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गैर-सरकारी गैर-वित्तीय प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के वित्त, 2011-12 के आंकड़े जारी किए गए

11 अक्टूबर 2013

गैर-सरकारी गैर-वित्तीय प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के वित्त, 2011-12 के आंकड़े जारी किए गए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के वित्त, 2011-12 से संबंधित आंकड़े जारी किए।

ये आंकड़े 1,741 एनजीएनएफ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों के आधार पर संकलित किए गए हैं। इसमें 2009-10 से 2011-12 तक तीन वर्षों की अवधि की तुलनात्मक तस्वीर प्रस्तुत की गई है। आंकड़ों पर व्याख्यात्मक टिप्पणियां अंत में दी गई हैं।

मुख्य-मुख्य बातें:

  • वर्ष 2011-12 में चयनित एनजीएनएफ प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों की बिक्री वृद्धि में समग्र स्तर पर सुधार हुआ है। उत्पादन मूल्य की तुलना में परिचालनात्मक व्यय में उच्च वृद्धि से ब्याज, कर, अवमूल्यन और परिशोधन पूर्व अर्जन (ईबीआईटीडीए) में कम वृद्धि हुई।

  • वर्ष 2011-12 में ब्याज भुगतानों में वृद्धि के परिणामस्वरूप निवल लाभ (पीएटी) कम रहा। वर्ष 2011-12 में चयनित कंपनियों की सकल बचत कम रही। इन चयनित कंपनियों के लाभ मार्जिन में भी वर्ष 2011-12 में कमी आई।

  • विनिर्माण और सेवा, दोनों क्षेत्रों में बिक्री वृद्धि कम रही। वर्ष 2011-12 में विनिर्माण क्षेत्र के ब्याज, कर, अवमूल्यन और परिशोधन पूर्व अर्जन (ईबीआईटीडीए) में गिरावट आई, जबकि सेवा क्षेत्र में ईबीआईटीडीए वृद्धि उच्च रही क्योंकि क्षेत्र अपने परिचालनात्मक व्यय में विकास पर नियंत्रित कर सका।

  • रसायन और रसायन उत्पादों तथा विद्युतीय मशीनरी और उपकरण उद्योगों को छोड़कर विनिर्माण क्षेत्र में अधिकांश उद्योगों में ईबीआईटीडीए वृद्धि कम या नगण्य रही। सेवा क्षेत्र में कंप्यूटर और संबंधित कार्यकलाप तथा परिवहन, भंडारण और संचार उद्योग ईबीआईटीडीए में वृद्धि के संचालक रहे।

  • चयनित कंपनियों की कुल निवल आस्तियों में वर्ष 2011-12 में बहुत कम दर पर वृद्धि हुई। सभी प्रमुख क्षेत्रों जैसे विनिर्माण, सेवा और निर्माण में विस्तार की धीमी गति देखी गई और इसका विस्तार अधिकांश उद्योगों में हुआ।

  • चयनित कंपनियों की निवल संपत्ति वर्ष 2011-12 में धीमी गति से बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप कम लाभ वृद्धि हुई।

  • चयनित कंपनियों के कुल उधार में भी वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 में कम दर से बढ़ोतरी हुई।

  • चयनित कंपनियों के इक्विटी अनुपात में ऋण (जो सामान्य उधारों का दीर्घकालिक घटक है) में वर्ष 2011-12 में वृद्धि हुई। यह वृद्धि सभी सेवा क्षेत्र के उद्योगों में काफी थी जबकि विनिर्माण क्षेत्र में थोड़ी थी।

  • कंपनियों के कारोबार विस्तार में बाह्य स्रोतों (अर्थात् कंपनियों की स्वधिकृत निधियों के अलावा) की प्रमुख भूमिका रही और निधियों के कुल स्रोतों में इनकी हिस्सेदारी में वर्ष 2011-12 में और वृद्धि हुई। निधियों के उपयोग में सकल स्थायी आस्ति सूचना की हिस्सेदारी पिछले वर्ष के स्तर के बराबर रही।

समग्र स्तर तथा दीर्घकालिक अवधि के लिए बिक्री और उद्योग के आधार पर गैर-सरकारी गैर-वित्तीय प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के निष्पादन का विश्लेषण करने वाला आलेख आरबीआई बुलेटिन के नवंबर 2013 अंक में प्रकाशित किया जाएगा।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2013-2014/775

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