया है। प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं।
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/266 * मजबूत विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार के सहयोग से वर्तमान रुचि के विषयों पर तीव्र और प्रभावी नीतिगत अनुसंधान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन किया है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के विशेषज्ञों तथा बैंक के अंदर अनुसंधान प्रतिभा के पूल के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। व्यावसायिक अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा करने की दृष्टि से इन अध्ययनों को व्यापक प्रचलन हेतु जारी किया जाता है। डीआरजी अध्ययन भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर ही जारी किए जाते हैं और इनकी कोई मुद्रित प्रतियां उपलब्ध नहीं होंगी। |